शुगर में मोटा होने की दवा और शुगर में वजन बढ़ाने के उपाय

Reviewed By Dietitian Dt. SEEMA GOEL (Senior Dietitian, 25 Years of Experience) फ़रवरी 7, 2024

डायबिटीज मरीजों को शुगर कंट्रोल के लिए कई चीजों का ध्यान रखना पड़ता है, इनमें से वजन भी एक जरूरी चीज है। वजन का अनियंत्रित तरीके से घटना या बढ़ना पूरी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। डायबिटीज में अक्सर ही वजन को कम करने की सलाह दी जाती है, लेकिन अगर मरीज पहले से ही अंडरवेट या कुपोषण का शिकार हो तब कम वजन समस्या बन सकता है। इसीलिए कई बार मधुमेह में वजन बढ़ाना भी जरूरी हो जा जाता है। आज हम आपको शुगर में मोटा होने की दवा, शुगर में वजन बढ़ाने के उपाय और डायबिटीज में वजन कंट्रोल रखना क्यों जरूरी है, ये सब बताएंगे।

Table of Contents

डायबिटीज में वजन कंट्रोल रखना क्यों जरूरी है?

डायबिटीज में वजन कंट्रोल रखना क्यों जरूरी है?

सबसे पहले वजन कंट्रोल पर बात कर लेते हैं। डायबिटीज लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारी है और इसका कोई इलाज नहीं। इसे केवल कंट्रोल रखा जा सकता है और वजन कंट्रोल रखना इसके लिए बहुत जरूरी है। ऐसे में जानना जरूरी है कि शुगर में वजन क्यों इतना महत्वपूर्ण है, इसका असर क्या होता है, और स्वस्थ रहने के लिए क्या करना चाहिए?

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वजन और इंसुलिन सेंसटिविटी:

शुगर और वजन के बीच मुख्य संबंध इंसुलिन सेंसटिविटी से जुड़ा हुआ है। सही वजन बनाए रखने से शरीर इंसुलिन को बेहतर तरीके से इस्तेमाल कर पाता है, जो कि ब्लड में शुगर को कंट्रोल करने के लिए बहुत जरूरी है। वजन का अनियंत्रित होना लोगों में इंसुलिन प्रतिरोध हो सकता है, जिससे शुगर कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है।

वजन कम करके शुगर से बचाव:

जिन लोगों को पहले से ही शुगर है, उनके लिए तो वजन पर ध्यान देना जरूरी है ही, लेकिन सही वजन बनाए रखना शुगर से बचने में भी मदद करता है। खासकर प्री-डायबिटीज वाले लोगों के लिए ऐसी जीवनशैली अपनाना जिससे वजन सही रहे, डायबिटीज टाइप 2 से बचा सकता है।

ब्लड शुगर पर असर:

वजन का सीधा असर ब्लड में शुगर के स्तर पर होता है। ज्यादा वजन, खासकर पेट के आसपास, इंसुलिन प्रतिरोध को बढ़ाता है और शुगर लेवल बढ़ने का खतरा बढ़ा देता है। सही वजन और बनाए रखकर शुगर को बेहतर तरीके से कंट्रोल किया जा सकता है।

वजन से जुड़ा शुगर कंट्रोल:

डायबिटीज वाले लोगों के लिए वजन को सही रखना शुगर कंट्रोल के लिए बहुत जरूरी है। इसके लिए संतुलित और पोषक आहार, नियमित व्यायाम, और खाने की मात्रा का ध्यान रखना जरूरी है।

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कैलोरी लेना और खर्च करना:

वजन को सही रखने के लिए खाने से मिलने वाली कैलोरी और शरीर द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली कैलोरी के बीच संतुलन बनाना जरूरी है। मधुमेह वाले लोगों के लिए यह संतुलन और भी ज्यादा महत्वपूर्ण है, ताकि शुगर लेवल में उतार-चढ़ाव न हो। इसके लिए सोच-समझकर खाना और नियमित व्यायाम करना जरूरी है।

मधुमेह में वजन बढ़ाना:

भले ही मधुमेह में अक्सर वजन कम करने पर जोर दिया जाता है, लेकिन कुछ मामलों में वजन बढ़ाना भी जरूरी हो सकता है। अगर कोई मधुमेह वाला व्यक्ति कम वजन का है या कुपोषण का शिकार है, तो उसके लिए स्वस्थ वजन पाना जरूरी है, ताकि शरीर को पोषण मिल सके और वह स्वस्थ रह सके।

व्यक्तिगत वजन मेनेजमेंट:

