क्या डायबिटीज पेशेंट्स को आलू खाना चाहिए?

Last updated on नवम्बर 14th, 2022

भले ही आलू एक स्टार्चयुक्त सब्जी है, फिर भी एक डाईबिटीज़ पेशेंट को इसके कई लाभ मिल सकते हैं। यह ज़रूरी है कि एक डाइबीटिक व्यक्ति को अपने लिए ज़रूरी कार्ब की मात्रा का पता होना चाहिए। जब कोई व्यक्ति कुछ खाता है, तो उसका शरीर भोजन में मौजूद कार्ब्स और शर्करा को ग्लूकोज नामक साधारण चीनी में बदल देता है। यह ग्लूकोज रक्तप्रवाह में जाता है और रक्त में ग्लूकोज के स्तर को बढ़ाता है। एक व्यक्ति जिसे मधुमेह नहीं है वह इंसुलिन हॉर्मोन का उत्पादन और कुशलता से उपयोग कर के इस शुगर को कोशिकाओं तक पहुंचाता है जिनका उपयोग ऊर्जा के रूप में होता है। लेकिन दूसरी ओर, डाईबिटीज़ पेशेंट प्रभावी तरीके से इंसुलिन का उत्पादन या उपयोग करने में असमर्थ होते है। इस तरह यह शुगर सेल्स में नहीं जा कर खून या ब्लडस्ट्रीम में ही बनी रहती है और ब्लड शुगर लेवल को बढ़ाती है। इस वजह से, यह महत्वपूर्ण है कि मधुमेह रोगियों को अपने कार्ब सेवन की निगरानी करनी चाहिए। इसी शृंखला में इस ब्लॉग में हम पढ़ेंगे कि क्या डाइबीटिक पेशेंट को आलू खाना चाहिए?

आलू एक स्टार्चयुक्त सब्जी है जिसमें कार्ब्स होते हैं जो किसी व्यक्ति के ग्लूकोज के स्तर को बढ़ाने के लिए पर्याप्त होते हैं। लेकिन क्या एक डाइबीटिक पेशेंट आलू खा सकता है? इसके लिए इस ब्लॉग में हम आलू में मौजूद शुगर कंटेन्ट, क्या आलू डाईबिटीज़ में अच्छा है और डाइबीटिक लोगों को आलू कैसे पकाना चाहिए, इन सब के बारे में पढ़ेंगे।

जब कोई व्यक्ति अपने रक्त शर्करा या शुगर लेवल को मॉनिटर कर रहा है तो कार्ब काउन्ट बहुत ज़्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है। पाचन तंत्र में कार्ब्स ग्लूकोज में टूट जाते हैं और शुगर लेवल को स्पाइक करते हैं। यह ग्लूकोज रक्तप्रवाह में प्रवेश करता है और रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ाता है।

अगर हम आलू की बात करें तो यह औसत वयस्क आबादी द्वारा प्रति वर्ष उपभोग की जाने वाली सब्जियों का 30% है यानि सबसे लोकप्रिय सब्जी है। आलू के छिलके में भरपूर फाइबर व कम कैलोरी होती है। इसमें विटामिन बी 6 और सी, साथ ही पोटेशियम जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व भी मौजूद होते हैं। साथ ही, यह सब्जी स्टार्च से भरपूर होती है, जो की फिर से एक कार्ब ही है। हालांकि, यह एक कॉम्प्लेक्स “स्वस्थ” कार्ब के रूप में जाना जाता है। ये कार्ब्स अन्य प्रकार के कॉम्प्लेक्स कार्ब्स की तुलना में किसी व्यक्ति के शरीर द्वारा पचने में आसान होने के साथ-साथ पचाने में भी तेज़ होते हैं। ये टूटे हुए कार्बोहाइड्रेट व्यक्ति के रक्तप्रवाह को ग्लूकोज से भर देते हैं और इससे ब्लड ग्लूकोज तेजी से बढ़ता है।

