डायबिटीज (शुगर) के मरीजों को मछली खानी चाहिए या नहीं? जानिए फायदे और नुकसान

Reviewed by Dietitian: Dt. SEEMA GOEL (Senior Dietitian) नवम्बर 10, 2023

डायबिटीज एक ऐसी जोखिम भरी स्वास्थ्य स्थिति है, जिसके होने के बाद व्यक्ति को खान-पान समेत कई अन्य चीजों को बड़े ही ध्यान से मैनेज करना पड़ता है। थोड़ी सी लापरवाही ब्लड शुगर के लेवल को बढ़ा सकती है। साथ ही इसका असर शरीर के अन्य अंगों जैसे हृदय, किडनी या आंखों पर भी पड़ सकता है। ऐसे में डायबिटीज के मरीज अक्सर इस बात को लेकर असमंजस में रहते हैं कि क्या मछली डायबिटीज के लिए अच्छी होती है या नहीं?

ऐसे कई मामले देखे गए हैं कि भारी मात्रा में मछली खाकर लोग अपने डायबिटीज को रिवर्स नहीं कर सकते हैं। फिर भी मछली में प्रोटीन, ओमेगा -3 फैटी एसिड, विटामिन D और विटामिन E जैसे पोषक तत्व होते हैं। ऐसे सभी पोषक तत्व शुगर और इंसुलिन के लेवल को कंट्रोल करने के लिए पाए जाते हैं। विशेष रूप से हाई प्रोटीन फिश डाइट लेने से लोग डायबिटीज से उत्पन्न होने वाली अन्य स्वास्थ समस्याओं से बच सकते हैं।

मछली खाने से मिलने वाले पोषण यानी न्यूट्रिशनल संबंधी जानकारी, लाभ और डायबिटीज के लिए मछली कैसे फायदेमंद है, इन सभी के बारे में जानने के लिए इस ब्लॉग को पूरा पढ़ें।

Table of Contents

मछली के बारे में फैक्ट्स

मछली विटामिन D, विटामिन E, प्रोटीन और ओमेगा-3 फैट का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। यह व्यक्ति की त्वचा, हड्डियों, नसों और आंखों के लिए उपयोगी माना जाता है। अधिकांश फूड ग्रूप्स की तरह, मछली को भी लेकर कुछ स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं, जैसे मर्करी लेवल को लेकर होती हैं। फिर भी डाइट एक्सपर्ट सुझाव देते हैं कि मछली से होने वाले लाभ की तुलना में मछली से संबंधित जोखिम मामूली हैं।

मछली के पोषण या न्यूट्रिशनल फैक्ट्स

मछली कई पोषक तत्वों का एक पावरहाउस है। मछली में प्रचुर मात्रा में फैट और हाई प्रोटीन होता है। जिसका मतलब है कि मछली का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम है। जिसके चलते जब कोई व्यक्ति मछली को अपनी डाइट में शामिल करता है तो ब्लड शुगर के बढ़ने की संभावना कम हो जाती है।

मछली में प्रोटीन और EPA और DHA जैसे ओमेगा-3 फैट की हाई मात्रा होती है। मछली में हाई विटामिन डी और बी12, प्रोटीन आदि पाए जाते हैं। साथ ही इसमें आयोडीन, फास्फोरस और आयरन जैसे मिनिरल्स भी होते हैं। हर हफ्ते कम से कम 280 ग्राम पकी हुई मछली खाना फायदेमंद होता है। डाइट के रूप में मछली खाने से मस्तिष्क, हृदय और थायरॉयड ग्रंथि के हेल्थ में सुधार होता है। ऐसा माना जाता है कि यह ब्लडप्रेशर और ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करता है, इसलिए हम कह सकते हैं कि मछली डायबिटीज के लिए अच्छी होती है यानी शुगर का मरीज मछली खा सकता है।

