इंसुलिन फास्टिंग टेस्ट – Insulin Fasting Test in Hindi

इंसुलिन फास्टिंग टेस्ट मेटाबॉलिक हेल्थ को समझने और इंसुलिन रेजिस्टेंस का आकलन करने के लिए किया जाने वाला बहुत ही महत्वपूर्ण टेस्ट है। आज के समय में लाइफस्टाइल और डाइट आपके स्वास्थ्य को बेहतर रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इसी का एक भाग है हमारे शरीर में बनने वाला इन्सुलिन, की दुनिया में, शरीर में इंसुलिन की भूमिका को समझना बहुत ही जरुरी है। इस ब्लॉग में, हम इंसुलिन फास्टिंग टेस्ट के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे, इस ब्लॉग के माध्यम से हम इसके महत्व और प्रक्रिया से लेकर इससे जुड़े लक्षण, जोखिम कारक और सामान्य सीमा तक सब के बारे में विस्तार से जानेंगें।

Table of Contents

इंसुलिन फास्टिंग टेस्ट क्या है ? – Insulin Fasting Test in Hindi

अग्न्याशय (पैंक्रियाज़) इंसुलिन हार्मोन का उत्पादन करता है, जो ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में प्रमुख भूमिका निभाता है। इंसुलिन की मदद से ब्लड में मौजूद ग्लूकोज को अंगों और कोशिकाओं तक पहुँचाने का काम किया जाता है। कोशिकाओं में ग्लूकोज का उपयोग ऊर्जा के लिए किया जाता है और बाद में उपयोग के लिए स्टोर किया जाता है। इंसुलिन फास्टिंग टेस्ट (insulin fasting test in hindi) खाली पेट रहने के दौरान ब्लड में मौजूद ग्लूकोज़ को मापता है। ग्लूकोज की अधिक मात्रा मौजूद होने पर इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि आपको प्रीडायबिटीज, डायबिटीज और जेस्टेशनल डायबिटीज जैसी बीमारियों के लिए जांच की जरुरत हो सकती है, तब इंसुलिन फास्टिंग टेस्ट की जरुरत पड़ती है।

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इंसुलिन फास्टिंग टेस्ट क्यों होता है?

निम्नलिखित चीजों के लिए ब्लड शुगर टेस्ट के साथ-साथ इंसुलिन फास्टिंग टेस्ट (insulin fasting test in hindi) का उपयोग किया जाता है:

  • इंसुलिन रेजिस्टेंस लेवल का पता लगाने के लिए: इंसुलिन रेजिस्टेंस से ब्लड ग्लूकोज़ में उतार-चढ़ाव हो सकता है और शुगर की संभावना बढ़ सकती है। शरीर में लंबे समय तक हाई-इंसुलिन रेजिस्टेंस रहने से शुगर से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।
  • उपचार की प्रभावशीलता का पता लगाने में मदद करता है: ऊपर बताए गए कारणों के अलावा इस टेस्ट से उपचार और दवाओं के दौरान आपके इंसुलिन लेवल मॉनिटरिंग में मदद मिल सकती है। आपके डॉक्टर इस टेस्ट के रिजल्ट के आधार पर आपके उपचार के तरीकों और दवाओं में जरुरी बदलाव कर सकते हैं।
  • पैंक्रियाज के लिए: इंसुलिन फास्टिंग टेस्ट के माध्यम से आइलेट सेल ट्रांसप्लांट जैसी सर्जरी के बाद पैंक्रियाज के कामकाज के तरीके को बहुत बारीकी से समझा जा सकता है।

फास्टिंग सीरम इंसुलिन टेस्ट का संक्षिप्त विवरण। 

संकेत विवरण
परीक्षण (टेस्ट) का नाम : फास्टिंग इंसुलिन टेस्ट
उद्देश्य : ब्लड इंसुलिन लेवल को मापना और इंसुलिन रेजिस्टेंस लेवल तथा उपचार के बारे में जानकारी
तैयारी : परीक्षण (टेस्ट) से पहले कम से कम 8-10 घंटे कुछ भी न खाएं और किसी तरह की कोई दवा ले रहे हैं तो पहले अपने डॉक्टर को इसकी पूरी जानकारी जरूर दें।
परीक्षण से पहले फास्टिंग का समय : 8 से 10 घंटे
फाइनल रिपोर्ट में लगने वाला समय : लगभग 24 घंटों के भीतर रिजल्ट आ जाता है
फास्टिंग इंसुलिन टेस्ट में लगने वाला खर्च : लगभग 700 से 800 रुपये

