पोस्ट-प्रैंडियल ब्लड शुगर (पीपीबीएस) टेस्ट, लेवल और सामान्य सीमा – PPBS Test & Range in Hindi

Last updated on अक्टूबर 26th, 2023

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पोस्ट-प्रैंडियल ब्लड ग्लूकोज लेवल कितना होना चाहिए?

ब्लड ग्लूकोज लेवल आपके ब्लड फ्लो में शुगर या ग्लूकोज की मात्रा है। भोजन के बाद शुगर का लेवल बदल जाता है चाहे आप डायबिटिक हों या नहीं।

भोजन के बाद ब्लड ग्लूकोज लेवल (खाने के 1 या 2 घंटे बाद) आपके खाने के बाद का ब्लड ग्लूकोज मान होता है।

भोजन से पहले और बाद में अपने ब्लड ग्लूकोज  के लेवल पर नज़र रखना डायबिटीज मैनेजमेंट का ही अंग है।

यह आपको आपके ओवरऑल हेल्थ की एक पूरी जानकारी देता है। इससे आपको यह जानने में भी मदद मिलती है कि आपका शरीर डायबिटीज से कैसे निपट रहा है।

भोजन के बाद ब्लड ग्लूकोज टेस्ट(पीपी परीक्षण) और खाने के बाद ब्लड ग्लूकोज को कैसे कंट्रोल कर सकते हैं  इसके बारे में ज्यादा जानने के लिए इस ब्लॉग को पढ़ें।

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फास्टिंग (उपवास) और पोस्ट प्रैंडियल ब्लड शुगर टेस्ट (पीपीबीएस टेस्ट) – PPBS Test in Hindi

सबसे नॉर्मल ब्लड ग्लूकोज टेस्ट हैं-

  • खाने के पहले ब्लड ग्लूकोज टेस्ट
  • खाने के बाद ब्लड ग्लूकोज टेस्ट (पीपीबीएस परीक्षण)

खाने के पहले ब्लड ग्लूकोज टेस्ट  के लिए रात भर लगभग 8-10 घंटे के उपवास (फास्टिंग) की जरूरत होती है। यह इस बात को इंडिकेट करता है कि आपका शरीर ब्लड ग्लूकोज  लेवल को कितनी अच्छी तरह कंट्रोल कर रहा है।

पीपीबीएस टेस्ट या ब्लड शुगर पीपी का मतलब खाने के 2 घंटे बाद ब्लड ग्लूकोज के लेवल को मापना है। भोजन के बाद आपके ब्लड ग्लूकोज का लेवल बढ़ सकता है और खाने के 1 घंटे बाद सबसे हाई होता है।

पीपी टेस्ट से आपके प्रीडायबिटीज, टाइप-1 या टाइप-2 डायबिटीज का पता चलता है।

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भोजन के बाद ब्लड ग्लूकोज टेस्ट (पीपीबीएस टेस्ट) की जरूरत-

भोजन के बाद ब्लड ग्लूकोज  का लेवल, जिसे अक्सर पीपीबीएस लेवल के रूप में जाना जाता है, भोजन के लिए आपके शरीर की रिस्पॉन्स को समझने और ओवरऑल हेल्थ को बनाए रखने में महत्वपूर्ण रोल निभाता है। इससे यह भी पता चलता है कि आपका शरीर बढ़े हुए ब्लड ग्लूकोज लेवल पर कितनी अच्छी तरह रिस्पॉन्स करता है।

खाने के बाद आपका डाईजेशन सिस्टम भोजन से कार्बोहाइड्रेट को ग्लूकोज में तोड़ देता है (खाने के 10 मिनट बाद)  फिर ग्लूकोज आपके ब्लड फ्लो में प्रवेश करना शुरू कर देता है, जिससे आपके ब्लड ग्लूकोज  का लेवल बढ़ जाता है।

इसके बाद, आपका अग्न्याशय(पैंक्रियाज) आपको एनर्जी देने के लिए आपकी मांसपेशियों(मसल्स) की सेल्स(कोशिकाओं) में ब्लड ग्लूकोज पहुंचाने के लिए इंसुलिन जारी करता है।

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पीपी ब्लड शुगर की जरूरत को समझने के लिए मुख्य बिंदु

Factors Determining pp blood sugar

इमिडिएट (तत्काल) ग्लूकोज रिस्पॉन्स

भोजन के लगभग 1 से 2 घंटे बाद ब्लड ग्लूकोज  (पीपी ब्लड ग्लूकोज ) को मापने से यह पहचानने में मदद मिलती है कि खाने के तुरंत बाद आपका शरीर ग्लूकोज का मैनेजमेंट कैसे करता है।

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समय पर कंट्रोल के लिए प्रारंभिक जांच

भोजन के बाद ब्लड ग्लूकोज के हाई लेवल का पता लगाने से डायबिटीज या प्रीडायबिटिक की शुरुआती जानकारी मिल जाती है। यह आपको समय पर लाइफस्टाइल में बदलाव करने या आगे की दिक्कतों को रोकने के लिए मेडिकल एडवाइस लेने का सुझाव देता है।