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100ग्राम मछली में पोषक तत्व

किसी भी चीज को संतुलित मात्रा में खाया जाए, तो उसका सबसे अधिक लाभ मिल सकता हैष। वैसे मछली के मामले मे प्रजातियों के आधार पर, मछली में विभिन्न मात्रा में पोषक तत्व हो सकते हैं। मछली की वेरायटी के आधार पर इनमें मौजूद फैट में बहुत अंतर होता है। जैस ट्यूना और सैल्मन जैसी मछली की प्रजातियां नेचुरली फैटी होती हैं, जबकि कैटफिश या कॉड में कम फैट होता है। इसलिए कैलोरी का ध्यान रखने वाले लोगों को इसका सेवन करने से पहले इसकी जानकारी जरूर ले लेनी चाहिए। पकाकर खाए जाने वाले हिलसा मछली (हेरिंग) की तीन औंस मात्रा में पोषक तत्वों की मात्रा कुछ इस तरीके से होती है:

100ग्राम मछली में पोषक तत्व
पोषक तत्व (प्रति 100 ग्राम ) मात्रा
कैलोरी 173
प्रोटीन 20 ग्राम
फैट 10 ग्राम
शुगर 1 ग्राम से कम
फाइबर 1 ग्राम से कम
कार्ब्स 1 ग्राम से कम

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मछली खाने से मिलने वाले स्वास्थ्य लाभ

मछली खाने से मिलने वाले स्वास्थ्य लाभ

अपनी डाइट में मछली को शामिल करने से कई स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं यानी फिश डाइट में मौजूद विटामिन, मिनिरल्स और फैट जैसे पोषक तत्व अच्छे स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं। मछली में मौजूद विटामिन B12 इसके लिए महत्वपूर्ण होते है:

  • हेल्दी RBCs का बनना
  • नर्वस फंक्शन का बेहतर होना
  • DNA रिप्रोडक्शन

पर्याप्त मात्रा में विटामिन बी12 लेने से हृदय संबंधी समस्याएं और डेमेनेशिया का जोखिम कम होता है। विटामिन बी12 की कमी से एनीमिया या क्रोनिक थकान जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं

मछली खाने के अन्य फायदे हो सकते हैं:

ब्रेन को हेल्दी रखना

मछली में बड़ी मात्रा में फैट होता है, जिसे ओमेगा फैटी एसिड कहा जाता है। ये फैट मस्तिष्क को स्वस्थ बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ओमेगा-3 फैट के कम सेवन से इसका सीधा असर मस्तिष्क पर पड़ता है,जिससे बढ़ती उम्र के साथ याददाश्त और समझने की शक्ति कम होती है। इसलिए हम कह सकते हैं ब्रेन को हेल्दी बनाए रखने के लिए मछली खाना फायदेमंद होता है।

मछली हार्ट संबंधी समस्याओं को दूर करने में फायदेमंद

ओमेगा फैट हृदय संबंधी समस्याओं के जोखिम को कम करता है। नियमित रूप से मछली खाने पर ओमेगा फैट कोरोनरी हृदय से जुड़ी बीमारियों कम होती हैं। इनमें मौजूद फैट्स फायदेमंद हैं:

  • ट्राइग्लिसराइड्स के लेवल को कम करने में
  • कोरोनरी प्लाक को कम करने में
  • ब्लडप्रेशर को कम रखने में

सारांश

सप्ताह में एक बार मछली खाने से हार्ट अटैक और स्ट्रोक का रिस्क कम होता है।

मछली में ग्रोथ के लिए महत्वपूर्ण पोषक तत्व

ओमेगा 3 फैट हमारे वृद्धि और विकास के लिए जरूरी है। इसमें प्रमुख रूप से डोकोसाहेक्सैनोइक एसिड (डीएचए) शामिल होता है, जो आंख और मस्तिष्क को स्वस्थ बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण होते है। जिसके चलते अक्सर यह सलाह दी जाती है कि प्रेग्नेंसी के दौरान और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को अच्छी मात्रा में ओमेगा -3 फैट का सेवन करना चाहिए। फिर भी कुछ मछलियों में मर्करी प्रचुर मात्रा में होता है। जिसका सीधा प्रभाव मस्तिष्क संबंधी समस्याएं उत्पन्न होने से जुड़ा होता है।

