हर व्यक्ति ने अपने जीवन में कभी न कभी किसी समय एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन किया होता है। हो सकता है बचपन मे गले मे खराश के लिए पेनिसिलिन या फ़िर साइनस और श्वसन संबंधी संक्रमण के लिए एज़ीथ्रोमाइसिन ही ली हो। कई मामलों में एंटीबायोटिक्स जीवन रक्षक होते हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि कैसे एंटीबायोटिक्स आपके डायबिटीज़ नियंत्रण को प्रभावित करते हैं। डायबिटिक लोगों को एंटीबायोटिक्स लेते समय कई बातों का ध्यान रखना चाहिए। इस ब्लॉग में हम एंटीबायोटिक्स और रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) के बारे में पढ़ेंगे।

एंटीबायोटिक्स और ब्लड शुगर
एंटीबायोटिक्स वो दवाएं हैं जो बैक्टीरिया के कारण होने वाले संक्रमण का इलाज करती है। यह शरीर में बैक्टीरिया को मारती हैं या उसकी वृद्धि को रोकती हैं। एंटीबायोटिक्स शक्तिशाली दवाएं हैं जो प्रभावी तरीके से उपयोग किए जाने पर लाखों लोगों की जान बचाती हैं।

डायबिटीज़ में एंटीबायोटिक्स का क्या प्रभाव है?
क्या एमोक्सिसिलिन रक्त शर्करा को प्रभावित कर सकता है? अलेक्जेंडर फ्लेमिंग पहले व्यक्ति थे जिन्होंने 1928 में पेनिसिलिन की खोज की थी, और अब पेनिसिलिन से जुड़े कई एंटीबायोटिक्स मौजूद हैं, जैसे एम्पीसिलीन, एमोक्सिसिलिन और बेंज़िलपेनिसिलिन। इन दवाओं का उपयोग कई संक्रमणों के उपचार में किया जाता है, जैसे छाती में संक्रमण, त्वचा में संक्रमण, साथ ही मूत्र पथ के संक्रमण (यूटीआई) आदि। इसके अलावा, कई और मौजूदा एंटीबायोटिक्स उपलब्ध हैं जिनमें शामिल हैं:
- फ्लोरोक्विनोलोन: यह एंटीबायोटिक्स एक व्यापक स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक दवाओं की श्रेणी में शामिल है। इनका उपयोग श्वसन संक्रमण और यूटीआई के उपचार में किया जाता है। इनमें सिप्रोफ्लोक्सासिन, लेवोफ़्लॉक्सासिन और ओफ़्लॉक्सासिन शामिल हो सकते हैं।
- सेफलोस्पोरिन: ये एंटीबायोटिक्स यूटीआई, श्वसन संक्रमण, कान और त्वचा के संक्रमण, सेप्सिस और बैक्टीरियल मैनिंजाइटिस के इलाज में मदद करते हैं। इनमें सेफैलेक्सिन शामिल हो सकता है।
- टेट्रासाइक्लिन: ये मुँहासे और रोसैसिया के इलाज के लिए अक्सर उपयोगी हो सकते हैं। इनमें टेट्रासाइक्लिन (सुमाइसिन, पैनमाइसिन) और साथ ही डॉक्सीसाइक्लिन (वाइब्रैमाइसिन) शामिल हैं।
- मैक्रोलाइड्स: इन्हें फेफड़े और छाती के संक्रमण के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है, और इसका उपयोग पेनिसिलिन एलर्जी या पेनिसिलिन प्रतिरोध के लिए भी किया जा सकता है। ये एरिथ्रोमाइसिन या एज़िथ्रोमाइसिन हो सकते हैं।
- एमिनोग्लाइकोसाइड्स: यह सेप्सिस जैसे गंभीर संक्रमणों के इलाज में मददगार होती है। इन्हें आईवी के माध्यम से दिया जा सकता है; हालांकि, यह खाने की दवा या ड्रॉप फॉर्म के रूप में भी उपलब्ध हैं। इनमें जेंटामाइसिन और टोब्रामाइसिन शामिल हो सकते हैं।
- सल्फोनामाइड्स: इस एंटीबायोटिक का उपयोग आंख और कान के संक्रमण, यूटीआई, ब्रोंकाइटिस, बैक्टीरियल मैनिंजाइटिस और निमोनिया के इलाज के लिए किया जा सकता है। ये Co-trimoxazole और Trimethoprim हो सकते हैं।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि कैसे एंटीबायोटिक्स आपके डायबिटीज़ नियंत्रण को प्रभावित करते हैं। डायबिटिक लोगों को एंटीबायोटिक्स लेते समय कई बातों का ध्यान रखना चाहिए। इस ब्लॉग में हम एंटीबायोटिक्स और रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) के बारे में पढ़ेंगे।