पर्सनलाइज न्यूट्रिशन

यह समझना कि सारे फूड आइटम्स खाने के बाद ये आपके ब्लड ग्लूकोज लेवल को कैसे इफेक्ट करते हैं। यह जानकारी आपको भोजन स्ट्रक्चर और कार्बोहाइड्रेट कंजम्पशन(खपत) के बारे में डिसीजन लेने के काबिल बनाता है।

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डायबिटीज से होने वाली समस्याओं को रोकना

खाने के बाद ब्लड ग्लूकोज का लगातार बढ़ा हुआ लेवल हार्ट डिजीज, नर्व डैमेज, किडनी प्रॉब्लम और डायबिटीज से जुड़ी दूसरी समस्याओं के खतरे को बढ़ा सकता है। इनकी मॉनिटरिंग और मैनेजमेंट अच्छे हेल्थ में काफी योगदान देता है।

ट्रीटमेंट एडजस्टमेंट

हेल्थ केयर प्रोवाइडर डायबिटीज ट्रीटमेंट प्लान को तैयार करने के लिए पीपी ब्लड ग्लूकोज  डेटा का इस्तेमाल करते हैं। यदि लेवल लगातार तय सीमा से ज्यादा है तो दवा, डाइट या फिजिकल एक्टिविटी में एडजस्टमेंट जरूरी हो सकता है।

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ओवरऑल हेल्थ

खाने के बाद ब्लड ग्लूकोज स्टेबल बनाए रखने से एनर्जी स्टेबिलिटी को बढ़ावा मिलता है, मूड स्विंग कम होता है, और पूरे दिन निरंतर कंसंट्रेशन (एकाग्रता) बनाए रखने में मदद मिलती है।

उन फैक्टर्स पर फोकस करना है जो खाने के बाद शुगर लेवल को बढ़ाते हैं, ताकि आपका अग्न्याशय(पैंक्रियाज)  ब्लड ग्लूकोज को एनर्जी में बदलने के लिए ज्यादा सही ढंग से काम कर सके।

आइए उन फैक्टर्स  को समझें जो आपके शुगर पीपी की नॉर्मल रेंज को प्रभावित करते हैं।

भोजन के बाद ब्लड ग्लूकोज लेवल (पीपी ब्लड ग्लूकोज ) को प्रभावित करने वाले फैक्टर

Factors affecting blood glucose level

खाने के बाद आपके ब्लड ग्लूकोज बढ़ने के कई कारण हैं। लेकिन ज्यादातर लोगों के पास इसका कोई जवाब नहीं है। इसका जवाब उन फैक्टर्स पर डिपेंड करता है जो आपके शरीर की रिस्पॉन्स को इनफ्लुएंस करते हैं।

आइए भोजन के बाद ब्लड ग्लूकोज  लेवल के पीछे के विज्ञान और इसमें आने वाले प्रमुख फैक्टर्स  के बारे में जानें।

कार्बोहाइड्रेट

कार्बोहाइड्रेट आपके शरीर की एनर्जी का प्राइमरी सोर्स हैं। जब आप कार्बोहाइड्रेट से भरपूर चीजें (जैसे चावल, रोटी और फल) खाते हैं  तो आपका डाईजेशन सिस्टम उन्हें ग्लूकोज में तोड़ देता है। यह ग्लूकोज आपके ब्लड फ्लो में प्रवेश करता है, जिससे आपके ब्लड ग्लूकोज  का लेवल बढ़ जाता है। आपके द्वारा खाए जाने वाले कार्बोहाइड्रेट का प्रकार और मात्रा सीधे तौर पर आपके पीपीबीएस के लेवल पर प्रभाव डालती है।

फाइबर सामग्री

हाई-फाइबर डाइट जैसे साबुत अनाज, सब्जियां और फलियां, ब्लड ग्लूकोज लेवल पर धीमा प्रभाव डालते हैं। फाइबर डाईजेशन प्रॉसेस को धीमा कर देता है जिसका मतलब है कि ग्लूकोज ब्लड फ्लो में धीरे-धीरे प्रवेश करता है, जिससे ब्लड ग्लूकोज को तेजी से बढ़ने से रोका जा सकता है।

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पोर्शन(भाग) का साइज(आकार)

आपके द्वारा खाए जाने वाले भोजन की मात्रा एक जरूरी भूमिका निभाती है। बड़े हिस्से का मतलब अक्सर कार्बोहाइड्रेट का ज्यादा सेवन होता है, जिससे ब्लड ग्लूकोज लेवल तेजी से बढ़ जाता है। सही डोज का चयन करने से खाने के बाद ग्लूकोज को मैनेज करने में मदद मिलती है।