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लक्षण जिनके कारण इंसुलिन फास्टिंग टेस्ट करना है जरुरी :

लक्षण जिनके कारण इंसुलिन फास्टिंग टेस्ट करना है जरुरी :

ऐसे कुछ लक्षण हैं जो जिनके दिखने पर आपके डॉक्टर आपको इंसुलिन फास्टिंग टेस्ट (insulin fasting test in hindi) का सुझाव दे सकते हैं। यहां नीचे ऐसे कुछ प्रमुख लक्षण दिए गए हैं जिनकी वजह से इस टेस्ट (परीक्षण) की जरूरत हो सकती है:

अत्यधिक प्यास लगना और बार-बार पेशाब आना:

अधिकतर रात में नींद के दौरान बार-बार पेशाब आना और अत्यधिक प्यास लगना इंसुलिन रेजिस्टेंस या शुगर के लक्षण हो सकते हैं, जिसको इन्सुलिन फास्टिंग टेस्ट (insulin fasting test in hindi) के माध्यम से पता किया जा सकता है।

थकान और सुस्ती:

लगातार थकान महसूस होना भी इसका एक सामान्य लक्षण है, इन्सुलिन लेवल और ब्लड शुगर लेवल का असामान्य होना ऊर्जा में कमी का कारण बन सकता है।

वजन में उतार-चढ़ाव आना:

अचानक बिना कारण वजन कम होना या वजन बढ़ना इंसुलिन के असमान्य होने का संकेत हो सकता है।

स्किन टैग या एकैन्थोसिस निगरिकन्स:

गर्दन पर स्किन टैग या मखमली, गहरे रंग की त्वचा का हो जाना एकैन्थोसिस नाइग्रिकन्स कहा जाता है और यह इंसुलिन रेजिस्टेंस से जुड़ा होता है। यदि आपको पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) है, तो इंसुलिन टेस्ट उपयोगी जानकारी प्रदान कर सकता है।

पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS):

पीसीओएस (PCOS) से पीड़ित महिलाओं में इंसुलिन रेजिस्टेंस का असर देखा जा सकता है, जिसकी जानकारी के लिए फास्टिंग इन्सुलिन टेस्ट मदद कर सकता है।

शुगर और मेटाबॉलिज्म से जुड़ी समस्याओं का जेनेटिक होना:

यदि आपके परिवार में किसी को टाइप 2 मधुमेह या किसी तरह की कोई मेटाबॉलिक समस्या है तो आपको ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है और आपको फास्टिंग इन्सुलिन टेस्ट की जरूरत हो सकती है।

वजन कम करने या अपना वजन कंट्रोल करने में कठिनाई:

वजन कंट्रोल करने में परेशानी होने की वजह इंसुलिन रेजिस्टेंस हो सकता है।

इंसुलिन फास्टिंग टेस्ट में (insulin fasting test in hindi) फास्टिंग से पहले और बाद में आपके इंसुलिन लेवल को मापा जाता है। यह आपके शरीर में इंसुलिन उत्पादन और और इसके प्रभाव की क्षमता का आकलन करने में भी मदद करता है। अपने विश्वसनीय डॉक्टर या डायबिटीज एक्सपर्ट के साथ अपने लक्षणों पर चर्चा करने से आपको यह निर्णय लेने में मदद मिल सकती है कि इंसुलिन फास्टिंग टेस्ट आपके लिए उपयुक्त है या नहीं।

और पढ़े: इंसुलिन बढ़ाने के लिए क्या खाना चाहिए?

इंसुलिन फास्टिंग टेस्ट के लिए जाने से पहले निम्न बातों का ध्यान रखना है बहुत जरूरी :

इंसुलिन फास्टिंग टेस्ट के लिए जाने से पहले निम्न बातों का ध्यान रखना है बहुत जरूरी :

इंसुलिन रेजिस्टेंस टाइप 2 मधुमेह जैसी गंभीर समस्याओं का कारण हो सकता है, इसलिए आपके डॉक्टर या डायबिटीज़ एक्सपर्ट निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखते हुए इंसुलिन फास्टिंग टेस्ट (insulin fasting test in hindi) का सुझाव दे सकते हैं:

ओवरवेट (ज्यादा वजन)और मोटापा

शरीर में एक्स्ट्रा फैट का जमा हो जाना इन्सुलिन रेजिस्टेंस का कारण बन सकता है। आपके शरीर में जितना ज्यादा फैट होगा आपकी कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति प्रतिक्रिया करने के लिए उतनी ही ज्यादा मेहनत करेंगी, जिससे रेजिस्टेंस पैदा होगा।

ख़राब लाइफस्टाइल

ख़राब लाइफस्टाइल की वजह से आपका शरीर सही तरह से इन्सुलिन का उपयोग नही कर पाता और इस वजह से वजन बढ़ने का खतरा होता है, जिस वजह से इन्सुलिन रेजिस्टेंस की समस्या हो सकती है। इसमें डाइट की भी एक अहम भूमिका होती है, ज्यादा मात्रा में कार्ब्स और अनहेल्दी फैट लेने से समय के साथ शुगर और इंसुलिन लेवल को ठीक से कंट्रोल करने की शारीरिक क्षमता को प्रभावित कर सकता है।

हार्मोन का सामान्य न होना

थायराइड जैसी समस्याएं और कुछ अन्य हार्मोनल समस्याएं इस परीक्षण (टेस्ट) के जोखिम को बढ़ा देती है।

ब्लड प्रेशर

हाई-ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन) की वजह से भी इस टेस्ट का जोखिम बढ़ सकता है।

कोलेस्ट्रॉल लेवल

यदि आपका कोलेस्ट्रॉल हाई रेंज में आता है तो इस बात की बहुत ज्यादा संभावना है कि आपमें इंसुलिन रेजिस्टेंस की समस्या हो सकती है और आपको तुरंत उपचार की जरूरत हो सकती है।

कुछ मेडिकल कंडीशन

कुछ चिकित्सीय स्थितियाँ भी आपके जोखिम को बढ़ा सकती हैं, जैसे पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) और नॉन-अल्कोहल फैटी लीवर डिजीज। इन समस्याओं की वजह से इन्सुलिन रेजिस्टेंस को बढ़ावा मिल सकता है।

शुगर की जेनेटिक समस्या

आपके परिवार में अगर किसी को टाइप 2 मधुमेह या अन्य इंसुलिन से जुड़ी समस्याएं हैं तो आपके अंदर भी जेनेटिक समस्या के रूप में इन्सुलिन रेजिस्टेंस हो सकता है।

कुछ खास प्रकार की दवाएं

ग्लूकोकार्टिकोइड दवाओं सहित कुछ दवाएं जिनका उपयोग सूजन का इलाज करने के लिए किया जाता है उनका साइड इफेक्ट इंसुलिन रेजिस्टेंस को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।

सबसे अच्छी बात यह है कि इनमें से कई जोखिम कारकों को लाइफस्टाइल में जरूरी बदलाव के माध्यम से कंट्रोल किया जा सकता है। डाइट में बदलाव, एक्सरसाइज और वजन पर कंट्रोल करने से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है।

और पढ़े: खाली पेट शुगर कितनी होनी चाहिए?

इंसुलिन फास्टिंग टेस्ट का उद्देश्य क्या है?

  • इंसुलिन रेजिस्टेंस लेवल का पता लगाना: इंसुलिन फास्टिंग टेस्ट के माध्यम से आपको इंसुलिन लेवल का सही माप मिलता है जो इंसुलिन रेजिस्टेंस लेवल को पता करने में मदद करता है। परीक्षण (टेस्ट) के आधार पर डॉक्टर दवाएँ और उपचार बताते हैं।
  • मेटाबॉलिक हेल्थ का मूल्यांकन: इंसुलिन फास्टिंग का लैब टेस्ट आपके मेटाबॉलिक हेल्थ की सही जानकारी करने में मदद कर सकता है। इस टेस्ट के माध्यम से शुगर और हार्ट डिजीज के जोखिम को पहचानने में भी मदद कर सकता है।

इंसुलिन फास्टिंग टेस्ट (insulin fasting test in hindi) को समय पर करने से जल्दी और सटीक पता चलता है जिससे सही उपचार करने में मदद मिलती है।

