बिना दवाई के शुगर कैसे ठीक करें? Sugar ko kaise control kare

Medically Reviewed By DR. VIJAY KUMAR 12 years of experience in Diabetology मार्च 27, 2024

Last updated on अक्टूबर 23rd, 2023

डायबिटीज(शुगर) को कंट्रोल करना अक्सर कई लोगों द्वारा एक चुनौती के रूप में देखा जाता है। हां, अगर इसे नजरअंदाज कर दिया जाए या सही तरीके से काम न किया जाए तो यह चुनौतीपूर्ण हो सकता है। लेकिन क्या होगा अगर सख्त आहार या कठोर कसरत के बिना डायबिटीज(शुगर) को कंट्रोल करने का कोई तरीका हो?

इस ब्लॉग(लेख) में हम जानेंगे कि कैसे एक युवा डायबिटीज(शुगर) नायक(हीरो) – विभोर ने एक सरल लेकिन प्रभावी तरीका अपनाकर डायबिटीज को कंट्रोल किया। विभोर के बारे में जानकर हो सकता है कि आपको कोई समाधान मिल जाए जिससे आप अपने डायबिटीज को भी कंट्रोल कर सकें।

विभोर को 30 साल की कम उम्र में टाइप 2 डायबिटीज का पता चला था। वह हायर स्टडीज के लिए अपने माता-पिता से दूर अकेले रहते थे। वहीं पर कुछ युवाओं के प्रभाव में उन्हें धूम्रपान(स्मोकिंग) और शराब पीने की आदत लग गई।  खराब डाइट और बिगड़ी हुई लाइफस्टाइल ने कंडीशन को और भी खराब कर दिया।  जब उन्होंने अपने शरीर में कुछ ऐसे लक्षण देखे जो नकारात्मक(नेगेटिव) थे जैसे मोटापा, ज्यादा प्यास लगना और बार-बार पेशाब आना। इन बिगड़ते लक्षणों से परेशान होकर वह डॉक्टर के पास गए। डॉक्टर ने पूरी जांच करने के बाद बताया की कि उन्हें टाइप -2 डायबिटीज है।

विभोर के फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज परीक्षण(टेस्ट) के कुछ ऐसे परिणाम(रिजल्ट) प्राप्त हुए- उनका ब्लड शुगर लेवल (उपवास) 170 मिलीग्राम/डीएल से ज्यादा था जो सामान्य ब्लड शुगर लेवल (100 मिलीग्राम/डीएल से कम होना चाहिए) से काफी ज्यादा था। विभोर इस बात से बिल्कुल अनजान थे। लेकिन ऐसे तरीके भी थे जिनसे वह अपने शुगर(डायबिटीज) से छुटकारा पा सकते थे। उनके जैसे कई लोगों को शुरुआती स्टेज में ही डायबिटीज का पता चल जाता है और उनमें से ज्यादातर लोग आसानी से इससे छुटकारा पा लेते हैं।

आइए और ज्यादा विस्तार से समझें कि शुगर या डायबिटीज को कैसे कंट्रोल(कंट्रोल) किया जाए।

बिना दवा के शुगर(डायबिटीज) को कैसे कंट्रोल करें

डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति के लिए ब्लड शुगर लेवल (भोजन के 1 से 2 घंटे बाद) 180 मिलीग्राम/डीएल से कम होना चाहिए। विभोर ने अपने लिए इन ब्लड शुगर लेवल को लक्ष्य बनाना शुरू कर दिया। लेकिन विभोर केवल दवाएं ही लेते थे। उन्होंने इस तथ्य(फैक्ट) को नजरअंदाज कर दिया कि जो व्यक्ति बिना दवा के शुगर को कंट्रोल करना चाहते हैं। उन्हे पहले इन तरीकों का पालन करना चाहिए-

  • डायबिटिक-फ्रैंडली डाइट का पालन करें।
  • एक एक्टिव लाइफस्टाइल अपनाएं।
  • वजन को कंट्रोल में रखें।

ऊपर बताए गए तरीकों को न जानने के कारण विभोर को बार-बार इंसुलिन थेरेपी से गुजरना पड़ा और उसका वजन बढ़ता गया। और अंत में एक ऐसी स्थिति आई जब दवाएँ उनके ब्लड शुगर को कंट्रोल नहीं कर सकीं।

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए विभोर ने आगे बढ़ने का फैसला किया। उन्होंने अपनी पूरी लाइफस्टाइल बदलने का प्लान बनाया। उन्हें डायबिटीज रिवर्सल एक्सपर्ट से कुछ विशेष बातें पता चली जिनका पालन उन्हे करना था। उन बातों में डाइट सबसे जरूरी चीज थी।

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डाइट से शुगर को कैसे कंट्रोल करें? Diet to Control Sugar 