फूड स्ट्रक्चर

भोजन में कई तरह के न्यूट्रिशन होते हैं जो हमारे  शरीर में ग्लूकोज के रिलीज होने को प्रभावित करते हैं। कार्बोहाइड्रेट के साथ-साथ प्रोटीन और हेल्दी फैट को शामिल करने से ग्लूकोज का एबजॉरबेशन धीमा हो सकता है, जिसके कारण ज्यादा स्टेबल ब्लड ग्लूकोज रिस्पॉन्स और बेहतर पीपीबीएस टेस्ट हो सकता है।

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ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई)

ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड आइटम्स को इस आधार पर अलग-अलग बांटता है कि वे कितनी तेजी से ब्लड ग्लूकोज के लेवल को बढ़ाते हैं। हाई-जीआई फूड मटेरियल जैसे मीठे स्नैक्स तेजी से ग्लूकोज बढ़ाते हैं। लो-जीआई वाले फूड मटेरियल, जैसे साबुत अनाज हल्के-हल्के ग्लूकोज को बढ़ाते हैं। लो-जीआई वाली चीजें खाने से ब्लड ग्लूकोज को कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है।

फिजिकल एक्टिविटी

खाने के बाद फिजिकल एक्टिविटी में शामिल होने से सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। एक्सरसाइज मांसपेशियों की सेल्स को ब्लड फ्लो से ग्लूकोज को एब्जॉर्ब करने में मदद करता है, जिससे ब्लड ग्लूकोज का लेवल कम होता है। यहां तक कि भोजन के बाद थोड़ी सी सैर भी बेहतर ग्लूकोज कंट्रोल में योगदान कर सकती है।

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दवाएं और इंसुलिन

डायबिटीज से पीड़ित व्यक्तियों के लिए, दवाएं या इंसुलिन इंजेक्शन शरीर की ग्लूकोज के लिए रिस्पॉन्स को प्रभावित कर सकते हैं। भोजन के बाद ब्लड ग्लूकोज को सही ढंग से मैनेज करने के लिए डोज और समय के संबंध में अपने हेल्थ केयर प्रोवाइडर  की सलाह का पालन करना जरूरी है।

इंडिविजुअल वैरीबिल्टी

हर व्यक्ति का मेटाबॉलिज्म अलग-अलग होता है। आनुवंशिकी, उम्र और ओवरऑल हेल्थ जैसे फैक्टर आपके शरीर द्वारा ग्लूकोज को रिलीज करने के तरीके को अफेक्ट करते हैं। एक व्यक्ति के ब्लड ग्लूकोज में अगर इजाफा हो रहा है तो हो सकता है की दूसरे व्यक्ति पर काफी हल्का प्रभाव हो।

आप भोजन के बाद ब्लड ग्लूकोज पर बेहतर कंट्रोल के लिए इन फैक्टर्स को बैलेंस करने के बारे में फुल गाइडेंस प्राप्त कर सकते हैं।

ब्रीद वेल-बीइंग में हमारे डायबिटीज रिवर्सल एक्सपर्ट आपके खाने के बाद ब्लड के ग्लूकोज लेवल को ज्यादा सही ढंग से मैनेज करने में मदद करने के लिए 100% नैचुरल,और पर्सनल प्लान (आपके शरीर की जरूरतों के लिए सबसे उपयुक्त) तैयार करेंगे।

इसके अलावा आपको ब्रीद वेल-बीइंग के साथ इस बारे में ज्यादा जानकारी मिलेगी कि आपकी डायबिटीज का रिवर्स प्रॉसेस कैसा होगा।

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भोजन के दो घंटे बाद पीपी ब्लड शुगर टेस्ट क्यों किया जाता है?

जब आप कार्बोहाइड्रेट का इस्तेमाल करते हैं तो आपके ब्लड ग्लूकोज का लेवल अचानक बढ़ जाता है और इंसुलिन को आपके ब्लड ग्लूकोज  लेवल को सामान्य दशा में वापस लाने में लगभग एक या दो घंटे लगते हैं।

यदि आपको डायबिटीज है तो आपके ब्लड ग्लूकोज लेवल को वापस सामान्य नहीं किया जा सकता है। इसलिए खाने के बाद के ब्लड ग्लूकोज टेस्ट से यह पता किया जाता है कि आपके ब्लड ग्लूकोज का लेवल सामान्य पर वापस आ रहा है या नहीं। खाने के बाद ब्लड ग्लूकोज टेस्ट किया जाता है।

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पीपी परीक्षण या खाने के बाद ब्लड ग्लूकोज टेस्ट की जरूरत का संकेत देने वाले लक्षण

आपके डायबिटीज या इंसुलिन प्रॉब्लम के बारे में जानने के लिए पीपी ब्लड ग्लूकोज लेवल टेस्ट किया जाता है। यदि आपके अंदर ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं तो आपका हेल्थ सर्विस प्रोवाइडर इस टेस्ट का सुझाव दे सकता है-

  • जल्दी पेशाब आना
  • घाव जो धीरे-धीरे ठीक होते हैं
  • धुंधली दृष्टि(ब्लर्ड विजन)
  • थकान
  • बार-बार प्यास लगना
  • बार-बार संक्रमण होना

