हाइपोग्लाइसीमिया के लक्षण, कारण और उपचार | Hypoglycemia in Hindi

Last updated on सितम्बर 6th, 2023

ग्लूकोस शरीर के लिए ऊर्जा का स्त्रोत होता है। यह ग्लूकोस हमें खाने से प्राप्त होता है। शरीर में शुगर व कार्ब के सेवन से ग्लूकोस की कमी को पूरा किया जाता है किन्तु क्या आप जानते हैं की अगर शरीर में इस ग्लूकोस का लेवल कम हो जाए तो आपको इसके बुरे परिणाम मिल सकते हैं। ऊर्जा की कमी से शरीर के हर अंग की कार्यप्रणाली पर दुष्प्रभाव पड़ता है। शरीर में ग्लूकोस के कम लेवल की इस स्थिति को हाइपोग्लाइसीमिया कहते हैं। आइए इस ब्लॉग में जानें हाइपोग्लाइसीमिया के कारण, प्रभाव, लक्षण व उपचार के बारे में।

हाइपोग्लाइसीमिया क्या है?

हाइपोग्लाइसीमिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें आपके रक्त शर्करा (ग्लूकोज) का स्तर मानक सीमा से कम हो जाता है। ग्लूकोज आपके शरीर का मुख्य ऊर्जा स्रोत है और जब वे 70 mg/dL से नीचे गिर जाए, तो इसे लो ब्लड शुगर या निम्न रक्त शर्करा कहा जाता है।

हाइपोग्लाइसीमिया अक्सर मधुमेह के उपचार से संबंधित माना जाता है। लेकिन मधुमेह के अतिरिक्त लो ब्लड शुगर की कई अन्य वजहें हो सकती है जैसे अन्य दवाइयों का सेवन, कम खाना, ज्यादा परिश्रम करना इत्यादि।

लो ब्लड शुगर या हाइपोग्लाइसीमिया होने पर ज़्यादा चीनीयुक्त खाद्य पदार्थ या पेय, जैसे संतरे का रस या फ़िज़ी पेय पीने से इस स्थिति को तुरंत सुधारा जा सकता है। गंभीर परिस्थितियों में रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ाने के लिए दवा का उपयोग भी किया जा सकता है। हाइपोग्लाइसीमिया के बार-बार होने पर डॉक्टर से परामर्श ले कर उसके सही कारणों का पता करें व उसका इलाज करवाएँ।

ब्लड शुगर के कम होने के कारण

ब्लड शुगर काम होने के कारण

ब्लड शुगर का शरीर में सही मात्रा में रहना एक अच्छे स्वास्थ्य के लिए बहुत ज़रूरी है। इसके स्तर में किसी भी तरह के असंतुलन से कई तरह की परेशानियां हो सकती है। जैसे अधिक शर्करा मधुमेह की ओर ले जाती है वहीं कम शुगर हाइपोग्लाइसीमिया का कारण बन सकता है। आपकी ब्लड शुगर लो होने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • अधिक इंसुलिन लेना।
  • इंसुलिन मात्रा के अनुपात में पर्याप्त कार्ब्स नहीं खाना।
  • इंसुलिन लेने का समय।
  • अधिक शारीरिक गतिविधि, या देर तक व्यायाम करना
  • खाने व दवाओं में बिना परिवर्तन किए व्यायाम या शारीरिक गतिविधि बढ़ाना
  • शराब पीना, खासकर खाली पेट
  • खाने में फैट, प्रोटीन और फाइबर की मात्रा।
  • गर्म और उमस भरा मौसम।
  • शेड्यूल में अचानक बदलाव।
  • ज्यादा ऊंचाई वाले स्थानों पर जाना (पर्वत आदि)
  • प्यूबर्टी।
  • मासिक धर्म।

आप डायबिटिक ना हो तब भी लो ब्लड शुगर के अन्य कई कारण हो सकते हैं

  • वजन घटाने की सर्जरी
  • गंभीर संक्रमण
  • थायराइड या कोर्टिसोल हार्मोन की कमी

हाइपोग्लाइसीमिया से बचाव

हाइपोग्लाइसीमिया दो प्रकार का होता है: मधुमेह या डाइबीटिक हाइपोग्लाइसीमिया और अन्य कारणों से होने वाला हाइपोग्लाइसीमिया। इन दोनों स्थितियों से बचाव के लिए निम्न उपाय अपनाए जा सकते हैं।

मधुमेह हाइपोग्लाइसीमिया से बचाव के लिए:

  • अपने रक्त शर्करा पर नियमित निगरानी रखें। आपकी दवाओं के आधार पर सप्ताह में या दिन में कई बार अपनी रक्त शर्करा या शुगर लेवल का रिकार्ड रखें। अपने शुगर लेवल को नियंत्रित रखने पर ध्यान दें।
  • भोजन या नाश्ते को कभी स्किप या देरी से न करें। यदि आप इंसुलिन या डाईबिटीज़ की दवाइयाँ लेते हैं, तो अपने खाने की मात्रा और अपने भोजन और नाश्ते के समय को एक समान रखें। ज़्यादा परिवर्तन शुगर लेवल को बिगाड़ सकता है।
    दवा को सही मात्रा व सही समय पर लें।
  • यदि आप अपनी शारीरिक गतिविधि या एक्सरसाइज़ बढ़ाते हैं तो अपनी दवा को उसके अनुसार बदलें और स्नैक्स खाएं। यह आपकी शारीरिक गतिविधि के समय मे बदलाव और पहले चलने वाली दवाओं की मात्रा के अनुसार परिवर्तित किया जाना चाहिए। अपने डॉक्टर से इसका परामर्श अवश्य करें।
  • यदि आप शराब पीते हैं तो उसके साथ नाश्ता जरूर लें। खाली पेट शराब पीने से शुगर लेवल कम हो कर हाइपोग्लाइसीमिया हो सकता है।
    अपने हाइपोग्लाइसीमिया में योगदान करने वाले कारणों व पैटर्न की पहचान करें ताकि उसे रोकने में मदद मिल सके।
    मधुमेह की पहचान का कोई न कोई रूप अपने साथ रखें ताकि आपात स्थिति में दूसरों को पता चले कि आपको मधुमेह है। मेडिकल पहचान कार्ड या वॉलेट कार्ड का उपयोग करें।

कई बार मधुमेह नहीं होने के बाद भी आपको हाइपोग्लाइसीमिया हो सकता है। उसके कई कारण हो सकते हैं जैसा की ऊपर बताया गया है। इस परिस्थिति में आप कुछ उपाय अपना सकते हैं, जैसे:

  • 3 बार भोजन के बजाय प्रतिदिन 5 से 6 बार छोटे मील या भोजन लें।
  • खाना स्किप न करें।
  • प्रतिदिन समान मात्रा में कार्ब का सेवन करें।
  • डाइटीशियन से आपके लिए ज़रूरी कार्ब की राय लें और उसी अनुपात में कार्ब खाएं।
  • रिफाइन्ड कार्बोहाइड्रेट्स जैसे ब्रेड, पेस्ट्री, केक, सिरप, सोडा आदि न खाएं।
  • ज़्यादा कैफीन वाले पदार्थों का सेवन न करें जैसे कॉफी, चाय या कई प्रकार के सोडा।
  • एल्कोहॉल का सेवन कम या बिल्कुल न करें। महिलायें दिन में 1 ड्रिंक और पुरुष 2 ड्रिंक ले सकते हैं।
  • खाली पेट एल्कोहॉल का सेवन बिल्कुल भी न करें। साथ में जरूर कुछ खाते रहें।
  • खाने में प्रोटीन व सब्जियों को शामिल करें।

और पढ़े : नार्मल ब्लड शुगर लेवल क्या है?

हाइपोग्लाइसीमिया में क्या खाएं?

हाइपोग्लाइसीमिया में शरीर में अचानक ग्लूकोस या शुगर का स्तर गिर जाता है। यह स्थिति बनी रहने पर घातक व जानलेवा भी हो सकती है इसलिए हाइपोग्लाइसीमिया होने पर कुछ पदार्थों के सेवन से शुगर लेवल को बढ़ाया जा सकता है। अगर आपको बार-बार ऐसा होता है तो अपने साथ कुछ मीठी खाने की चीजें हमेशा रखें। यहाँ हम बताते हैं कि आप किन पदार्थों का सेवन कर सकते हैं जैसे:

  • कैंडी, यह जल्दी से शुगर लेवल को बढ़ाती है और आसानी से अपने पास रखी जा सकती है।
  • ताज़े या सूखे मेवे।
  • उचित मात्रा में कार्बोहाइड्रेट प्रदान करने वाले फलों जैसे आधा केला, 15 अंगूर, दो बड़े चम्मच किशमिश या एक छोटा सेब या संतरा खाएं।
  • फलों का रस।
  • वसा रहित दूध।
  • चीनी या शहद।
  • नॉन-डाइट सोडा ।
  • ग्लूकोज की गोलियां ।
  • ग्लूकोज जेल ।