हर व्यक्ति पर शुगर का प्रभाव अलग हो सकता है, इसलिए वजन को भी हर किसी को अलग तरह से मैनेज करना पड़ता है। उम्र, जीवनशैली और दूसरी बीमारियों को ध्यान में रखते हुए व्यक्तिगत योजना बनाना सफलता के लिए जरूरी है।

भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य:

डायबिटीज में वजन का महत्व सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़ा नहीं है, बल्कि भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य से भी जुड़ा है। स्वस्थ वजन पाकर और बनाए रखकर आत्म-सम्मान बढ़ता है और मधुमेह को मैनेज करने के प्रति सकारात्मक सोच आती है।

अब वजन कंट्रोल रखने के चक्कर में कई बार मरीज काफी वजन घटा लेते हैं। ऐसे में अंडर वेट से कई समस्याएं हो सकती हैं। तो वजन कम करने के साथ वजन बढ़ाना भी कई बार जरूरी हो जाता है।

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शुगर में वजन बढ़ाना क्यों जरूरी है?

शुगर में वजन बढ़ाना क्यों जरूरी है?

डायबिटीज में अक्सर वजन कम करने और ब्लड शुगर कंट्रोल पर ही ध्यान दिया जाता है। लेकिन कुछ मामलों में, शुगर कंट्रोल के लिए वजन बढ़ाना भी ज़रूरी हो जाता है। अब सवाल ये उठता है कि ऐसा कब और क्यों ज़रूरी होता है?

कम वजन वाले मरीज़:

कुछ डायबिटीज के मरीज़ों का वजन बहुत कम होता है। ऐसे में उन्हें पोषण की कमी, कमज़ोर इम्यूनिटी और दूसरी परेशानियों का खतरा रहता है। ऐसे में वजन बढ़ाना ज़रूरी होता है ताकि उनकी सेहत बेहतर हो सके।

कुपोषण से बचाव:

डायबिटीज के कुछ मरीज़ों को वजन सही रखने में दिक्कत होती है। इससे उनके शरीर को ज़रूरी पोषण नहीं मिल पाता और मधुमेह से जुड़ी परेशानियां बढ़ सकती हैं। इसलिए वजन बढ़ाने के तरीके अपनाकर कुपोषण से बचाना ज़रूरी है।

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मांसपेशियों को मजबूती:

शुगर की वजह से मांसपेशियां कमज़ोर हो सकती हैं, खासकर अगर ब्लड शुगर कंट्रोल ना हो पाए। अच्छी सेहत के लिए मांसपेशियों को मजबूत और बनाए रखना ज़रूरी है। सही तरीके से वजन बढ़ाकर और एक्सरसाइज़ करके मांसपेशियों को मजबूती दी जा सकती है।

इंसुलिन सेंसटिविटी:

सही तरीके से वजन बढ़ाने से इंसुलिन का असर बेहतर हो सकता है। डायबिटीज में इंसुलिन रेज़िस्टेंस एक आम समस्या है। स्वस्थ वजन पाने से शरीर में इंसुलिन ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में ज़्यादा कारगर हो जाता है।

ब्लड शुगर का संतुलन:

अक्सर ज़्यादा वजन वाले लोगों को वजन कम करने की सलाह दी जाती है, लेकिन कम वजन वाले मरीज़ों में ब्लड शुगर का संतुलन बिगड़ सकता है। वजन बढ़ाने के तरीकों और सही खाने-पीने से ब्लड शुगर को स्थिर रखकर हाइपोग्लाइसीमिया का खतरा कम किया जा सकता है।

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एनर्जी की ज़रूरतें:

डायबिटीज मेनेजमेंट के लिए शरीर को जितनी एनर्जी चाहिए, उतनी लेना और खर्च करना ज़रूरी है। कम वजन वाले लोगों को अपनी एनर्जी की ज़रूरतें पूरी करने में दिक्कत हो सकती है, जिससे थकान और कमज़ोरी हो सकती है। वजन बढ़ाने से शरीर में ज़रूरी एनर्जी बनी रहती है, जिससे रोज़मर्रा के कामों में दिक्कत नहीं होती और शरीर में ताकत रहती है।

व्यक्तिगत प्लान ज़रूरी:

हर किसी का शरीर अलग होता है और वजन बढ़ाने की ज़रूरतें भी अलग-अलग हो सकती हैं। इसलिए डॉक्टर और डायटीशियन की मदद से ऐसा प्लान बनाना ज़रूरी है जो आपकी सेहत के लक्ष्यों, जीवनशैली और मधुमेह से जुड़ी चुनौतियों को ध्यान में रखकर बनाई गई हो।

खुशहाल ज़िंदगी:

जब वजन बढ़ाने पर ध्यान दिया जाता है और सेहत का ख्याल रखा जाता है, तो ज़िंदगी की गुणवत्ता भी बेहतर होती है। इससे आत्मविश्वास बढ़ता है, शरीर में ताकत आती है और मानसिक और भावनात्मक सेहत भी अच्छी रहती है।

डायबिटीज में वजन को सही तरह से बढ़ाना भी जरूरी है। इसके लिए शुगर में वजन बढ़ाने के उपाय पता होना जरूरी है।

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शुगर में वजन बढ़ाने के उपाय

शुगर में वजन बढ़ाने के उपाय

शुगर में संतुलित वजन बनाए रखना जरूरी है। जो मरीज बहुत वजन कम कर लेते हैं या पहले कई बार मरीज पहले से अंडरवेट होते हैं, उनके लिए संतुलित तरीके से वजन बढ़ाना जरूरी होता है। इसके लिए शुगर में वजन बढ़ाने के उपाय जानना जरूरी है। इनमें से कई तो मधुमेह रोगी के वजन बढ़ाने के घरेलू उपाय ही हैं।

डॉक्टर से सलाह लें:

वजन बढ़ाने से पहले, एक रजिस्टर्ड डायटीशियन और एंडोक्रिनोलॉजिस्ट सहित डॉक्टरों से सलाह जरूर लें। वो आपकी सेहत और शरीर के हालत के हिसाब से जांच करेंगे और आपके लिए एक व्यक्तिगत प्लान बनाकर देगें।

पोषक तत्वों से भरपूर डाइट:

प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, हेल्थी फैट, विटामिन और मिनरल्स से भरपूर डाइट को प्राथमिकता दें। संतुलित और पोषण से भरपूर डाइट लेने के लिए विभिन्न तरह के खाद्य पदार्थ जैसे लीन प्रोटीन, साबुत अनाज, फल, सब्जियां और डेयरी या डेयरी विकल्प को शामिल करें।

छोटी-छोटी डाइट और स्नैक्स:

दिन में तीन बार भर पेट खाने की जगह, दिन भर में छोटी-छोटी डाइट और स्नैक्स लें। यह कैलोरी और पोषक तत्वों का संतुलन बनाए रखने में मदद करता है, जिससे वजन बढ़ता है और पाचन तंत्र पर दबाव भी नहीं पड़ता।

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कैलोरी बढ़ाएं:

शरीर जितनी कैलोरी खर्च करता है, उससे ज्यादा कैलोरी खाकर ही वजन बढ़ता है। खाने की मात्रा बढ़ाकर, डाइट में स्नैक्स शामिल करके और पोषण की गुणवत्ता से समझौता किए बिना कैलोरी से भरपूर डाइट लेने से ही वजन बढ़ता है।

प्रोटीन लें:

मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए पर्याप्त प्रोटीन का सेवन जरूरी है। हर मील में चिकन, मछली, टोफू, दालें और डेयरी जैसे प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल करें। डॉक्टर की सलाह पर प्रोटीन सप्लीमेंट्स भी ले सकते हैं।

हैल्थी फैट:

अपनी डाइट में एवोकाडो, मेवा, बीज और जैतून का तेल जैसे हैल्थी फैट शामिल करें। ये न केवल कुल कैलोरी सेवन में योगदान देते हैं बल्कि जरूरी पोषक तत्व भी देते हैं।

एनर्जिटिक एक्सरसाइज:

मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए एनर्जी से भरपूर एक्सरसाइज करें। वजन या रेजिस्टेंस बैंड का उपयोग करके रेजिस्टेंस ट्रेनिंग मांसपेशियों के विकास को बढ़ावा देती है। सुरक्षित और प्रभावी एक्सरसाइज प्लान बनाने के लिए फिटनेस प्रोफेशनल से सलाह लें।

ब्लड शुगर का ध्यान रखें:

वजन बढ़ाने के दौरान ब्लड शुगर का स्तर स्थिर रखना बहुत जरूरी है। नियमित जांच और जरूरत पड़ने पर दवाओं में बदलाव से ब्लड शुगर का स्तर प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जा सकता है।

पानी पिएं:

पूरे दिन खुद को हाइड्रेट रखें। भोजन से पहले या बाद में तरल पदार्थ पीने से भोजन के दौरान अत्यधिक परिपूर्णता को रोका जा सकता है, जिससे अधिक कैलोरी लेना आसान हो जाता है।

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अपनी जरूरतों के हिसाब से तरीके अपनाएं