जेस्टेशनल डायबिटीज का पता लगाने के लिए आपको प्रेगनेंसी के दौरान यह टेस्ट करवाना पड़ सकता है। इस प्रकार का डायबिटीज प्रेगनेंसी के दौरान होता है। डिलीवरी के बाद भी यह जारी रह सकता है और नहीं भी। आपके और आपके बच्चे के हेल्थ प्रॉब्लम से बचने के लिए जेस्टेशनल डायबिटीज का इलाज करना जरूरी है।

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खाने के बाद ग्लूकोज़ टेस्ट की तैयारी

आपका डॉक्टर आपको भोजन के बाद ग्लूकोज टेस्ट से पहले खाने के पहले टेस्ट के लिए कह सकता है। खाली पेट ग्लूकोज टेस्ट के लिए आपको टेस्ट से पहले कम से कम 8 घंटे का उपवास करना होगा।

इसके बाद आपको लगभग 75 ग्राम कार्बोहाइड्रेट से भरपूर भोजन करना होगा।

फिर हेल्थ सर्विस प्रोवाइडर  पीपी ब्लड ग्लूकोज टेस्ट के लिए आपका अगला सैंपल (भोजन के 2 घंटे बाद) लेंगें।

यह तय करें कि आप पीपी टेस्ट से पहले किसी भी फिजिकल एक्टिविटी में शामिल न हों। आपको बस 2 घंटे आराम करने की जरूरत है। फिजिकल एक्टिविटी, वर्कआउट आपके ब्लड ग्लूकोज लेवल को बदल सकते हैं।

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पीपी ब्लड ग्लूकोज टेस्ट रिजल्ट की व्याख्या

खाने के बाद शुगर लेवल टेस्ट के परिणाम व्यक्ति की उम्र, जेंडर और मेडिकल हिस्ट्री पर डिपेंड करते हैं। खाने के बाद सामान्य ब्लड ग्लूकोज रिजल्ट मिलना या न मिलना अलग फैक्टर्स पर डिपेंड करता है। यहां सामान्य, खाली पेट और खाने के बाद ब्लड ग्लूकोज लेवल के लिए कुछ नॉर्मल वैल्यू दिए गए हैं-

खाने के बाद ब्लड ग्लूकोज  का लेवल- खाने के 1 घंटे बाद

नॉन-डायबिटिक व्यक्ति–  एक हेल्दी व्यक्ति के लिए भोजन के 1 घंटे बाद ग्लूकोज की सामान्य सीमा 170 मिलीग्राम/डीएल से 199 मिलीग्राम/डीएल के बीच होनी चाहिए

इसे खाना खाने के बाद का सामान्य ब्लड ग्लूकोज वैल्यू माना जाता है।

प्री-डायबिटिक- प्रीडायबिटिक से पीड़ित व्यक्ति जिन्हें टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा ज्यादा होता है उन्हें भोजन के बाद का लेवल सामान्य से थोड़ा ज्यादा अनुभव हो सकता है। 200 मिलीग्राम/डीएल और 230 मिलीग्राम/डीएल के बीच का लेवल खराब ग्लूकोज टॉलरेंस का संकेत देता है।

डायबिटीज- डायबिटीज वाले लोगों में भोजन के एक घंटे बाद ब्लड ग्लूकोज का लेवल 200 मिलीग्राम/डीएल (आमतौर पर 230-300 मिलीग्राम/डीएल के बीच) से ज्यादा हो सकता है।

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खाने के बाद ब्लड ग्लूकोज  का लेवल- खाने के 2 घंटे बाद

सामान्य व्यक्ति- भोजन के 2 घंटे बाद ग्लूकोज की सामान्य सीमा 140 मिलीग्राम/डीएल से कम एक हेल्दी व्यक्ति के लिए सामान्य माना जाता है। शरीर की इंसुलिन रिस्पॉन्स खाने के 2 घंटे बाद ब्लड ग्लूकोज सीमा को नॉर्मल बनाए रखने में मदद करती है।

प्री-डायबिटिक-  प्रीडायबिटिक वाले लोगों के लिए खाने के  2 घंटे बाद में 140 मिलीग्राम/डीएल और 160 मिलीग्राम/डीएल के बीच का लेवल है।

ग्लूकोज टॉलरेंस में कमी, खतरे को मैनेज करने के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव की जरूरत होती है।

डायबिटीज- डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति का भोजन के 2 घंटे बाद ब्लड ग्लूकोज का लेवल 200 मिलीग्राम/डीएल से ज्यादा हो सकता है।

ध्यान दें-  टाइप 1 डायबिटीज पीड़ित अगर पहले से ही इंसुलिन ले रहे हैं तो खाने के बाद उनके ब्लड ग्लूकोज का लेवल 300 मिलीग्राम/डीएल से ऊपर बढ़ सकता है (अलग फैक्टर्स  के अनुसार अलग हो सकता है)।