हाइपोग्लाइसीमिया का इलाज

शरीर में ब्लड ग्लूकोस का लेवल

यदि आपको हाइपोग्लाइसीमिया के लक्षण दिखाई देते हैं, तो इसके इलाज के लिए निम्नलिखित तरीके अपनाएं:

  • 15 से 20 ग्राम फास्ट-एक्टिंग कार्बोहाइड्रेट खाएं या पिएं। ये बिना प्रोटीन या वसा के शर्करा युक्त खाद्य पदार्थ या पेय हैं जो शरीर में आसानी से चीनी में परिवर्तित हो जाते हैं। ग्लूकोज की गोलियां या जेल, फलों का रस, रेगुलर सोडा, शहद, या मिश्री का सेवन करें।
  • इसके 15 मिनट बाद रक्त शर्करा के स्तर की दोबारा जांच करें। यदि रक्त शर्करा का स्तर अभी भी 70 mg/dL (3.9 mmol/L) से कम है, तो अन्य 15 से 20 ग्राम फास्ट-एक्टिंग कार्बोहाइड्रेट खाएं या पिएं, और 15 मिनट में अपने रक्त शर्करा के स्तर को फिर से जांचें। इन चरणों को तब तक दोहराएं जब तक कि रक्त शर्करा 70 mg/dL (3.9 mmol/L) से ऊपर न हो जाए।
  • नाश्ता या भोजन करें। एक बार जब आपका रक्त शर्करा मानक सीमा में वापस आ जाता है, तो अच्छा नाश्ता या भोजन खाने से रक्त शर्करा में और गिरावट को रोकने में मदद मिल सकती है और आपके शरीर के ग्लाइकोजन भंडार की भरपाई हो सकती है।

गंभीर हाइपोग्लाइसीमिया होने पर तत्काल उपचार

हाइपोग्लाइसीमिया एक गंभीर स्थिति है यदि इसे समय रहते उपचारित न किया जाए। इसलिए जल्दी से जल्दी अपने शुगर लेवल को बढ़ाएं। यदि व्यक्ति कुछ खा नहीं पाए तो उसे तुरंत ग्लूकागन इंजेक्शन या अंतःशिरा ग्लूकोज या ग्लुकोज़ बोतल चढ़ाएं जिससे उसकी स्थिति में तुरंत सुधार हो। अनुपचारित अवस्था में यह घातक हो सकता है और ब्रेन डैमेज, स्ट्रोक, कोमा या मृत्यु तक हो सकती है।

और पढ़े : HbA1c की नार्मल रेंज क्या होती है? 

हाइपोग्लाइसीमिया की जटिलताएं

ग्लूकोस आपके शरीर के लिए बहुत ज़रूरी है। इससे आपकी कोशिकाओं को कार्य करने की ऊर्जा मिलती है। शरीर में ग्लूकोस या शुगर की कमी होने पर शरीर के सभी अंगों की कार्यप्रणाली पर बुरा असर पड़ता है और व्यक्ति आपात स्थिति में पहुँच सकता है। अनुपचारित हाइपोग्लाइसीमिया के कारण कई जटिलताएं हो सकती है जैसे:

  • दौरा
  • बेहोशी
  • मौत

इसके अलावा हाइपोग्लाइसीमिया होने पर अन्य कई जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है जैसे:

  • चक्कर आना और कमज़ोरी
  • फॉल्स
  • चोट लगने की घटनाएं
  • मोटर वाहन दुर्घटनाएं
  • वृद्ध वयस्कों में डिमेंशिया का अधिक जोखिम

हाइपोग्लाइसीमिया अनअवेयरनेस

क्या आप जानते है की समय के साथ, हाइपोग्लाइसीमिया के बार-बार होने पर शरीर हाइपोग्लाइसीमिया के लक्षण बताना बंद कर देता है जिसे हाइपोग्लाइसीमिया अनअवेयरनेस के नाम से जाना जाता है। इस अवस्था में शरीर और मस्तिष्क लो शुगर लेवल के संकेत या लक्षण जैसे कंपकंपी या अनियमित दिल की धड़कन देना बंद कर देते हैं। ऐसे समय में गंभीर व जानलेवा हाइपोग्लाइसीमिया का खतरा बढ़ जाता है।
यदि आपको मधुमेह है और आपको बार-बार हाइपोग्लाइसीमिया और हाइपोग्लाइसीमिया अनअवेयरनेस की स्थिति का सामना करना पड़ रहा हो तो आपको डॉक्टर या हेल्थकेयर प्रोवाइडर से परामर्श लेना चाहिए जिससे वो इसको अच्छे से समझ कर आपका इलाज कर सके।
हाइपोग्लाइसीमिया अनअवेयरनेस को समझने या सही करने के लिए निरंतर ग्लूकोज मॉनिटर (सीजीएम) करना एक अच्छा विकल्प है। आपका ब्लड शुगर बहुत कम होने पर डिवाइस आपको सचेत कर सकती है।