फास्टिंग इंसुलिन की सामान्य सीमा

फास्टिंग सीरम इंसुलिन टेस्ट की रीडिंग व्यक्ति, उम्र, लिंग, वर्तमान स्वास्थ्य स्थिति आदि के अनुसार अलग-अलग होती है। यशोदा अस्पताल की वेबसाइट के अनुसार फास्टिंग इंसुलिन की सामान्य सीमा 25 μU/mL से कम होनी चाहिए। सामान्य फास्टिंग सीमा से ऊपर प्रीडायबिटीज, टाइप 2 मधुमेह, लो-ब्लड शुगर लेवल (हाइपोग्लाइसीमिया), कुशिंग सिंड्रोम आदि कुछ भी हो सकता है। दूसरी तरफ इस सीमा से बहुत नीचे इंसुलिन होने पर टाइप 1 मधुमेह जैसी समस्याएं होने का खतरा हो सकता है।

आइए नीचे दिए गए चार्ट के माध्यम से इसको समझते हैं:

समय स्तर
फास्टिंग इंसुलिन  25 μU/mL
शुगर खाने के 30 मिनट बाद इंसुलिन लेवल 30-230 μU/mL
शुगर खाने के 1 घंटे बाद इंसुलिन लेवल 18-276 μU/mL
शुगर खाने के 2 घंटे बाद इंसुलिन लेवल 16-166 μU/mL
शुगर खाने के 3 घंटे से ज्यादा समय के बाद का इंसुलिन लेवल 25 μU/mL से कम

इसलिए आगे की समस्याओं को रोकने के लिए अपने डॉक्टर के संपर्क में रहना और बहुत ही जरूरी है।

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फास्टिंग इंसुलिन को सामान्य सीमा में बनाए रखने के लिए सुझाव

इंसुलिन लेवल को सही बनाए रखना संपूर्ण स्वास्थ के लिए बहुत जरूरी है। शुगर के मरीजों के लिए ज्यादा सावधानीपूर्वक काम करना और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है।

यहाँ नीचे कुछ सुझाव दिए गए हैं:

सही डाइट

साबुत अनाज, लो- जीआई वाले फल, सब्जियां, लीन प्रोटीन और हेल्दी फैट से भरपूर चीजों को अपने डाइट में शामिल करना चाहिए। अधिक चीनी और प्रोसेस्ड फूड का ज्यादा मात्रा में सेवन करने से बचें।

मात्रा का ध्यान रखें

अधिक खाने से बचने के लिए मात्रा का ध्यान रखना बहुत ही ज्यादा जरूरी है नहीं तो ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है और इंसुलिन उत्पादन पर दबाव पड़ सकता है।

फाइबर का ज्यादा सेवन करें

इंसुलिन लेवल और शुगर को कंट्रोल करते समय फाइबर सबसे जरूरी चीज हो सकती है। फाइबर ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने और इंसुलिन उत्पादन को सही करने में मदद करता है।

काम्प्लेक्स कार्ब्स

व्हाइट ब्रेड और मीठे स्नैक्स जैसे साधारण कार्ब्स की जगह साबुत अनाज और सब्जियों जैसे जटिल (कांप्लेक्स) कार्ब्स का सेवन करें, क्योंकि कांप्लेक्स कार्ब्स ज्यादा धीरे-धीरे पचते हैं और ब्लड शुगर लेवल से पर प्रभाव पड़ने की संभावना कम होती है।

नियमित व्यायाम करें

इंसुलिन रेंज में सुधार करने के लिए नियमित व्यायाम की जरूरत होती है। आप कार्डियो को भी अपने नियमित व्यायाम में शामिल कर सकते हैं।

स्ट्रेस बिल्कुल न लें

लंबे समय तक तनाव (स्ट्रेस) रहने से इंसुलिन रेजिस्टेंस होने का खतरा बढ़ सकता है। मेडिटेशन और एक्सरसाइज से तनाव को कम किया जा सकता है।

पर्याप्त नींद जरूरी

लगातार 8 से 9 घंटे की गुणवत्तापूर्ण नींद लेना बहुत जरूरी है, क्योंकि सही नींद न लेने से आपका इन्सुलिन लेवल प्रभावित हो सकता है।

खुद को हाइड्रेटेड रखें

खुद को हाइड्रेट रखने के लिए और मेटाबॉलिज्म को सही बनाए रखने के लिए पूरे दिन खूब पानी पिएं।

एल्कोहल का सेवन सीमित मात्रा में करें

ज्यादा शराब का सेवन इंसुलिन उत्पादन को प्रभावित कर सकता है, इसलिए शराब का सेवन न करें या बिल्कुल सीमित मात्रा में करें।

नियमित जांच

नियमित रूप से फास्टिंग इंसुलिन टेस्ट का पालन करें, अगर आपके परिवार में शुगर जैसी समस्याएं किसी को भी रही हैं तो आपमें खतरे की संभावना ज्यादा हो सकती है।