इसीलिए प्रेग्नेंट महिलाओं को केवल कम मर्करी वाली मछली का ही सेवन करना चाहिए। इनमें ट्राउट, सैल्मन और सार्डिन शामिल होते हैं। इसके अलावा खाने की मात्रा हर हफ्ते 12 औंस (लगभग 340 ग्राम) से कम होनी चाहिए। लोगों को कच्ची और अधपकी मछली खाने से भी बचना चाहिए। आपको इस चीज की जानकारी होनी चाहिए कि इसमें एक माइक्रोबायोम शामिल हो सकता है, जो भ्रूण को खराब कर सकता है।

सारांश

मछली में अच्छी मात्रा में ओमेगा-3 फैट होता है। ये आंख और मस्तिष्क के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसलिए महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को पर्याप्त मात्रा में ओमेगा-3 लेने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा उन्हें हाई मर्करी वाली मछली से बचने की सलाह दी जाती है।

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डिप्रेशन में फिश डाइट लेने के फायदे

खुशनुमा जिंदगी जीने के लिए मेंटल हेल्थ का ख्याल रखना जरूरी होता है। मछली में पाए जाने वाले ओमेगा 3 फैटी एसिड का लाभ मेंटल हेल्थ को भी मिल सकता है। ये डिप्रेशन के लक्षणों को कम करने में काफी मददगार साबित होते हैं। ओमेगा फैट कुछ एंटी-डिप्रेशन दवाओं में भी इस्तेमाल होते हैं।

सारांश

ओमेगा-3 अकेले और एंटी-डिप्रेशन दवाओं के साथ मिलकर डिप्रेशन से लड़ने में सहायक होता है।

अच्छी नींद के लिए मछली के फायदे

नींद की समस्या आजकल बहुत आम है। जिसमें ब्लू लाइट के बीच अधिक संपर्क में रहना एक महत्वपूर्ण कारण हो सकता है। हालांकि शोधकर्ताओं का मानना है कि इसमें विटामिन की कमी भी एक प्रमुख कारण हो सकता है। एक रिसर्च के अनुसार, सप्ताह में तीन बार सैल्मन मछली के साथ डाइट लेने से नींद और रोज की कार्य क्षमता में सुधार हुआ है। साथ ही शोधकर्ताओं ने अपने रिसर्च से यह भी स्थापित किया कि अच्छी नींद में विटामिन डी भी मददगार साबित हुआ।

सारांश

प्रारंभिक अध्ययनों से पता चलता है कि सैल्मन जैसी फैटयुक्त मछली के सेवन से नींद में सुधार होता है।

विटामिन डी का भंडार

विटामिन डी एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है। यह व्यक्ति के शरीर में स्टेरॉयड हार्मोन की तरह काम करता है। इसके अलावा यह पाया गया है कि लगभग 41.6% आबादी में विटामिन डी की कमी है। मछली इस विटामिन यानी विटामिन डी का एक अच्छा स्रोत है। विटामिन डी फैटयुक्त मछली हेरिंग या सैल्मन में भरपूर होता है। पकाए गए सैल्मन को सर्व करने की 4-औंस (लगभग 113 ग्राम) मात्रा में विटामिन डी का लगभग 100% आरडीआई होता है।

कॉड लिवर ऑयल सहित कुछ अन्य फिश ऑयल्स हैं। इनमें विटामिन डी की मात्रा भी भरपूर होती है। एक चम्मच (लगभग 15 मिली) फिश ऑयल में 200% से अधिक आरडीआई मिलती है। यदि कोई व्यक्ति अधिक धूप में नहीं निकल पाता है और अक्सर फैट से भरपूर मछली का सेवन नहीं करता है, तो उसे विटामिन डी सप्लीमेंट का सेवन जरूर करना चाहिए।

