क्या डायबिटीज पेशेंट्स रक्तदान कर सकते है?

“रक्तदान महादान” यह हम सब जानते हैं। रक्तदान या ब्लड डोनेशन एक निःस्वार्थ सेवा है जो हमें समाज के एक हिस्से की मदद करने के लिए समर्थ बनाती है। रक्त दान उन कई लोगों के लिए आशा की किरण होती है जिन्हें उनकी स्वास्थ्य जरूरतों के लिए रक्त की आवश्यकता होती है। लेकिन इसी के साथ कई भ्रम भी जुड़े हुए हैं, खासकर के डाईबिटीज़ पेशेंट या मधुमेह से ग्रस्त लोगों के साथ।

कई लोगों का मानना ​​है कि डाईबिटीज़ पेशेंट रक्तदान नहीं कर सकते हैं। लेकिन सच क्या है “क्या डाईबिटीज़ पेशेंट रक्तदान कर सकते हैं”? जानने के लिए आइए इस ब्लॉग को पढ़ें।

मधुमेह या डाईबिटीज़, सरल शब्दों में, एक ऐसी स्वास्थ्य स्थिति है जिसमें व्यक्ति के शरीर में हाई शुगर लेवल्स हो जाते हैं। यह स्थिति अग्न्याशय द्वारा पर्याप्त इंसुलिन के उत्पादन ना कर पाने के कारण बनती है। जिन लोगों में इंसुलिन की पूर्णतया कमी होती है उन्हें टाइप 1 डाईबिटीज़ होता है जबकि जो लोग इंसुलिन का प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं कर पाते हैं उन्हें टाइप 2 डाईबिटीज़ होती हैं। मधुमेह वाले लोगों के लिए सामान्य स्वास्थ्य परिस्थितियों में रक्तदान करना आम तौर पर सुरक्षित होता है। मधुमेह वाले लोग रक्तदान कर सकते हैं, जब तक वे रक्तदान के समय अपने ब्लड शुगर लेवल्स को स्वस्थ या हेल्दी रेंज में रखें। लेकिन और कई ऐसी स्थितियाँ हैं जिनका डाईबिटीज़ पेशेंट को रक्तदान करते समय ध्यान रखना चाहिए।

डाईबिटीज़ होने की स्थिति में भी रक्तदान करना सुरक्षित होता है। टाइप 1 और टाइप 2 डाईबिटीज़ दोनों वाले लोग रक्तदान कर सकते हैं। लेकिन आपको रक्तदान करने से पहले अच्छे से डाईबिटीज़ मेनेजमेंट करना चाहिए और आपका स्वास्थ्य अच्छा होना चाहिए।

एफडीए के अनुसार, हीमोग्लोबिन के सामान्य स्तर वाला व्यक्ति रक्तदान कर सकता है। इसका मतलब है कि जो डाइबीटिक व्यक्ति अपने शुगर लेवल्स को नियंत्रित रखता है व रक्तदान कर सकता है।

इंसुलिन इंजेक्शन या दवाओं से शुगर लेवल्स नॉर्मल रख कर आप रक्तदान करने के पात्र हो सकते हैं।

ब्लड शुगर को नॉर्मल या नियंत्रित कैसे रखें? एक स्वस्थ जीवन शैली जीने, अच्छा खाना व शारीरिक व्यायाम जैसे कई तरीकों से आप अपने शुगर लेवल्स को स्वस्थ श्रेणी में रख सकते हैं। आपका डॉक्टर आपके डाईबिटीज़ को मेनेज करने में मदद करने के लिए कुछ दवाएं भी लिख सकता है। ये दवाएं रक्तदान करने की आपकी क्षमता को प्रभावित नहीं करती।

लेकिन फ़िर भी आप अपने डाईबिटीज़ और रक्तदान को लेकर चिंतित या संदेह में हैं तो अपने डॉक्टर से ज़रूर परामर्श लें।

हालांकि रक्तदान के लिए जो मानदंड या क्राइटेरिया है उसे आपको पूरा करने की ज़रूरत हैं। यह गैर-डाइबीटिक व डाइबीटिक दोनों लोगों के लिए समान है। यह कुछ शर्तें हैं:

  • दाता या डोनर की आयु 18 वर्ष से अधिक और 65 वर्ष से कम होनी चाहिए।
  • हीमोग्लोबिन 12.5 ग्राम / डीएल से कम न हो।
  • वज़न 45 किलो से कम नहीं होना चाहिए।
  • रक्तदान के समय शरीर का तापमान सामान्य होना चाहिए।

2017 के एक अन्य अध्ययन के अनुसार रक्तदान कम से कम 2 महीने तक मधुमेह वाले व्यक्ति में हीमोग्लोबिन A1c (HbA1c) के स्तर को प्रभावित कर सकता है। इसलिए टाइप 2 डाईबिटीज़ वाले लोगों को अगले रक्तदान के लिए कम से कम 4 महीने का इंतज़ार करना चाहिए।