एंटीबायोटिक प्रतिरोध
हालांकि एंटीबायोटिक्स बहुत महत्वपूर्ण है लेकिन इनके अत्यधिक उपयोग से लोगों में एंटीबायोटिक प्रतिरोध या रेसिस्टेंस की अवस्था उत्पन्न हो जाती है। सेंटर्स फॉर डीज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रीवेन्शन (CDC) के अनुमान के अनुसार लगभग 20 लाख लोगों में एंटीबायोटिक का प्रतिरोध करने वाले बैक्टीरिया पाए जाते हैं और साथ ही इन संक्रमणों से हर साल लगभग 23000 लोगों की जान चली जाती है।
एंटीबायोटिक प्रतिरोध वास्तव में क्या है? संक्षेप में समझें तो, शरीर में बैक्टीरीया जैसे उन जीवाणुओं की उपस्थति जो दवाओं के असर को खत्म कर देता है। एंटीबायोटिक्स उन्हें मारने या उनके विकास में देरी करने में विफल होते हैं। सूक्ष्मजीव जैसे बैक्टीरिया, वायरस, कवक और परजीवी में दवाओं के प्रति प्रतिरोध पैदा करने की क्षमता होती है। ऐसे प्रतिरोधी जीवाणुओं को सुपरबग नाम दिया गया है। दुर्भाग्य से, एंटीबायोटिक्स वैसे तो सबसे अधिक उपयोग में ली जाने वाली दवा है (जैसे वाइरल संक्रमण में) लेकिन 50% मामलों में उन्हे अनुचित तरीकों या खुराक, समय अवधि, या मात्रा में दिया जाता है। इन वजहों से एंटीबायोटिक प्रतिरोध या रेसिस्टेंस एक बड़ी समस्या बन गया है। प्रतिरोध बैक्टीरीया के स्ट्रैन एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति या जानवरों से वातावरण मे गुणा या बढ़ सकते हैं।
क्या एंटीबायोटिक्स रक्त शर्करा स्तर को बढ़ाते हैं?
मधुमेह वाले व्यक्ति एंटीबायोटिक्स का सेवन कर सकते हैं। यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि मधुमेह रोगियों में कई प्रकार के संक्रमणों का खतरा बढ़ जाता है, जैसे कि त्वचा में संक्रमण, यूटीआई, साथ ही हाथों और पैरों में संक्रमण। यदि किसी व्यक्ति को संक्रमण होता है, तो यह जानना आवश्यक है कि
क) किसी व्यक्ति को किस प्रकार का संक्रमण है,
ख) उसकी उपचार प्लान क्या है, और
ग) सबसे उपयुक्त उपचार।
एंटीबायोटिक दवाओं की एक ऐसी श्रेणी में शामिल है फ्लोरोक्विनोलोन। यह रक्त शर्करा के स्तर में गंभीर उतार-चढ़ाव की संभावना को बढ़ाता है। इस प्रकार, उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति यूटीआई से पीड़ित है, और उसका चिकित्सक उसे सिप्रोफ्लोक्सासिन देता है, तो उसके शुगर लेवेल्स ज्यादा और कम होने का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही गैटीफ्लोक्सासिन, विशेष रूप से, गंभीर हाइपोग्लाइसीमिया (निम्न रक्त शर्करा) के साथ-साथ हाइपरग्लाइसेमिया (उच्च रक्त शर्करा) से जुड़ा हुआ है।
एक शोध अध्ययन में पाया गया है कि मधुमेह से पीड़ित वृद्ध वयस्क सल्फोनीलुरिया (ग्लिपीजाइड, ग्लाइबराइड) नामक मधुमेह विरोधी दवाओं की एक श्रेणी का सेवन कर रहे थे। अध्ययन में उन रोगियों को भी देखा गया जिन्हें विभिन्न प्रकार के एंटीबायोटिक्स (लेवोफ़्लॉक्सासिन, मेट्रोनिडाज़ोल, सिप्रोफ़्लोक्सासिन, क्लेरिथ्रोमाइसिन, या सल्फ़ामेथोक्साज़ोल-ट्राइमेथोप्रिम) दिए गए थे। ये दवाएं हाइपोग्लाइसीमिया (निम्न रक्त शर्करा) की अधिक दरों के साथ जुड़ी हुई पाई गईं, साथ ही उन हाइपोग्लाइसेमिक घटनाओं में, लगभग 40% लोगों को अस्पताल में भर्ती होने और 60% लोगों को आपातकालीन सेवाओं में ले जाना पड़ा।
इसको भी पढ़े: डायबिटीज (शुगर) के मरीजों को तरबूज खाना चाहिए या नहीं?