सारांश

फैटी फिश विटामिन डी का एक बेस्ट स्रोत है। इतनी ही नहीं, हमारे शरीर की जरूरत के हिसाब से यह एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है।

ऑटोइम्यून कंडीशन के रिस्क को कम करना

टाइप 1 डायबिटीज जैसी ऑटोइम्यून स्थितियां तब पैदा होती हैं, जब किसी व्यक्ति की इम्यून सिस्टम गलती से हेल्दी बॉडी के ऊतकों पर हमला करती है और उन्हें नुकसान पहुंचाती है। कई रिसर्च से यह मालूम चलता है कि ओमेगा-3 या फिश ऑयल के सेवन से बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज और वयस्कों में एक प्रकार के ऑटोइम्यून डायबिटीज का कम रिस्क होता है।

मछली और मछली के तेल में मौजूद विटामिन डी और ओमेगा-3 इसके लिए लाभकारी हो सकते हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि मछली के सेवन से मल्टीपल स्केलेरोसिस और रुमेटीइड गठिया का खतरा कम हो सकता है। हालांकि इससे जुड़े हाल के आंकड़े थोड़े कमज़ोर हैं।

सारांश

मछली के सेवन से टाइप 1 डायबिटीज और अन्य ऑटोइम्यून समस्याओं का खतरा कम हो जाता है।

बुजुर्गों के आंखों की रोशनी बनाए रखना

बढ़ती उम्र से जुड़ी मैक्यूलर डीजनरेशन (एएमडी) प्रचलित समस्याओं में से एक है। यह अंधापन और आंखों की रोशनी को कम करने के लिए जाना जाता है। इस स्थिति का प्रमुख रूप से वृद्ध वयस्कों पर प्रभाव पड़ता है। कुछ आंकड़े बताते हैं कि ओमेगा फैट और मछली इस समस्या से लड़ने में उपयोगी हैं।

एक अध्ययन में यह पाया गया कि नियमित मछली के सेवन से महिलाओं में एएमडी का जोखिम 42% कम हो जाता है। एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि सप्ताह में एक बार फैटयुक्त मछली का सेवन करने से वेट एएमडी का जोखिम 53% कम हो जाता है।

सारांश

जो व्यक्ति अधिक मछली खाते हैं उनमें एएमडी का जोखिम बहुत कम होता है। एएमडी आंखों की रोशनी कम होना और अंधापन के प्रमुख कारणों में से एक है।

कितनी मछली खानी चाहिए?

एनएचएस लोगों को प्रत्येक सप्ताह मछली के कम से कम 2 हिस्से खाने की सलाह देता है, जिनमें से कम से कम एक हिस्सा ऑयली मछली का होना चाहिए। यह भाग 140 ग्राम पकी हुई मछली के बराबर है।

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डायबिटीज के मरीजों के लिए मछली कैसे फायदेमंद है? Sugar me Fish kha sakte hai

डायबिटीज के मरीजों के लिए मछली एक बेस्ट फूट प्रोडक्ट है जोकि हेल्दी भी है। मछली की कम कार्ब सामग्री ब्लड शुगर के लेवल को सामान्य बनाए रखती है। ओमेगा-3 अच्छे कोलेस्ट्रॉल प्रोफाइल को बढ़ाने में महत्वपूर्ण होते हैं। इसके अलावा ये इन्फ्लेमेशन को भी कम करने में मदद करते हैं।

इसके अलावा मछली हड्डियों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए जरूरी विटामिन डी हमारे शरीर को प्रदान करती है। मछली में मौजूद विटामिन बी12 तंत्रिका कोशिकाओं और आरबीसी को स्वस्थ रखने में मदद करता है। कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि मछली का सेवन करने वाले व्यक्तियों में डायबिटीज का खतरा कम हो जाता है। इसलिए अपनी डाइट में मछली को जोड़ना फायदमेंद होता है, खासकर डायबिटीज के मरीजों के लिए अनगिनत स्वास्थ लाभ मिलते हैं।