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समरी (सारांश)-

खाने के बाद शरीर में शुगर के लेवल में उतार-चढ़ाव होता है। नॉन-डायबिटिक व्यक्ति के लिए यह 90-130 mg/dL के बीच रहेगा। प्री डायबिटिक और डायबिटीज रोगियों के लिए यह 140 mg/dL और 200 mg/dL से ज्यादा होगा।

भोजन के 1 घंटे बाद ब्लड ग्लूकोज  का लेवल भोजन के 2 घंटे बाद ब्लड ग्लूकोज  का लेवल
सामान्य

शुगर

लेवल

170 मिलीग्राम/डीएल से 199 मिलीग्राम/डीएल 120 मिलीग्राम/डीएल से 140 मिलीग्राम/डीएल
प्रीडायबिटीज (ग्लूकोज की कमी) 200 मिलीग्राम/डीएल से 230 मिलीग्राम/डीएल 140 मिलीग्राम/डीएल से 160 मिलीग्राम/डीएल
डायबिटीज 230 मिलीग्राम/डीएल से 300 मिलीग्राम/डीएल >200 मिलीग्राम/डीएल

खाने के बाद प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट लेवल(Plasma Glucose Post Prandial)

भोजन के बाद का प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट खाने के बाद के ब्लड ग्लूकोज टेस्ट के समान नहीं है।

जब हम ‘ब्लड ग्लूकोज टेस्ट’ की बात करते हैं तो इसका मतलब पूरे ब्लड में ग्लूकोज का लेवल होता है जिसमें ब्लड का तरल भाग (प्लाज्मा) और सेलुलर घटक (लाल और सफेद ब्लड सेल्स) दोनों शामिल होते हैं।

दूसरी ओर ‘प्लाज्मा टेस्ट’ स्पेशल रूप से ब्लड के प्लाज्मा में ग्लूकोज के लेवल को मापता है जो कि ब्लड सेल्स को हटा दिए जाने के बाद बचा हुआ पीला लिक्विड मटेरियल होता है। इस लिक्विड में पानी, इलेक्ट्रोलाइट्स, हार्मोन और ग्लूकोज जैसे कई न्यूट्रिशन एलिमेंट होते हैं।

पूरे ब्लड के बजाय प्लाज्मा में ग्लूकोज को मापने का कारण यह है कि प्लाज्मा में ग्लूकोज की कंसंट्रेशन (सांद्रता) पूरे ब्लड की तुलना में थोड़ी ज्यादा होती है।

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन (एनएलएम) के अनुसार प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट के परिणाम आम तौर पर पूरे ब्लड ग्लूकोज टेस्ट के परिणामों से 10-15% ज्यादा होते हैं।

यह अंतर इसलिए है क्योंकि ग्लूकोज मुख्य रूप से ब्लड के तरल भाग (प्लाज्मा) में पाया जाता है, जबकि ब्लड सेल्स थोड़ी मात्रा में ग्लूकोज का इस्तेमाल करती हैं।

इसलिए यदि ग्लूकोज को मापने के लिए प्लाज्मा टेस्ट का उपयोग किया जाता है तो परिणाम ब्लड ग्लूकोज टेस्ट की तुलना में थोड़ा ज्यादा होंगे।

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आइए जानें पोस्ट प्रैंडियल प्लाज्मा ग्लूकोज के बारे में

भोजन के बाद प्लाज्मा ग्लूकोज लेवल-  खाने के 1 घंटे बाद

नॉन-डायबिटीज व्यक्ति-  एक हेल्दी व्यक्ति के लिए भोजन के 1 घंटे बाद ग्लूकोज की सामान्य सीमा 190 मिलीग्राम/डीएल  से 225 मिलीग्राम/डीएल के बीच होनी चाहिए।

प्री-डायबिटिक-  प्रीडायबिटिक से पीड़ित व्यक्ति जिन्हें टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा ज्यादा होता है उन्हें भोजन के बाद का लेवल सामान्य से थोड़ा ज्यादा अनुभव हो सकता है। 225 मिलीग्राम/डीएल और 260 मिलीग्राम/डीएल के बीच का लेवल खराब ग्लूकोज टॉलरेंस का संकेत देता है।

डायबिटीज- डायबिटीज वाले लोगों में भोजन के एक घंटे बाद ब्लड ग्लूकोज  का लेवल 225 मिलीग्राम/डीएल (आमतौर पर 260 मिलीग्राम/डीएल – 335 मिलीग्राम/डीएल के बीच) से ज्यादा हो सकता है।

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खाना खाने के 2 घंटे बाद बाद प्लाज्मा ग्लूकोज लेवल-

सामान्य व्यक्ति- भोजन के 2 घंटे बाद ग्लूकोज की सामान्य सीमा 155 मिलीग्राम/डीएल से कम होना एक हेल्दी व्यक्ति के लिए नॉर्मल माना जाता है। शरीर की इंसुलिन रिस्पॉन्स भोजन के बाद  2 घंटे तक ब्लड ग्लूकोज सीमा को नॉर्मल बनाए रखने में मदद करती है।