एंटीबायोटिक्स और शुगर लेवल/ रक्त शर्करा स्तर
मधुमेह के लिए एंटीबायोटिक्स लेना 8 बातों पर निर्भर करता है:
रोकथाम का लक्ष्य
सबसे पहले ज़रूरी है संक्रमण से बचना। इसके लिए आपका स्वस्थ रहना ज़रूरी है और इसके लिए आप बार-बार हाथ धोएं, रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित रखें, सही आहार लें, फिट और सक्रिय रहें और पर्याप्त आराम करें।
अपने संक्रमण को जानें
यदि व्यक्ति बीमार है, तो एंटीबायोटिक लेने के लिए जल्दबाजी न करें। अधिकांश संक्रमण एक वायरस के कारण होते हैं, और एंटीबायोटिक्स उनके मेकेनिज़्म पर कोई असर नहीं डालते बल्कि आपको और अधिक नुकसान पहुंचते हैं। हैं। साथ ही यह एंटीबायोटिक प्रतिरोध के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। वायरल संक्रमण जैसे सामान्य सर्दी, ब्रोंकाइटिस, फ्लू, पेट फ्लू, साथ ही कुछ कान और साइनस संक्रमण पर एंटीबायोटिक्स का कोई प्रभाव नहीं होता है।
निर्देशानुसार लें
यदि किसी व्यक्ति को एंटीबायोटिक की आवश्यकता है, तो चिकित्सक के निर्देशानुसार ही इसका सेवन करें। इसका अर्थ है कि बेहतर महसूस करने या लक्षण ठीक हो जाने के बाद भी पूरे समय के लिए पूरी खुराक का सेवन करना। इसके अलावा किसी एक संक्रमण के लिए अतिरिक्त एंटीबायोटिक का सेवन न करें जो किसी व्यक्ति को बाद में हो सकता हो। किसी और को लिखी गई या बताई गई एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन बिना चिकित्सकीय परामर्श के न करें।
जागरूक रहें
अपने चिकित्सक से विशेष संक्रमण के लिए सबसे अच्छी और प्रभावी एंटीबायोटिक के बारे में पूछें, और यह पूछना न भूलें कि उस एंटीबायोटिक का रक्त ग्लूकोज, और किसी भी मधुमेह के लिए लेने वाली दवाओं के साथ आपके शरीर पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।
नियमित रक्त शर्करा के स्तर की जाँच करें
कोई भी संक्रमण रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ाता है, और एंटीबायोटिक्स भी ऐसा कर सकते हैं। इसके परिणामस्वरूप आपके शुगर लेवल लो या काम भी हो सकते हैं। सुरक्षित रहने के लिए, दिन में कम से कम 4 बार रक्त शर्करा की जांच करना अच्छा होता है, या जितनी बार चिकित्सक या मधुमेह कोच द्वारा सलाह दी गई हो। इसके अलावा, इंसुलिन नियमों (अगर आप इंसुलिन लेते हैं), भोजन के विकल्प, और चिकित्सा सहायता लिए सिक-डे प्लान का पालन करें।
इसको भी पढ़े: शुगर लेवल चार्ट उम्र के अनुसार
जानिए साइड इफेक्ट्स के बारे में
सभी दवाओं का दुष्प्रभाव हो सकता हैं। एंटीबायोटिक दवाओं के सबसे आम दुष्प्रभाव या साइड-इफ़ेक्ट्स मतली, उल्टी, दस्त , ऐंठन, बुखार, और साथ ही साथ प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता भी हैं। कुछ व्यक्ति एंटीबायोटिक के प्रति अतिसंवेदनशीलता भी हो सकते है। कुछ अतिसंवेदनशील प्रतिक्रियाएं या रिएक्शन विशेष रूप से गंभीर भी हो सकती हैं जैसे सांस लेने में कठिनाई, पित्ती, असामान्य दिल की धड़कन, स्टीवंस-जॉनसन सिंड्रोम (एक ऐसी स्थिति जो त्वचा और श्लेष्मा झिल्ली को प्रभावित करती है), लिगामेंट टूटना, दौरे, साथ ही खांसी में खून आना या मलाशय से खून बहना। यदि इनमें से कोई भी साइड-इफ़ेक्ट्स हो तो तुरंत चिकित्सकीय सहायता लें।
प्रोबायोटिक लें