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मछली खाने से होने वाले नुकसान

ट्यूना, शार्क, मार्लिन या स्वोर्डफ़िश जैसी विभिन्न मछलियों में मर्करी का लेवल हाई होता है। कई मछलियों में पाया जाने वाला मर्करी का लेवल नुकसानदायक नहीं है। हालांकि एनएचएस प्रेग्नेंट या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसका सेवन नहीं करने का सुझाव देता है:

  • स्वोर्डफ़िश
  • मार्लिन
  • शार्क
  • ताज़ा टूना (डिब्बाबंद टूना लिया जा सकता है लेकिन कम मात्रा में)।

अंडे और मूंगफली की अतिसंवेदनशीलता के बाद, मछली और सीफूड एलर्जी की अतिसंवेदनशीलता मध्यम रूप से आम बात है। अतिसंवेदनशीलता के लक्षण मतली, बीमारी, पतला मल या पेट में ऐंठन हो सकते हैं।

मछली की साफ-सफाई, स्टोरेज और रख-रखाव

कच्ची या अधपकी मछली के सेवन से फूड पॉइजनिंग हो सकती है। लोग अक्सर सीप को कच्चा ही खा लेते हैं। इसलिए पकी हुई मछली की तुलना में फूड पॉइजनिंग का खतरा अधिक होता है। लोगों को कच्ची मछली को अन्य उत्पादों के सीधे संपर्क से दूर रखना चाहिए। कच्चे मांस को छूने के बाद हाथ और उसके संपर्क में आने वाले किसी भी बर्तन को धोना बेहतर होता है।

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डायबिटीज के लिए मछली की किस्में और उन्हें कैसे खाएं

एडीए का सुझाव है कि मधुमेह रोगी हर सप्ताह कम से कम दो बार मछली खाया करें। तले हुए रूपों की तुलना में भुनी हुई, बेक की हुई या ग्रिल की गई मछली की रेसिपी फायदेमंद होती है। डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद मछली की कुछ किस्में नीचे दी गई हैं:

डायबिटीज के लिए मछली की किस्में और उन्हें कैसे खाएं

1. सैल्मन (Salmon Fish)

सैल्मन में भरपूर मात्रा में ओमेगा-3 फैट होता है। यह व्यक्ति के हृदय के स्वास्थ्य को बनाए रखता है और उसके कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कंट्रोल करता है। तुलसी, जैतून का तेल और नींबू का रस मिलाने से सैल्मन स्वादिष्ट हो जाता है। चावल और ब्रोकोली के साथ खाने पर इसका संपूर्ण स्वास्थ लाभ प्राप्त होता है।

2. कॉड (Cod Fish)

कॉड में कम कैलोरी, अधिक प्रोटीन और स्वाद में स्वादिष्ट होता है। स्वादिष्ट रात का भोजन तैयार करने के लिए लोग अक्सर कॉड को मसालों, सब्जियों और मसालों के साथ मिलाकर बनाते हैं।

3. टूना(Tuna Fish)

ट्यूना के ताजा और डिब्बाबंद दोनों रूप डायबिटीज वाले लोगों के लिए फायदेमंद है। पनीर या मेयो सैंडविच के साथ ट्यूना खाने से स्वाद और बढ़ जाता है।

4. सार्डिन और हेरिंग (Sardines and Herring)

दोनों मछलियां कैल्शियम, विटामिन डी और फैटी एसिड का सबसे समृद्ध स्रोत हैं। स्ट्यू में ग्रिल्ड सार्डिन एक स्वादिष्ट भोजन बनाते हैं।

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मछली कब खानी चाहिए?