मधुमेह वाले व्यक्तियों में, यह प्रक्रिया अच्छी नहीं होती। इन लोगों में शरीर ग्लूकोज को रक्त और शरीर की कोशिकाओं तक पहुंचाने के बजाय, ब्लडस्ट्रीम में ही बनाए रखता है और रक्त में ग्लूकोज के स्तर को अधिक समय तक बढ़ाए रखता है। इस प्रकार, उच्च कार्बोहाइड्रेट वाले खाद्य पदार्थ का अधिक मात्रा में सेवन करना मधुमेह रोगियों के लिए हानिकारक हो सकता है।

खराब डाईबिटीज़ मेनेजमेंट गुर्दे की क्षति, हार्ट फेल, स्ट्रोक, तंत्रिका क्षति, दृष्टि हानि और एम्प्यूटेशन जैसी स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ा हुआ है। इसलिए ऐसी गंभीर स्थितियों से बचने के लिए एक डाइबीटिक व्यक्ति को अपनी कार्ब कन्सम्शन को सीमित रखना चाहिए। यह प्रति दिन 20-50 ग्राम की बहुत कम कार्बोहाइड्रेट खपत से लेकर प्रत्येक दिन 100-150 ग्राम की मध्यम सीमा तक भिन्न हो सकता है। हर व्यक्ति में यह मात्रा उसके स्वास्थ्य व उसकी ज़रूरत पर निर्भर करती है।

आलू और मधुमेह (आलू और डाईबिटीज़)

एडीए पौष्टिक आहार या हेल्दी डाइट के हिस्से के रूप में आलू जैसी स्टार्च वाली सब्जियों के सेवन करने की सलाह देता है। स्टार्च एक जटिल कार्ब है जो साधारण शर्करा की तुलना में टूटने में लंबा समय लेता है जिससे शुगर लेवल धीरे बढ़ते हैं।

यह एक आम भ्रम है कि मधुमेह रोगियों को आलू या अन्य स्टार्चयुक्त खाद्य पदार्थ नहीं खाने चाहिए क्योंकि उनके ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) उच्च हो सकते है। जीआई वह यूनिट है जो यह निर्धारित करती है की कोई खाद्य पदार्थ कितनी धीमे या जल्दी आपके शरीर में ब्लड शुगर लेवल को बढ़ाती है। इस आधार पर अलग-अलग खाद्य पदार्थों की रैंकिंग की जाती है। उच्च जीआई वाले खाद्य पदार्थ कम जीआई वाले खाने की तुलना में रक्त शर्करा को तेजी से बढ़ाते हैं।

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आलू के बारे में कुछ तथ्य

एडीए के मुताबिक:

  • कम जीआई वाले खाद्य पदार्थों का जीआई 55 या उससे कम होता है
  • मध्यम-जीआई खाद्य पदार्थों का जीआई 56 से 69 के बीच होता है
  • उच्च-जीआई खाद्य पदार्थों का जीआई 70 या उससे अधिक होता है

निम्न या मध्यम जीआई वाले खाद्य पदार्थों का सेवन व्यक्ति को उसके शर्करा के स्तर को मेनेज करने में काफी सहायता करता है। हालांकि, आलू की कुछ किस्मों में उच्च जीआई मूल्य होता है, लेकिन इनमें मौजूद अन्य कारक इसे संतुलित करने में मदद करते हैं।

फिर भी, केवल जीआई ही ब्लड शुगर पर प्रभाव डालता है, ऐसा नहीं है। ग्लाइसेमिक लोड (जीएल) भी ब्लड में जाने वाली शुगर की मात्रा को निर्धारित करता है। इसलिए डाइबीटिक्स को अपनी डाइट में हाई जीआई फूड को शामिल करने से बचना चाहिए। साथ ही उसकी पोर्शन साइज़ व पकाने के तरीके भी रक्त में शुगर लेवल की मात्रा को निर्धारित करते हैं।