रक्तदान से पहले होने वाली प्रक्रिया

रक्तदान करता हुआ एक युवा और साथ में डॉक्टर

रक्तदान से पूर्व एक प्रक्रिया अपनाई जाती है जिससे यह सुनिश्चित किया जाता है की डोनर एक अच्छे स्वास्थ्य में है और ब्लड डोनेट करने के काबिल है। इन प्रक्रिया में साधारण जाँच व कुछ और जाँच शामिल होती है।

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स्वास्थ्य जांच

रक्तदान केंद्रों में एक स्क्रीनिंग प्रक्रिया होती है जिसके लिए आपको किसी भी पहले से मौजूद स्वास्थ्य स्थितियों को बताने की आवश्यकता होती है।

रक्तदान से पहले आपकी कुछ जाँच की जाती है जो निम्नलिखित है:

  • तापमान
  • धड़कन
  • रक्त चाप या ब्लड प्रेशर
  • हीमोग्लोबिन का स्तर

यदि आपको मधुमेह है, तो आपको स्क्रीनिंग के समय यह बताना होगा। आपकी स्क्रीनिंग करने वाला व्यक्ति आपसे अतिरिक्त प्रश्न भी पूछ सकता है।

आपको आपके डाईबिटीज़ के लिए ली जाने वाली हर दवा के बारे में जानकारी होनी चाहिए। हालांकि मधुमेह की ये दवाएं आपको रक्तदान करने के लिए अयोग्य नहीं ठहरा सकतीं।

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रक्त दान या ब्लड डोनेशन 

रक्तदान की पूरी प्रक्रिया में लगभग  15 मिनट का समय लगता है। वास्तव में ब्लड डोनेशन करने में लगने वाला समय आमतौर पर लगभग 10 मिनट का होता है।

रक्तदान के लिए निम्न प्रक्रिया अपनाई जाती है:

  • रक्तदान के समय आपको एक आरामदायक कुर्सी पर बैठाया जाता है।
  • रक्तदान के लिए बांह में आपके एक सुई डाली जाती है।
  • इसमें बहुत थोड़ी सी चुभन होती है।
  • सुई अंदर जाने के बाद, आपको कोई दर्द महसूस नहीं होना चाहिए।

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रक्तदान से पहले खुद को कैसे करें तैयार?

इससे पहले कि आप रक्तदान करने का निर्णय लें, कुछ तरीके हैं जिनसे आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपका रक्तदान सफल हो। इसलिए रक्तदान से पहले यह बाते ज़रूर ध्यान रखें:

  • रक्तदान करने के लिए पहले से खूब पानी पिएं।
  • आपको रक्तदान के निर्धारित दिन से कुछ दिन पहले अपने पानी का सेवन बढ़ा देना चाहिए।
  • ब्लड डोनेशन से 1 से 2 सप्ताह पहले आयरन युक्त खाद्य पदार्थ खाएं या आयरन सप्लीमेंट लें।
  • दान से एक रात पहले 8 या अधिक घंटे की अच्छी नींद लें।
  • अपने दान तक और बाद में संतुलित भोजन करें। डाईबिटीज़ पेशेंट के लिए यह और भी महत्वपूर्ण है। एक हेल्दी डाइट आपके ब्लड शुगर लेवल को संतुलित रखता है।
  • रक्तदान के दिन कम कैफीन का सेवन करें।
  • रक्तदान के समय वर्तमान में ली जा रही अपनी सभी दवाओं के प्रेसक्रिप्शन साथ ले कर जाएं।
  • अपने साथ पहचान के लिए कोई पहचान पत्र रखें, जैसे कि आपका ड्राइविंग लाइसेंस या दो अन्य पहचान रूप जैसे वोटर आईडी या आधार कार्ड।

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रक्तदान के बाद बनने वाली स्थितियाँ

रक्तदान के बाद आपको निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:

  • अपने शुगर लेवल्स की निगरानी रखें।
  • एक हेल्दी डाइट लें।
  • अपने दान के बाद 2 से 4 सप्ताह के लिए आयरन युक्त खाद्य पदार्थ या पूरक आहार को अपने आहार में शामिल करें।

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इसके अतिरिक्त रक्तदान के बाद ध्यान देने वाली कुछ बातें हैं:

  • अगर आपके हाथ में दर्द हो तो एसिटामिनोफेन लें।
  • चोट लगने से बचने के लिए अपनी पट्टी को कम से कम 4 घंटे तक रखें।
  • अगर आप चक्कर या अजीब महसूस करते हैं तो आराम करें।
  • डोनेशन के 24 घंटे बाद तक तेज़ शारीरिक गतिविधि से बचें। इसमें व्यायाम के साथ-साथ अन्य कार्य भी शामिल हैं।
  • अपने दान के बाद कुछ दिनों के लिए तरल पदार्थ या fluids का सेवन बढ़ाएँ।