हर किसी के लिए वजन बढ़ाने का तरीका अलग हो सकता है। इसमें आपकी उम्र, पहले से मौजूद स्वास्थ्य स्थितियां और आपकी पसंद भी शामिल हैं। इसलिए मधुमेह प्रबंधन के लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए अपने लिए सही रणनीति चुनें।

नियमित जांच और बदलाव:

समय-समय पर यह देखें कि आपका वजन कितना बढ़ रहा है। अगर जरूरत हो तो अपने वजन बढ़ाने के प्लान में बदलाव करें। डॉक्टरों और डायटीशियन की सलाह लें ताकि आपका वजन सुरक्षित और सही तरीके से बढ़े।

मानसिक मदद लें:

वजन बढ़ाने के साथ कभी-कभी मन में कई तरह के ख्याल आ सकते हैं। अगर आपकी बॉडी इमेज, आत्म-सम्मान या तनाव को लेकर कोई परेशानी है तो डॉक्टरों, सपोर्ट ग्रुप्स या काउंसलर से बात करें।

ब्लड शुगर की नियमित जांच और डॉक्टरों के सलाह लेते रहना शुगर में वजन कंट्रोल के लिए सुरक्षित और प्रभावी तरीका है।

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शुगर में मोटा होने की दवा

शुगर में मोटा होने की दवा

शुगर में वजन बढ़ाने के लिए दवाओं का इस्तेमाल बहुत सोच-समझकर करना चाहिए। कुछ दवाएं ब्लड शुगर को प्रभावित कर सकती हैं या दूसरी दवाओं से मिलकर नुकसान पहुंचा सकती हैं। इसलिए, वजन बढ़ाने वाली कोई भी दवा लेने से पहले डॉक्टर से बात करना बहुत ज़रूरी है। फिर भी, कुछ तरीके और दवाएं हैं जिन्हें डॉक्टर की सलाह के साथ शुगर में मोटा होने की दवा के तौर पर लिया जा सकता है।

भूख बढ़ाने वाली दवाएं:

ये दवाएं भूख बढ़ाने में मदद करती हैं। इससे खाने (कैलोरी) की मात्रा बढ़ती है। लेकिन इनका इस्तेमाल सावधानी से करना चाहिए ताकि ज्यादा खाने और ब्लड शुगर बढ़ने से बचा जा सके।

इंसुलिन खुराक में बदलाव:

डायबिटीज वाले लोगों के लिए, खाने की आदतों में बदलाव के हिसाब से इंसुलिन की खुराक को बदलना ज़रूरी हो सकता है ताकि ब्लड शुगर स्थिर रहे। इंसुलिन की मात्रा में कोई भी बदलाव डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए।

शुगर में वजन बढ़ाने वाली टेबलेट:

कुछ दवाएं, जैसे सल्फोनील्यूरिया और मेग्लिटिनाइड्स, वजन बढ़ाने में मदद कर सकती हैं। लेकिन इनका इस्तेमाल ब्लड शुगर कंट्रोल के साथ संतुलित होना चाहिए और खुराक में बदलाव की ज़रूरत पड़ सकती है।

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जीएलपी-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट:

कुछ जीएलपी-1 दवाएं, जैसे लाइराग्लूटाइड, शुगर में वजन कम करने में मदद करती हैं। लेकिन इनकी नई खुराक या ज्यादा मात्रा में लेने से वजन स्थिर रह सकता है या बढ़ भी सकता है।

मेटफोर्मिन:

शुगर के इलाज में अक्सर इस्तेमाल होने वाली मेटफोर्मिन दवा वजन को स्थिर रखती है या हल्का वजन घटा सकती है। लेकिन इसका असर हर व्यक्ति पर अलग हो सकता है।

एनाबॉलिक स्टेरॉयड:

कुछ मामलों में, डॉक्टर वजन बढ़ाने और मांसपेशियां बनाने के लिए एनाबॉलिक स्टेरॉयड का इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन इन दवाओं के साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, इसलिए इन्हें सिर्फ डॉक्टर की निगरानी में ही लेना चाहिए।

खाने के साथ सप्लीमेंट:

पोषण की कमी को पूरा करने और वजन बढ़ाने में मदद के लिए डॉक्टर खाने के साथ सप्लीमेंट की सलाह दे सकते हैं। इनमें प्रोटीन पाउडर, मील रिप्लेसमेंट शेक और विटामिन-मिनरल सप्लीमेंट शामिल हो सकते हैं।

यह याद रखना ज़रूरी है कि मधुमेह में वजन बढ़ाने के लिए दवाओं को मुख्य तरीका नहीं माना जाना चाहिए। इसमें डॉक्टर की सलाह लेना बहुत जरूरी है।