उच्च-जीआई भोजन को अपनी डाइट में शामिल करने के लिए एडीए के स्पेशल डाइट प्लान के अनुसार उसे लो-जीआई फूड के कॉमबीनेशन के साथ खाना चाहिए। एडीए के अनुसार एक हेल्दी डाइट प्लान में स्टार्चयुक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करते व्यक्त उसकी मात्रा पर ध्यान देना बहुत महत्वपूर्ण है।

किसी भी खाद्य पदार्थ को कैसे पकाया जाता है यह भी स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। अलग-अलग तेलों और वसा में फ्राई किये गए आलू, जिनमें एनिमल फैट भी मौजूद हो, वो उसमें संतृप्त और ट्रांस-वसा को बढ़ा सकते हैं। यह हृदय संबंधी समस्याओं के रिस्क को भी बढ़ा सकता है, विशेष रूप से मधुमेह रोगियों में जिन्हें पहले से ही हृदय विकारों का खतरा बढ़ जाता है।

इसके अलावा, वसा में कैलोरी भी होती है। जो लोग टाइप 2 डाईबिटीज़ के प्रभाव को कम करने के लिए अपने वज़न को नियंत्रित रखना चाहते हैं उन्हें आलू को इस तरह पकाना चाहिए जिससे उनकी कैलोरी और वसा की संख्या सीमित रहे। शरीर के वज़न को कम करने के लिए, व्यक्तियों को खाने से ज्यादा कैलोरी बर्न करनी चाहिए।

डाईबिटीज़ पेशेंट के लिए आलू बनाने का सबसे अच्छा तरीका है कि आलू को उबाल कर या भाप में पका कर खाएं। उबले हुए और स्टीम आलू दोनों में विटामिन, खनिज और फाइबर की भरपूर मात्रा होती है लेकिन वसा, चीनी और नमक की मात्रा काफी कम होती है।

सारांश

क्या आलू डाइबीटिक्स के लिए सही हैं? किसी भी अन्य कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थ की तरह, आलू रक्त में ग्लूकोज के स्तर को बढ़ाते हैं। जब एक आलू का सेवन किया जाता है, तो शरीर कार्ब्स को साधारण शुगर में तोड़ देता है जो ब्लडस्ट्रीम में जाती है। इसके परिणामस्वरूप रक्त शर्करा के स्तर में वृद्धि होती है। इसे संतुलित करने के लिए हार्मोन इंसुलिन रक्त में रीलीज़ होता है। इंसुलिन ग्लूकोज को शरीर की कोशिकाओं में ले जाने में मदद करता है ताकि उनका उपयोग ऊर्जा के लिए किया जा सके।

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डाईबिटीज़ के साथ आलू खाते समय कुछ महत्वपूर्ण बातें

  • आलू को छिलके के साथ खाना अधिक स्वास्थ्यवर्धक होता है।
  • मधुमेह रोगियों को उनके द्वारा खाए जाने वाले आलू के भाग या मात्रा के बारे में पता होना चाहिए।
  • संतुलित, स्वास्थ्यवर्धक भोजन के हिस्से के रूप में आलू का सेवन करना हमेशा एक अच्छा विचार है।

क्या टाइप 2 डाईबिटीज़ पेशेंट आलू खा सकते हैं?

  • कम जीआई खाद्य पदार्थों के साथ आलू का सेवन जो फाइबर, लीन प्रोटीन और स्वास्थ्यवर्धक वसा प्रदान करते हैं, आहार के पोषण लाभों को संतुलित करने में सहायता कर सकते हैं।
  • उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करने से व्यक्ति की ब्लड शुगर नियंत्रित रहती है और साथ ही जल्दी भूख मिटती है।
  • कम जीआई वाले खाद्य पदार्थ में अन्य गैर-स्टार्च वाली सब्जियां हो सकती हैं।
  • मधुमेह रोगियों को भारी टॉपिंग से बचना चाहिए जिसमें ज़्यादा कैलोरी हो।