यदि आप रक्तदान के बाद बीमार या असहज महसूस करते हैं या अपने स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

वैसे तो डाईबिटीज़ पेशेंट आसानी से रक्तदान कर सकते हैं लेकिन कुछ मामलों में, मधुमेह और इसके लक्षण किसी व्यक्ति की रक्तदान करने की क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं। इन लक्षणों में शामिल हैं:

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अनियंत्रित शर्करा या शुगर लेवल्स

डाईबिटीज़ पेशेंट तब तक रक्तदान कर सकता हैं जब तक वो अपने शुगर लेवल्स को नियंत्रित रख सकते हैं। यदि कोई व्यक्ति अपने ब्लड ग्लुकोज़ को नियंत्रित नहीं रख सकता तो उसे रक्तदान से बचना चाहिए।

यदि आप रक्तदान करना चाहते हैं तो अपने शुगर लेवल्स को सीमा में लाने के लिए अच्छी डाइबीटिक डाइट, शारीरिक व्यायाम, तनाव-मुक्त जीवन व योग का अभ्यास करें। इसके अलावा अपने डॉक्टर से भी परामर्श करें। एक नियंत्रित रक्त शर्करा होने पर आप आसानी से रक्तदान कर सकते हैं।

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गोजातीय इंसुलिन या बोवाइन इंसुलिन

यह एक विशिष्ट परिस्थिति है। एनआईएच के अनुसार यदि किसी डाईबिटीज़ पेशेंट का इंसुलिन का स्त्रोत बीफ या गौ मांस है तो वह रक्तदान करने के योग्य नहीं है।

खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) के अनुसार, यह प्रतिबंध वैरिएंट Creutzfeldt-Jakob रोग की चिंता के कारण है, क्योंकि ऐसे लोग दूसरों में इस रोग के मार्करों को रक्तदान द्वारा भेज सकते हैं।

हालांकि, इस प्रकार का इंसुलिन अब प्रचलन में नहीं है, क्योंकि हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स ने 1998 और उसके बाद से इसके उपयोग को बंद कर दिया था

हालांकि अधिकांश मधुमेह दवाएं किसी व्यक्ति को रक्तदान से नहीं रोक सकती फ़िर भी रक्तदान के समय अपनी मौजूदा दवाओं की सूची हेल्थकेयर प्रोफेशनल को ज़रूर दिखाए।

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रक्तदान व डाईबिटीज़ का प्रकार

रक्दान करते वक़्त खून की थैली

मधुमेह के परिणामस्वरूप रक्त शर्करा का स्तर बदल जाता है क्योंकि शरीर इंसुलिन का निर्माण या उपयोग नहीं कर रहा है जैसा उसे करना चाहिए।

CDC के अनुसार टाइप 1 डाईबिटीज़ वाले लोगों में, शरीर कम या बहुत कम इंसुलिन बनाता है, वह यौगिक जो रक्त में शर्करा को संतुलित करने में मदद करता है। नतीजतन, उन्हें इंसुलिन इंजेक्शन पर निर्भर रहना पड़ता हैं। वहीं टाइप 2 डाईबिटीज़ वाले लोग इस इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधी या इंसुलिन रेसिस्टेंट हो जाते हैं और उन्हें ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करने के लिए बाहरी स्रोतों या अन्य दवाओं पर निर्भर रहना पड़ता है।

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तो क्या टाइप 1 या टाइप 2 डाईबिटीज़ ब्लड डोनेशन को प्रभावित करती है?

रक्तदान के लिए डाईबिटीज़ का प्रकार नहीं बल्कि एक अच्छा डाईबिटीज़ मेनेजमेंट ज़िम्मेदार होता है। एक वेल-मेनेज डाईबिटीज़ यह निर्धारित करती है कि आप रक्तदान कर सकते हैं। इसलिए अपने खान-पान व एक्सर्साइज़ से अपने शुगर लेवल्स को स्वस्थ रखें जिससे आप आसानी से ब्लड डोनेट कर सकें।

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निष्कर्ष

मधुमेह वाले किसी भी व्यक्ति को रक्तदान करने से पहले अपने रक्त शर्करा के स्तर की निगरानी करने की आवश्यकता होती है ताकि ब्लड डोनेशन के समय यह एक स्वस्थ रेंज में बनी रहे। आप टाइप 1 या टाई 2 डाइबीटिक है इससे फ़र्क नहीं पड़ता। आप एक हेल्दी लाइफस्टाइल को फॉलो करके, अच्छी डाइट व एक्सर्साइज़ के साथ शुगर लेवल्स को कंट्रोल में रख सकते हैं और रक्तदान जैसे महादान का हिस्सा बन सकते हैं। और साथ ही समाज की सेवा में अपना योगदान दे सकते हैं।

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Last Updated on by Dr. Damanjit Duggal 

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