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निष्कर्ष

डायबिटीज में वजन बढ़ाना कई कारणों से ज़रूरी हो सकता है। कम वजन की परेशानियों से बचाव, कुपोषण से सुरक्षा, मांसपेशियों को मजबूती, इंसुलिन सेंसटिवीटी बढ़ाना, ब्लड शुगर का कंट्रोल आदि। लेकिन वजन बढ़ाने से पहले डायटीशियन और एंडोक्रिनोलॉजिस्ट सहित डॉक्टरों से सलाह जरूर लें। वजन बढ़ाने के लिए कई दवाएं भी बाजार में उपलब्ध हैं लेकिन ये दवाएं ब्लड शुगर को प्रभावित कर सकती हैं या दूसरी दवाओं से मिलकर नुकसान पहुंचा सकती हैं। इसीलिए शुगर कंट्रोल में वजन को लेकर किसी भी तरह के बदलाव के लिए डॉक्टर की सलाह पहले लें।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल 

वजन बढ़ाते समय अपने शुगर लेवल की निगरानी कैसे करें?

बढ़ते वजन के साथ-साथ ब्लड शुगर का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है। इसके लिए एक ब्लड ग्लूकोज़ लॉग बनाएं। हर बार ब्लड शुगर चेक करने पर उस रीडिंग को, खाने का समय और क्या खाया, और कैसा महसूस कर रहे हैं, सब लिखें। डॉक्टर से बात करके एक ब्लड शुगर टेस्टिंग शेड्यूल बनाएं। दिन में कितनी बार चेक करना है, यह आपकी स्थिति पर निर्भर करेगा। अगर ब्लड शुगर लेवल अचानक बहुत कम या बहुत ज़्यादा हो जाता है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।दवाओं की मात्रा या समय बदलने से पहले हमेशा डॉक्टर से सलाह लें।

अगर मुझे मधुमेह है तो मैं सुरक्षित तरीके से वजन कैसे बढ़ा सकता हूं?

शुगर में सुरक्षित तरीके से वजन बढ़ाने के लिए संतुलित डाइट, नियंत्रित कैलोरी का सेवन, स्ट्रेंथ ट्रेनिंग एक्सरसाइज़ और ब्लड शुगर के स्तर की नियमित निगरानी की ज़रूरत होती है। व्यक्तिगत सलाह के लिए डॉक्टर और डायटीशियन से संपर्क करें। साथ ही डॉक्टर की देखरेख में कुछ दवाइयां ली जा सकती है, जिससे वजन बढ़ाने में मदद मिले। साथ ही मौजूदा दवाओं में बदलाव किया जा सकता है ताकि वजन बढ़ाने के लक्ष्य को पूरा किया जा सके।

क्या शुगर की दवाइयां वजन बढ़ा सकती हैं?

कुछ शुगर की दवाइयां, जैसे सल्फोनीलयूरेस और मेग्लिटिनाइड्स, वजन बढ़ा सकती हैं क्योंकि वे इंसुलिन रिलीज़ को बढ़ाती हैं। वहीं, कुछ दवाइयां, जैसे GLP-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट, वजन कम करने में मदद कर सकती हैं या वजन को स्थिर रख सकती हैं।

क्या शुगर में वजन कम होना आम है?

शुगर में वजन कम होना आम है। शुगर कई तरीकों से वजन को प्रभावित कर सकती है। अगर ब्लड शुगर कंट्रोल ना हो, तो ज़्यादा पेशाब आती है, जिससे शरीर में पानी की कमी और वजन घट सकता है। साथ ही, इंसुलिन रेज़िस्टेंस शरीर की एनर्जी के लिए ग्लूकोज़ इस्तेमाल करने की क्षमता को कम कर सकता है, जिससे मांसपेशियां कमज़ोर हो सकती हैं और वजन घट सकता है।

मधुमेह के मरीज के वजन बढ़ाने के घरेलू उपाय क्या हैं?

शुगर मरीज के लिए संतुलित तरीके से वजन बढ़ाना जरूरी होता है। इसके लिए घर पर पौष्टिक आहार ले सकते हैं। अंडे, दूध, दही, पनीर, मछली, चिकन, दालें, सोयाबीन, और नट्स जैसे प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें। एवोकैडो, नट्स, बीज, और जैतून का तेल जैसे हेल्थी फैट वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करें। दिन भर में कम से कम 8-10 गिलास पानी पीएं। हफ्ते में कम से कम 150 मिनट मध्यम-तीव्रता वाला व्यायाम करें। हर रात 7-8 घंटे की नींद लें और जीवन में तनाव कम करें।

Last Updated on by Dr. Damanjit Duggal 

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