और पढ़े: क्या डायबिटीज में चावल खा सकते है? 

डॉक्टर को कब दिखाएं?

साधारण स्थिति में ऊपर बताए गए तरीकों से शुगर लेवल को बढ़ा कर हाइपोग्लाइसीमिया का उपचार किया जा सकता है किन्तु यदि शुगर लेवल अन्य तरीकों से भी ऊपर ना आए तो तुरंत चिकित्सा सहायता लें। आप निम्नलिखित स्थितियों में चिकित्सकीय सहायता ले सकते हैं:
मधुमेह न होने पर भी बार-बार हाइपोग्लाइसीमिया के लक्षण दिखाई देना।
यदि आपको मधुमेह है और हाइपोग्लाइसीमिया के उपचार के लिए लेने वाले पदार्थ जैसे जूस, शीतल पेय, कैंडी, या ग्लूकोज की गोलियां भी असर ना करें।
यदि किसी व्यक्ति का मधुमेह का इतिहास है या उसे हाइपोग्लाइसीमिया के लक्षण बार-बार दिखने के बाद वो बेहोश हो जाए तो तुरंत उसे आपातकालीन सेवा में ले जाएं।

और पढ़े: ट्राइग्लिसराइड्स लेवल को कैसे नियंत्रित  करें ?

निष्कर्ष

शरीर को कार्य करने के लिए ऊर्जा की ज़रूरत होती है। यह ऊर्जा हमें कोशिकाओं में मौजूद ग्लूकोस से प्राप्त होती है। यदि शरीर में इस ग्लूकोस की कमी हो जाए तो शरीर पर इसके दुष्प्रभाव होने लगते है। ऐसे में व्यक्ति किसी भी समय बेहोश हो कर गिर सकता है। शरीर में शुगर लेवल के कम हो जाने पर हाइपोग्लाइसीमिया जैसी गंभीर अवस्था आ जाती है। इसका समय पर उपचार न करने पर व्यक्ति की मृत्यु तक हो सकती है।
मधुमेह रोगियों में इसकी संभावना अधिक होती है क्योंकि उनमें भोजन और डाइबिटिक दवाओं से शरीर में शुगर लेवल को नियमित रखा जाता है, इसमें थोड़े से भी बदलाव से यह शुगर व इंसुलिन स्तर बिगड़ सकता है। इसके अतिरिक्त हाइपोग्लाइसीमिया की अन्य वजहें हो सकती है जैसे कम खाना, ज्यादा काम करना, कुछ दवाएं इत्यादि। हालांकि सामान्य तौर पर शुगर लेवल कम होने पर इसे कुछ खाद्य पदार्थों की मदद से बढ़ाया जा सकता है। लेकिन गंभीर स्तिथियों में डॉक्टर से परामर्श ज़रूरी है ताकि इसे इसकी प्रथम अवस्था में ही रोका जा सके और शुगर लेवल को सामान्य किया जा सके।

और पढ़े: एंटीबायोटिक्स खाना डायबिटीज में हो सकता है खतरनाक, जानिए कैसे? 

FAQs:

क्या दालचीनी हाइपोग्लाइसीमिया के लिए अच्छा है?

चूंकि दालचीनी रक्त शर्करा को कम करती है, इसलिए यदि आपको पहले से ही निम्न रक्त शर्करा (हाइपोग्लाइसीमिया) का जोखिम हैं या यह बार-बार होता हो, तो आप अतिरिक्त दालचीनी लेने से बचें। दालचीनी में मौजूद Coumarin एक प्राकृतिक ब्लड थिनर है, इसलिए यदि आप पहले से ही ब्लड थिनर ले रहे हैं, जैसे कि वार्फरिन या स्टैटिन, तो आप दालचीनी का उपयोग ना करें। दालचीनी हाइपरग्लाइसीमिया में प्राकृतिक शर्करा के रूप में अच्छी मानी जाती है लेकिन हाइपोग्लाइसीमिया वाले इसको आपात स्थितियों में ना खाएं।

हाइपोग्लाइसीमिया के लिए सबसे अच्छा आहार क्या है?