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मधुमेह रोगियों के लिए सर्वश्रेष्ठ आलू

  • शकरकंद मधुमेह रोगियों के लिए आलू के सबसे अच्छे प्रकारों में से एक है, क्योंकि उनका जीआई मूल्य कम होता है और सफेद आलू की तुलना में इसमें उच्च फाइबर सामग्री होती है। शकरकंद कैल्शियम और विटामिन ए का भी अच्छा स्रोत पाया जाता है।
  • करिस्मा आलू, सफेद आलू की किस्में, एक और निम्न-जीआई विकल्प हैं।
  • रासेट आलू उच्च-जीआई आलू है इसलिए डाईबिटीज़ वाले लोगों को इनको कम मात्रा में ही खाना चाहिए।
  • ये मधुमेह रोगियों के लिए स्वास्थ्यप्रद आलू में से कुछ हैं जो आज़माएँ जा सकते हैं।

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आलू खाने के विभिन्न तरीके

डायबिटीज रोगियों ले लिए आलू

आलू को किस तरह से खाया जाता है वह भी उसके जीआई और आलू की पोषण सामग्री को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, पूरे आलू में मैश किए हुए या कटे हुए आलू की तुलना में कम जीआई पाया जाता है।

क्या मैश किए हुए आलू मधुमेह रोगियों या डाइबीटिक्स के लिए ठीक हैं?

खाने से पहले आलू को कुछ हद तक ठंडा होने देना भी सेहत के लिए फायदेमंद हो सकता है। आलू को पकाने से स्टार्च की पाचन क्षमता बढ़ती है, जिससे जीआई वैल्यू बढ़ जाती है। ठंडा होने के बाद, आलू की पाचन क्षमता फिर से कम हो जाती है, और इससे जीआई वैल्यू कम हो सकती है।

इस प्रकार, आलू पकाने का सबसे पौष्टिक तरीका उन्हें भाप देना, उबालना या माइक्रोवेव करना है। इस तरह से आलू पकाने से उनमें वसा, चीनी और नमक की मात्रा कम हो जाती है।

आलू के छिलके को रखने से अतिरिक्त फाइबर मिलता है। आलू में मौजूद 50% तक फेनोलिक यौगिक छिलके व उसके पास के पल्प में पाए जाते हैं। फेनोलिक यौगिकों में स्वास्थ्य के लिए उपयोगी अनुकूल एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं।

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मधुमेह रोगियों के लिए डाइट टिप्स 

आलू के साथ बिना स्टार्च वाली सब्जियों को शामिल करना महत्वपूर्ण है।

डाइट प्लान मधुमेह रोगियों के लिए एक महत्वपूर्ण टूल है जो उनकी ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने के लिए ज़रूरी है। इसके लिए किसी चिकित्सक, या न्यूट्रीशनिस्ट से अपना डाइट प्लान बनवाएं जो आपके लिए एक बेहतर डाइबीटिक डाइट बनाएगा।

मधुमेह वाले लोगों को उच्च मात्रा में गैर-स्टार्च वाली सब्जियों का सेवन करना चाहिए और अपनी डाइट में पोषक तत्वों से भरपूर सब्जियों जैसे फूलगोभी, गाजर, टमाटर, ब्रोकोली, मिर्च, पालक और अन्य हरी पत्तेदार सब्जियों को शामिल करना चाहिए।

स्टार्चयुक्त और लीन प्रोटीन विकल्प आपकी डेली डाइट की प्लेट का कम से कम 1/4 भाग होना चाहिए। मीट में से सेचुरेटेड फैट को कम करें।