प्री-डायबिटिक- प्रीडायबिटिक वाले लोगों के लिए खाने के 2 घंटे बाद में 155 मिलीग्राम/डीएल और 180 मिलीग्राम/डीएल के बीच का लेवल खराब ग्लूकोज टॉलरेंस का संकेत देता है। जिसे मैनेज करने के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव की जरूरत होती है।

डायबिटिक- डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति का भोजन के 2 घंटे बाद ब्लड ग्लूकोज  का लेवल 225 मिलीग्राम/डीएल तक हो सकता है।

ध्यान दें-  ऊपर बताई गई पोस्ट-प्रैंडियल प्लाज्मा ग्लूकोज मान 12% के डिफरेंस को ध्यान में रख कर डिसाइड किया जाता है क्योंकि प्लाज्मा ग्लूकोज का लेवल आमतौर पर पूरे ब्लड ग्लूकोज के लेवल से 10-15% ज्यादा होता है।

भोजन के 1 घंटा बाद प्लाज्मा ग्लूकोज़ लेवल भोजन के 2 घंटे बाद प्लाज्मा ग्लूकोज लेवल
सामान्य 

प्लाज्मा 

लेवल

190 मिलीग्राम/डीएल से 225 मिलीग्राम/डीएल 135 मिलीग्राम/डीएल से 155 मिलीग्राम/डीएल
प्रीडायबिटीज (ग्लूकोज की कमी) 225 मिलीग्राम/डीएल से 260 मिलीग्राम/डीएल 155 मिलीग्राम/डीएल से 180 मिलीग्राम/डीएल
डायबिटीज 260 मिलीग्राम/डीएल से 335 मिलीग्राम/डीएल >225 मिलीग्राम/डीएल

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प्रेगनेंसी (गर्भावस्था) के दौरान खाने के बाद ब्लड ग्लूकोज का लेवल

जेस्टेशनल (गर्भावधि) डायबिटीज या प्रेगनेंसी (गर्भावस्था) के दौरान डायबिटीज आम होता जा रहा है। जेस्टेशनल डायबिटीज के लिए अपना इलाज जल्द से जल्द शुरू करना जरूरी है। यह प्रेगनेंसी के कॉम्प्लिकेशन से बचने में मदद करता है और आपके बच्चे को हेल्दी रखता है।

गर्भवती महिलाओं के लिए भोजन के बाद सामान्य शुगर सीमा 120 मिलीग्राम/डीएल या उससे कम है। हाई वैल्यू जेस्टेशनल डायबिटीज का संकेत देते हैं। इसके इलाज में डाइट प्लान, फिजिकल एक्टिविटी, दवाएँ और इंसुलिन थेरेपी (यदि डॉक्टर द्वारा सुझाया गया हो) शामिल हैं।

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भोजन के बाद ब्लड ग्लूकोज को बढ़ने से रोकने के लिए उपाय

Methods to stop increasing blood glucose after food

डायबिटीज से पीड़ित ऐसे लोग भी हैं जो भोजन के बाद ग्लूकोज बढ़ने का अनुभव करते हैं। इसका मतलब है कि भोजन के बाद उनका ब्लड ग्लूकोज लेवल अस्थायी रूप से बढ़ जाता है। जब भोजन के बाद शुगर का लेवल बहुत ज्यादा हो जाता है तो यह सीरियस हेल्थ प्रॉब्लम खड़ी कर सकता है। इसलिए अपने शुगर लेवल को कंट्रोल में रखना ज़रूरी है। यहां कुछ उपाय बताए गए  हैं जो आपकी पीपी शुगर को सामान्य सीमा बनाए रखने में आपकी मदद करते हैं।

स्ट्रेस(तनाव) मैनेजमेंट

आप लाइफस्टाइल मैनेजमेंट  से अपने ब्लड ग्लूकोज को कंट्रोल कर सकते हैं। तनाव को अपने जीवन से दूर रखें। स्ट्रेस(तनाव) आपके शरीर में कुछ हार्मोन जारी करता है जो स्टोर एनर्जी को शुगर के रूप में रिलीज करने से रोकता है। तब आपका ब्लड ग्लूकोज लेवल बढ़ जाता है।

पर्याप्त नींद

पर्याप्त और अच्छी नींद आपके डायबिटीज मैनेजमेंट का एक जरूरी  हिस्सा है। नींद की कमी इंसुलिन रेजिस्टेंस को बढ़ावा देती है। जिस कारण आपके ब्लड ग्लूकोज  का लेवल बढ़ जाता है। इसलिए आपको प्रतिदिन 7-8 घंटे की उचित नींद लेनी चाहिए। अच्छी नींद का आनंद लेने के लिए आप मेडिटेशन कर सकते हैं। यह आपको फ्रेश भी रखेगा।