हाइपोग्लाइसीमिया में ज़रूरी है शरीर में शुगर लेवल को बढ़ाया जाए। इसके लिए कई तरह के अधिक शर्करा वाले खाद्य पदार्थ उपयोग में लिए जा सकते हैं जिससे शुगर लेवल को सामान्य किया जा सके। इसमें आप 15-15 नियम का पालन करें। अधिक शर्करा या कार्ब के सेवन के बाद अपना शुगर लेवल 15 मिनट बाद जाँचे, यदि यह अब भी कम है तो और खाएं और फ़िर 15 मिनट बाद जाँचें। यह प्रक्रिया तब तक दोहराएं जब तक शुगर लेवल सामान्य ना हो जाए। इसके लिए आप सबसे अच्छे आहार के रूप में कई चीजें ले सकते हैं जैसे:
कैंडी (हार्ड कैंडी)
ताजे या सूखे मेवे।
उचित मात्रा में कार्बोहाइड्रेट प्रदान करने वाले फलों में आधा केला, 15 अंगूर, दो बड़े चम्मच किशमिश या एक छोटा सेब या संतरा शामिल हैं।
फलों का रस।
वसा रहित दूध।
चीनी या शहद।

शरीर में ग्लूकोज की कमी होने से क्या होता है?

शरीर को अच्छे से कार्य करने के लिए पर्याप्त मात्रा में ग्लूकोस चाहिए और उसकी अनुपस्थिति में कई तरह की परेशानियां हो सकती है। जैसे धुंधली दृष्टि, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, भ्रमित सोच, ठीक से न बोल पाना, सुन्न हो जाना, नींद आना, चक्कर आना, दिल की धड़कन बढ़ना, शरीर कांपना आदि। यदि रक्त शर्करा बहुत अधिक समय तक कम रहती है, तो मस्तिष्क की कोशकाओं में ग्लूकोज की कमी से उस पर दुष्प्रभाव पड़ते है जिससे दौरे पड़ सकते हैं, व्यक्ति कोमा में जा सकता है, और कुछ कम केस में मृत्यु तक हो सकती है।

क्या हाइपोग्लाइसीमिया से मृत्यु हो सकती है?

यदि हाइपोग्लाइसीमिया गंभीर हो जाता है, तो व्यक्ति भोजन या पेय को सुरक्षित रूप से निगलने में सक्षम नहीं रह पाते। ऐसी स्थिति में आपका शुगर लेवल 54 मिलीग्राम / डीएल से कम या 40 मिलीग्राम / डीएल से नीचे हो जाता है। व्यक्ति बेहोश हो सकता हैं, दौरे पड़ सकते हैं और मुंह से किसी भी प्रकार का तुरंत लिया जाने वाला उपचार नहीं ले पाता। यदि एसी स्थिति में व्यक्ति को तुरंत इन्जेक्शन या आईवी न दी जाए तो शीघ्र उपचार के बिना, गंभीर हाइपोग्लाइसीमिया से कोमा या मृत्यु भी हो सकती है।

हाइपोग्लाइसीमिया किसकी कमी के कारण होता है?

शरीर के लिए ज़रूरी ऊर्जा हमें ग्लूकोस से प्राप्त होती है जिसका उपयोग हमारे शरीर की कोशिकाएं करती है। यदि यह ग्लूकोस शरीर में कम हो जाए तो कोशिकाएं अपना कार्य सुचारु रूप से नहीं कर पाती और इससे शरीर पर कइ दुष्प्रभाव देखे जा सकते हैं। यदि शरीर में ग्लूकोस या इंसुलिन के लेवल कम या बिगड़ जाते हैं तो उसे हाइपोग्लाइसीमिया कहा जाता है। इंसुलिन हॉर्मोन के लेवेल्स में बदलाव इसकी वजह होती है। हाइपोग्लाइसीमिया में व्यक्ति जल्दी से थक जाता है और उसके शरीर में कंपकंपी होने लगती है, दिल की धड़कन बढ़ जाती है, चक्कर आते है, बेहोशी होने लगती है और ज्यादा गंभीर अवस्था में दौरा, स्ट्रोक, कोमा या मृत्यु तक हो सकती है।

Last Updated on by Dr. Damanjit Duggal 

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