डायबिटीज के मरीजों को सप्ताह में कम से कम दो बार मछली खाने की सलाह दी जाती है। यह केवल 1 सर्विंग में पकी हुई मछली के दो से तीन औंस के बराबर है। वीकल प्लान में फैटयुक्त मछली की कम से कम एक खुराक शामिल होनी चाहिए। व्यक्ति अपने भोजन का समय अपने डाइट चार्ट के अनुसार तय कर सकता है।

ज्यादा मछली खाने से होने वाले नुकसान

कच्ची मछली या बिना पकाए मछली खान से उसमें पानी के द्वारा मिले हुए पॉल्युशन और केमिकल्स खतरनाक हो सकते हैं। मछलियों के कुछ प्रकार में मर्करी भी होता है, जैसे- स्वोर्डफिश या मार्लिन होती हैं। मछली के सेवन से कुछ व्यक्तियों में अतिसंवेदनशीलता या एलर्जी हो सकती है।

डायबिटीज डाइट: ग्लाइसेमिया वालों के लिए मछली सुपरफूड का काम करती है, इसे खाने से अनगिनत स्वास्थ लाभ मिलते हैं!!

सारांश

मछली बेहतरीन प्रोटीन का एक बेस्ट स्रोत है। इसके अलावा फैटयुक्त मछली के किस्मों में हार्ट-हेल्दी ओमेगा-3 फैट होता है। जिससे कई लाभ मिलते हैं, जैसे बेहतर मानसिक स्वास्थ्य और बुढ़ापे में आंखों की रोशनी को बनाए रखना। साथ ही मछली आसानी से तैयार हो जाती है, इसलिए लोग आज ही इसे अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

शुगर में मछली खाना चाहिए कि नहीं?

अक्सर शुगर के मरीजों में विटामिन D की कमी होती है, ऐसे में विटामिन D की पूर्ति करने के लिए मछली खाना एक बेस्ट ऑप्शन होता है। इसमें मौजूद ओमेगा 3 फैटी एसिड ट्राइग्लिसराइड लेवल कम करके, ब्लड फ्लो में सुधार करता है। जिससे शुगर के मरीज का हार्ट सुरक्षित रहता है।

क्या मछली इंसुलिन के लेवल को बढ़ाती है?

फैटयुक्त सीफूड का अधिक सेवन एडिपोनेक्टिन नामक हार्मोन, इंसुलिन के लेवल को बढ़ाता है।

क्या मछली ग्लूकोज के लेवल को कम करती है?

सीफूड, जैसे फिश और शेलफिश में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन होता है। साथ ही हेल्दी फैट, एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन और मिनिरल्स भी प्राप्त होता है। इन पोषक तत्वों और प्रोटीन से ब्लड शुगर को कंट्रोल में रखने में मदद मिलती है।

शुगर में कौन सी भारतीय मछली खाने के लिए बेस्ट होती है?

सैल्मन, मैकेरल, हेरिंग और सार्डिन ओमेगा 3 युक्त फैटयुक्त मछली के कुछ रूप हैं। डायबिटीज की जटिल समस्याओं को रोकने के लिए ओमेगा-3 फैटी एसिड सबसे अच्छे पोषक तत्व हैं। ये जटिल समस्याएं न्यूरोपैथी, नेफ्रोपैथी, रेटिनोपैथी, कार्डियोमायोपैथी आदि हो सकती हैं। जिसे मछली खाने पर आसानी से रोका जा सकता है।

क्या डायबिटीज के मरीज तली हुई मछली खा सकते हैं?

डायबिटीज वाले लोगों के लिए मछली एक लाभकारी है। कम कार्ब सामग्री किसी व्यक्ति के ब्लड शुगर के लेवल को बनाए रखती है। मछली में मौजूद ओमेगा फैट अच्छे कोलेस्ट्रॉल प्रोफाइल को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण होता है। इसके अलावा, मछली इन्फ्लेमेश को कम करने में मदद करते हैं।

Last Updated on by Dr. Damanjit Duggal 

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