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अपना नाश्ता न छोड़ें

आपको अपने दिन की शुरुआत हमेशा हेल्दी नाश्ते से करनी चाहिए। अपने नाश्ते में ढेर सारे फल, कम कार्ब वाला भोजन और प्रोटीन शामिल करें। यह नाश्ते के बाद पीपी शुगर की नॉर्मल लेवल के लिए आपकी मदद करता है। जब आप नाश्ता छोड़ते हैं, तो कुछ समय बाद आपका शरीर पहले से मौजूद ग्लूकोज का इस्तेमाल करेगा।

रोजाना एक्सरसाइज करें

तेज चलना, हल्का घरेलू काम और योग जैसे हल्के एक्सरसाइज भी आपके ब्लड ग्लूकोज के लेवल को कंट्रोल करने में मदद कर सकते हैं। यह इंसुलिन के लिए आपके शरीर की रिस्पॉन्स को बेहतर बनाने में भी मदद करता है। यह आपके वजन को कंट्रोल रखने में भी मदद करता है ताकि आपका शरीर इंसुलिन का सही ढंग से इस्तेमाल कर सके।

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ज्यादा फाइबर खाएं

आसानी से घुलने वाले फाइबर शुगर स्पाइक्स को कंट्रोल करने में मदद करते हैं। ऐसे फाइबर पानी में घुल जाते हैं और आपके शरीर में एक जेल जैसा सब्सटेंस बनाते हैं। इसलिए, यह आंत(गट) में कार्ब्स के धीमे एबजॉरबेशन में मदद करता है। यह आपको पेट भरा हुआ महसूस कराने और आपके कार्बोहाइड्रेट इंटेक को कम करने में मदद करता है। इस तरह खाने के बाद ग्लूकोज का लेवल आपके  कंट्रोल में आ सकता है।

शुगर का इस्तेमाल कम करें

जब आप मीठा खाते हैं तो आपका शरीर आसानी से शुगर को एब्जॉर्ब कर लेता है। ऐसे भोजन में साधारण शुगर होती है जो आसानी से टूट जाती है। इससे आपका ब्लड ग्लूकोज  लेवल तुरंत बढ़ जाता  है। आपको “नो शुगर”, “शुगर-फ्री” या “लो-शुगर”  लेबल वाले खाने की चीजों के बारे में भी पता होना चाहिए। ऐसे लेबल का मतलब कार्बोहाइड्रेट-फ्री नहीं है। इसलिए किराना और पैक्ड फूड आइटम्स खरीदने से पहले कृपया न्यूट्रिशन संबंधी फैक्ट की जांच कर लें।

और पढ़े : क्या डायबिटीज के मरीज शराब पी सकते हैं ?

खूब पानी पियें

डिहाईड्रेशन ब्लड ग्लूकोज के लेवल को नेगेटिव तरीके से प्रभावित करता है। आपके शरीर में पानी की कमी वैसोप्रेसिन हार्मोन के सिक्रेशन को बढ़ावा देती है। यह आपके किडनी को यूरिन के जरिए आपके शरीर से ज्यादा शुगर को बाहर निकलने से रोकने के लिए बढ़ावा देता है। इसलिए, भोजन के बाद ग्लूकोज के लेवल को बनाए रखने और शुगर को बढ़ने से रोकने के लिए हर दिन कम से कम 3 लीटर पानी पीना जरूरी है।

अपने आहार में क्रोमियम और मैग्नीशियम को शामिल करें

ऐसे कई सबूत हैं जो दिखाते हैं कि क्रोमियम और मैग्नीशियम एक साथ मिलकर आपके शरीर में इंसुलिन सेंसटिविटी को बढ़ाने में मदद करते हैं। मानव शरीर को इन दोनों मिनिरल्स की बहुत कम मात्रा में जरूरत होती है।  इन दो मिनिरल्स के सोर्स हैं बादाम, ब्रोकोली, टमाटर, पालक, एवोकाडो, मूंगफली और काजू ।

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अपना समय मैनेज करें

आपके खाने और नाश्ते का समय आपके ब्लड ग्लूकोज  के लेवल को प्रभावित करता है। एक ही शेड्यूल को फॉलो  करने से आपके ब्लड ग्लूकोज लेवल को स्टेबल बनाए रखने में मदद मिलती है। ब्लड ग्लूकोज को बढ़ने से रोकने के लिए दवा, इंसुलिन और खाने के लिए अपना समय मैनेज करें। उदाहरण के लिए जब आप भोजन से 30 मिनट पहले इंसुलिन लेते हैं तो यह बेहतर काम करता है। यह आपके खाने का ग्लूकोज आपके ब्लड फ्लो में पहुंचने से पहले इंसुलिन को काम करने में सक्षम बनाता है।

अपने ग्लूकोज लेवल को रेगुलर ट्रैक करें

अपने ब्लड ग्लूकोज  लेवल की रेगुलर मॉनिटरिंग करना बहुत जरूरी है। इससे आपको यह जानने में मदद मिलती है कि आपके ब्लड ग्लूकोज का लेवल कब बढ़ता और घटता है। यह ट्रैक करने का एक अच्छा तरीका है कि अलग-अलग भोजन आपके शरीर को कैसे अफेक्ट कर रहे हैं इस बारे में जानकारी लें, आप अपने शरीर पर स्ट्रेस और एक्सरसाइज के प्रभाव का भी पता लगाएंगे। अपने ब्लड ग्लूकोज के लेवल की हर रोज मॉनिटरिंग के लिए ग्लूकोमीटर का उपयोग करें।