एंटीबायोटिक्स सिस्टम में मौजूद खराब बैक्टीरिया को नष्ट कर देते हैं। लेकिन दुर्भाग्य से, वे पेट में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया को भी प्रभावित करते हैं जिससे कई परेशनीय जैसे दस्त, पेट दर्द, और महिलाओं में यीस्ट संक्रमण पैदा हो जाती है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि प्रोबायोटिक्स या अच्छे बैक्टीरिया का सेवन इन प्रभावों को बेअसर कर सकता है। बाजार में कई प्रकार के प्रोबायोटिक्स हैं, और व्यक्ति को इनका सेवन करने से पहले हमेशा अपने चिकित्सक या आहार विशेषज्ञ से चर्चा करनी चाहिए। दूसरी ओर, प्रोबायोटिक्स से भरपूर खाद्य पदार्थों के सेवन पर ध्यान केंद्रित करें। इसमें शामिल है किमची, दही (जीवित कल्चर के साथ), मिसो, केफिर, खट्टी गोभी और टेम्पेह हो सकते हैं।
सारांश
क्या टाइप 2 मधुमेह का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से किया जा सकता है? एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग उच्च शर्करा से होने वाली समस्याओं के जोखिम को बढ़ा सकता है। अध्ययनों के अनुसार टाइप 2 मधुमेह रोगी अधिक एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन करते देखा गया हैं। टाइप 2 मधुमेह वाले लोग सामान्य शर्करा के स्तर वाले व्यक्तियों की तुलना में एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
हालंकी शोधकर्ताओं ने एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग और टाइप 2 मधुमेह के बीच संबंध के बारे में बताया हो, लेकिन यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि उन्होंने इसके प्रत्यक्ष कारण और प्रभाव के संबंध का पूर्ण रूप से पता नहीं लगाया। मधुमेह टाइप 2 या डायबिटीज़ टाइप 2 वाले व्यक्ति पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन करने या इंसुलिन द्वारा रक्त से शर्करा को शरीर से बाहर निकालने में विफल रहते हैं। टाइप 2 मधुमेह से पीड़ित लाखों लोगों को हृदय की समस्याओं और पुरानी समस्याओं के वजह से अन्य जोखिमों को बढ़ते देखा गया है।
सामान्यतया पूछे जाने वाले प्रश्न:
क्या मेटफोर्मिन और एंटीबायोटिक्स का एक साथ सेवन करना सुरक्षित है?
अध्ययनों से पता चला है कि मेटफॉर्मिन में अन्य एंटीबायोटिक दवाओं के साथ उपयोग करने की क्षमता है, और मेटफॉर्मिन बैक्टीरिया के प्रतिरोध को कम कर सकता है और साथ ही एंटीबायोटिक दवाओं के असर को प्रभावी रूप से बढ़ा सकता है।
क्या एंटीबायोटिक्स मधुमेह को बदतर बनाते हैं या मधुमेह स्थिति को खराब करते हैं?
अधिक एंटीबायोटिक्स लेना महुमह को बुलावा देता है। जिन लोगों को 2-4 परामर्श पर्चों में एंटीबायोटिक्स दी जाती है उनमें टाइप 2 डायबिटीज़ का जोखिम 0-1 परामर्श पर्चों में दी जाने वाली एंटीबायोटिक्स से 54% अधिक होता है।
मधुमेह में कौन सी एंटीबायोटिक्स नहीं लेनी चाहिए?
मधुमेह रोगियों को गैटिफ्लोक्सासिन का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके बजाय वैकल्पिक एंटीबायोटिक लेनी चाहती है (साथ ही लेवोफ़्लॉक्सासिन का उपयोग सावधानी के साथ किया जाना चाहिए)।
क्या एमोक्सिसिलिन रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ाता है?
ज्यादातर मामलों में उपयोगी, Amoxicillin-Clavulanate (Augmentin) एक व्यापक-स्पेक्ट्रम वाला एंटीबायोटिक है। इस एंटीबायोटिक सभी ग्राम-पॉजिटिव, ग्राम-नेगेटिव और एनारोबिक बैक्टीरिया के लिए असरदार है। मधुमेह रोगियों के लिए एमोक्सिसिलिन, लोकल सेल्युलाइटिस के साथ हल्के से मध्यम मधुमेह के पैर के संक्रमण में प्रभावी पाया गया है।
Disclaimer
The information included at this site is for educational purposes only and is not intended to be a substitute for medical treatment by a healthcare professional. Because of unique individual needs, the reader should consult their physician to determine the appropriateness of the information for the reader’s situation.