और पढ़े: पुरुषों में शुगर के लक्षण

इंसुलिन फास्टिंग टेस्ट के लिए जरूरी तैयारी

इस परीक्षण (टेस्ट) के लिए आपको निम्नलिखित तैयारी करनी होगी:

  • आपको परीक्षण (टेस्ट) से पहले 8-10 घंटे तक कुछ नहीं खाना चाहिए (खाली पेट रहना चाहिए)।
  • यदि आपको किसी भी तरह की स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या चल रही है तो आपको अपने डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए।
  • फास्टिंग के दौरान शराब या स्मोकिंग न करें, इससे टेस्ट के परिणाम प्रभावित हो सकते हैं।
  • परीक्षण से पहले तनाव बिल्कुल न लें, इससे परिणाम पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
  • यदि आपको कोई एलर्जी है तो अपने डॉक्टर को अवश्य बताएं।

और पढ़े: यूरिन में शुगर कितना होना चाहिए और घरेलु इलाज

फास्टिंग इंसुलिन टेस्ट प्रक्रिया

इंसुलिन फास्टिंग टेस्ट (insulin fasting test in hindi) चाहे घर पर किया जाए या लैब में इसकी प्रक्रिया पूरी तरह से सरल और आसान है।

इस प्रक्रिया के निम्नलिखित चरण हैं:

  • पैथोलॉजी असिस्टेंट निर्धारित जगह को स्प्रिट से साफ करेंगें और आपकी बांह के चारों ओर एक टाइट बैंड बांध देंगें।
  • इसके बाद वे एक सिरिंज के माध्यम से आपकी बांह से ब्लड का सैंपल लेंगे।
  • किसी भी तरह के इंफेक्शन से बचने के लिए एंटीसेप्टिक में भिगोई हुई रुई को 30-40 सेकंड के लिए सिरिंज लगी हुई जगह पर रखें।
  • ब्लड के सैंपल को टेस्ट के लिए लैब में ले जाया जाएगा।

कुछ लोगों को सिरिंज लगने वाली जगह पर हल्का दर्द महसूस हो सकता है। किसी भी तरह की इंफेक्शन की संभावना को खत्म करने के लिए बढ़िया लैब में ही टेस्ट करवाएं।

फास्टिंग इंसुलिन टेस्ट में लगने वाला खर्च:

इंसुलिन फास्टिंग टेस्ट (insulin fasting test in hindi) की कीमत अलग-अलग लैब में अलग-अलग हो सकती है। लैब का चुनाव करते समय क्वालिटी, एक्युरेसी, समय और लगने वाले खर्च पर भी विचार करना बहुत जरूरी है। एक बढ़िया लैब में टेस्ट करवाने का खर्च ज्यादा हो सकता है लेकिन रिजल्ट में किसी भी तरह की कमी या इंफेक्शन का खतरा नहीं होता। आप जहां रहते हैं उसके आधार पर कीमत 700 रुपये से 1000 रुपये के बीच हो सकती है। अन्य शहरों की तुलना में महानगरों में कीमत ज्यादा हो सकती है।

और पढ़े: पेशाब में शुगर के लक्षण

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

फास्टिंग इंसुलिन टेस्ट करने का सबसे अच्छा समय क्या है?

इंसुलिन फास्टिंग टेस्ट के लिए सबसे अच्छा समय सुबह का है। रात में सोने के बाद सुबह उठने के बाद लगभग 8 घंटे तक आपका पेट पूरी तरह से खाली रहता है और इस समय टेस्ट किया जा सकता है।

क्या मैं फास्टिंग इंसुलिन टेस्ट से पहले पानी पी सकता हूँ?

हाँ, आप इंसुलिन फास्टिंग टेस्ट से पहले पानी पी सकते हैं, लेकिन इस बात का पूरा ध्यान याद रखें कि आपको केवल पानी ही पीना है और कुछ नहीं।

डॉक्टर फास्टिंग इंसुलिन का परीक्षण क्यों नहीं करते?

फास्टिंग इंसुलिन टेस्ट शुगर के मरीजों के ब्लड टेस्ट का हिस्सा नहीं है, क्योंकि कई डॉक्टर इंसुलिन को कई स्वास्थ्य समस्याओं के लिए जिम्मेदार नहीं मानते।

Last Updated on by Dr. Damanjit Duggal 

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