आप आसानी से अपने ब्लड शुगर स्पाइक्स को कंट्रोल कर सकते हैं। लेकिन आपको यह भी पता होना चाहिए कि खाने के बाद आपके ब्लड ग्लूकोज  के लेवल को सामान्य होने में कितना समय लगता है, और आपका सामान्य ब्लड ग्लूकोज  का लेवल क्या होना चाहिए।

आजकल कई तरह के ग्लूकोज लेवल ट्रैकिंग ऐप उपलब्ध हैं। वे समय-समय पर आपके द्वारा इस्तेमाल कैलोरी और ब्लड ग्लूकोज लेवल की मॉनिटरिंग करने में आपकी मदद करते हैं। कुछ ऐप्स आपको आपके ब्लड ग्लूकोज लेवल की पुरानी जानकारी की पूरी रिपोर्ट भी देते हैं।

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समरी(सारांश)-

स्ट्रेस को मैनेज करने, पूरी नींद लेने, ज्यादा फाइबर और प्रोटीन खाने, रेगुलर एक्सरसाइज करने, शुगर कम करने आदि से ब्लड ग्लूकोज को कंट्रोल किया जा सकता है।

हाई-पीपी ब्लड ग्लूकोज लेवल का इलाज

शुगर स्पाइक कंट्रोल के लिए ऊपर बताए गए कई सुझावों के अलावा आपको डॉक्टर के पास जाने को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। डॉक्टर आपको जरूरी डायबिटीज कंट्रोल दवाएं लिखेंगे।

यदि आपका डायबिटीज मेडिकल कंट्रोल से बाहर है तो इंसुलिन थेरेपी का सुझाव दिया जा सकता है। इंसुलिन थेरेपी में नैचुरल इंसुलिन के काम को दोहराने के लिए इंसुलिन को आपके शरीर में इंजेक्ट किया जाता है। डायबिटीज कंट्रोल के लिए यह एक अचूक इलाज है।

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कनक्लूजन-

खाने के बाद ब्लड ग्लूकोज  लेवल को समझना और मैनेज करना ओवरऑल हेल्थ को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, खासकर डायबिटीज वाले व्यक्तियों के लिए। ये लेवल इस बारे में बेशकीमती जानकारी देता है कि आपका शरीर ग्लूकोज को कैसे प्रॉसेस करता है और खाने के बाद  डायबिटीज या प्रीडायबिटीज के लिए प्राइमरी वार्निंग साइन के रूप में काम कर सकता है।

खाने के बाद ब्लड ग्लूकोज की मॉनिटरिंग और कंट्रोल करके आप डायबिटीज से जुड़ी समस्याओं को रोकने और अपनी भलाई में सुधार करने के लिए बढ़िया कदम उठा सकते हैं।

खाने के बाद ब्लड ग्लूकोज लेवल पर अफेक्ट करने वाले फैक्टर आपस में जुड़े हुए हैं। कार्बोहाइड्रेट, खाने का स्ट्रक्चर, फाइबर और ग्लाइसेमिक इंडेक्स जैसे विकल्प आपके शरीर की ग्लूकोज के लिए रिस्पॉन्स में योगदान करते हैं। रेगुलर फिजिकल एक्टिविटी, मेडिसिन मैनेजमेंट भी इसको प्रभावित करती है। आप इनफैक्टर्स  को ध्यान में रखकर और सूचित विकल्प चुनकर बेहतर ग्लूकोज कंट्रोल प्राप्त कर सकते हैं।

खाने के बाद ब्लड ग्लूकोज टेस्ट पर्सनल न्यूट्रिशन गाइडेंस, डायबिटीज के शुरुआती लक्षणों का पता लगाने और ट्रीटमेंट प्लान को एडजस्ट करने के लिए है। यह एक डिवाइस है जो आपको अपने हेल्थ की जिम्मेदारी लेने, लाइफस्टाइल में बदलाव करने और ज्यादा स्टेबल ब्लड ग्लूकोज प्रोफ़ाइल की तरफ बढ़ने में मदद करता है।

याद रखें कि भोजन के बाद सामान्य ब्लड ग्लूकोज लेवल बनाए रखने के लिए एक सही अप्रोच की जरूरत होती है जिसमें डाइट, एक्सरसाइज, स्ट्रेस मैनेजमेंट और रेगुलर मॉनिटरिंग शामिल होती है। आपको डायबिटीज को रोकना हो या ओवरऑल हेल्थ को बढ़ावा देना हो खाने के बाद स्टेबल ब्लड ग्लूकोज लेवल को प्रायोरिटी देना एक हेल्दी फ्यूचर के लिए अच्छा कदम है।

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Last Updated on by Dr. Damanjit Duggal 

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