साथ ही, डाईबिटीज़ मेनेजमेंट के लिए कार्ब काउंटिंग भी एक उपयोगी टूल है। टोटल कार्ब की मात्रा यह निर्धारित करने में मदद करती है की कोई खाद्य पदार्थ या भोजन किसी व्यक्ति के शरीर में शुगर लेवल्स को कैसे प्रभावित करता है। इस तरह शुगर लेवल मेनेज करने के लिए किसी डाइटीशीयन या चिकित्सक की मदद लें जो आपकी ज़रूरत के हिसाब से आपके डेली कार्ब कन्सम्शन की सही सलाह दे सके।

सारांश

आलू चाहे तला हुआ, बेक किया हुआ, उबला हुआ, मसला हुआ या स्टीम्ड हो, यह डाइट प्लान में एक बहुत अच्छा खाद्य पदार्थ है। साबुत आलू के मध्यम मात्रा के साथ गैर-स्टार्चयुक्त खाद्य पदार्थों का सेवन उनके जीआई को संतुलित करने में मदद कर सकता है। इसे बिना किसी अतिरिक्त सामग्री को मिलाए, उबालकर या भाप से पकाया जा सकता है, इससे इसमें वसा, नमक और चीनी की मात्रा कम रहती हैं। आलू पोटेशियम और विटामिन बी से भरपूर होते हैं, साथ ही उसके छिलके में मामूली मात्रा में फाइबर होता है। मधुमेह रोगी इस सब्जी का कई रूपों में सेवन कर सकते हैं, लेकिन ग्लूकोज के स्तर पर उनके प्रभाव को पहले से पता करना बहुत ज़रूरी है। यह रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ाता है क्योंकि कार्बोहाइड्रेट आसानी से सरल शर्करा में टूट जाते हैं और फिर वे ब्लडस्ट्रीम में चले जाते हैं। डाइबीटिक लोगों में, शुगर रक्त में से आसानी से नहीं नियंत्रित होती जिसके परिणामस्वरूप हाई शुगर लेवल के साथ-साथ कई प्रकार की स्वास्थ्य जटिलताएं हो सकती हैं। अधिक मात्रा में आलू खाने से मधुमेह रोगियों में रक्त शर्करा नियंत्रण में समस्या हो सकती है।

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FAQs:

डाईबिटीज़ में आलू की कितनी मात्रा का सेवन सही है?

इसकी मात्रा आपके दैनिक कार्ब काउन्ट पर निर्भर करती है। उदाहरण के लिए, यदि डायबिटिक का भोजन में कार्ब लक्ष्य 30 ग्राम है, तो व्यक्ति अपनी पसंद के अनुसार एक कप मैश किए हुए आलू या एक मध्यम आलू का सेवन कर सकता है।

क्या आलू किडनी के लिए हानिकारक है?

आलू कंद के पोषण संबंधी लाभों के बावजूद, क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी) की समस्या वाले लोगों को आलू के सेवन से दूर रहना चाहिए। आलू में पोटेशियम की मात्रा अधिक होती है जो इस समस्या को और गंभीर कर देती है।

क्या आलू से मोटापा बढ़ता है?

आलू जटिल कार्ब्स होते हैं इसलिए अगर आप इनका कम मात्रा में सेवन करते हैं तो आप मोटे नहीं होंगे। लेकिन, अगर उन्हें क्रीम, मक्खन या किसी अन्य वसायुक्त सामग्री के साथ पकाया जाता है, तो इससे वजन बढ़ सकता है।

क्या आलू को कच्चे रूप में खाना अच्छा है?

कच्चे आलू से पाचन संबंधी समस्याएं होने की संभावना अधिक होती है और माना जाता है कि इसमें अधिक मात्रा में एंटीन्यूट्रिएंट्स और हानिकारक यौगिक शामिल होते हैं। हालांकि, उनमें अधिक विटामिन सी और प्रतिरोधी स्टार्च भी पाया जाता है, जो कुछ स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकती है। हालांकि, हेल्दी डाइट के हिस्से के रूप में कच्चे और पके आलू दोनों को केवल सीमित मात्रा में लेना अच्छा रहता है।

Last Updated on by Dr. Damanjit Duggal 

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