शुगर(डायबिटीज) पर नियंत्रण पाने के लिए विभोर को डाइट में थोड़ा बदलाव लाने के लिए कहा गया। डाइट के साथ शुगर(डायबिटीज) को कैसे कंट्रोल किया जाए, इसका पालन करने और समझने के लिए यहां कुछ तरीके बताए गए हैं।

  1. अपने परोसने के आकार(सर्विंग साइज) की जाँच करें।भाग(पोर्शन) नियंत्रण(कंट्रोल)

हर रोज भोजन के माध्यम से ली जाने वाली कैलोरी सेवन का एक तरीका। डाइट के साथ शुगर को कैसे कंट्रोल किया जाए इसके लिए पहले चरण में भाग(पोर्शन) कंट्रोल को लागू करने के लिए निम्नलिखित तरीकों को अपनाएं-

  1. धीरे धीरे खाएं।
  2. भोजन डायरी बना कर रखें।

2. हाइड्रेटेड रहें (पर्याप्त पानी पिएं)

शुगर को कैसे कंट्रोल करें तो इसकी शुरुआत होती है ढेर सारा पानी पीने से। हाई-ब्लड शुगर लेवल डीहाईड्रेशन का कारण बन सकता है। पानी पीने से एक्स्ट्रा ग्लूकोज यूरिन के माध्यम से बाहर निकल जाता है और हाई-ब्लड ग्लूकोज लेवल का खतरा कम हो जाता है। पानी ब्लड को हाइड्रेट करता है और शुगर के खतरे को कम करता है।

3. लो-कार्ब डाइट

लो-कार्ब डाइट का पालन करने से लंबे समय तक ब्लड शुगर लेवल को स्थिर(स्टेबल) रखने में मदद मिलती है। कार्ब्स किसी भी अन्य भोजन की तुलना में ब्लड शुगर को ज्यादा बढ़ाते हैं। इसलिए डायबिटीज से पीड़ित लोगों को कार्ब्स के ज्यादा सेवन से बचना चाहिए।

और पढ़े : सीखें डायबिटीज मैनेजमेंट के सही तरीके

एक्सरसाइज से शुगर को कैसे कंट्रोल करें? (Exercise to Control Diabetes)

यदि आप नीचे बताए गए एक्सरसाइज नियमित रूप से करते हैं तो आप अपने फिटनेस को सही रख सकते हैं और संभव है कि डायबिटीज को कंट्रोल करने का उत्तर भी पा सकते हैं।

  1. तेज चलना – 30 मिनट की पैदल दूरी वजन घटाने में मदद करती है और शुगर से पीड़ित लोगों के ब्लड शुगर लेवल को कम करती है।
  2. तैराकी(स्विमिंग)- तैराकी जैसी वॉटर एक्टिविटी जोड़ों पर दबाव कम करती हैं, कोलेस्ट्रॉल के लेवल में सुधार करती हैं, कैलोरी जलाती(बर्न) है और तनाव(स्ट्रेस) कम करती है।
  3. साइकिल चलाना – शुगर को कंट्रोल करने की सूची में साइकिल चलाना सबसे सरल तरीकों में से एक है। यह एक एरोबिक एक्टिविटी है जो निचले अंगों की मांसपेशियों को एक्टिवेट करता है और पैरों पर दबाव कम करता है।
  4. वेटलिफ्टिंग(भारोत्तोलन)- यह प्रीडायबिटीज के टाइप 2 डायबिटीज में बदलने की संभावना को कम करता है। यह हृदय रोगों(हार्ट डिजीज) जैसी डायबिटीज की अन्य परेशानियों से बचाने में भी मदद करता है।
  5. कैलिस्थेनिक्स- कैलिस्थेनिक्स एक शक्ति प्रशिक्षण(स्ट्रेंथ ट्रेनिंग) एक्सरसाइज है। इसके अभ्यास में आपके शरीर के वजन का इस्तेमाल होता है (उदाहरण के लिए पुश-अप्स, क्रंचेस, सिट-अप्स, आदि)। यह हमारे शरीर को इन्सुलिन का बढ़िया उपयोग करने में मदद करता है और इससे वजन भी कम होता है।
  6. पिलेट्स- ये लो-इंपैक्ट वाले फ्लेक्सिबिलिट और मसल्स स्ट्रेंथ की ताकत से जुड़े एक्सरसाइज हैं। यह मानसिक स्वास्थ्य(मेंटल हेल्थ) को बेहतर बनाने, शरीर की चर्बी को कम करने और ग्लाइसेमिया (ब्लड में ग्लूकोज के लेवल) को कंट्रोल करने में मदद करता है।

प्रत्येक एक्सरसाइज किसी न किसी रूप में डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति में सकारात्मक परिवर्तन लाता है। यह आपके पूरे शरीर की फिटनेस को बेहतर बनाने में मदद करता है। इतना ही नहीं, यह आपके शरीर में जमा अतिरिक्त फैट को खत्म करता है जिससे वजन कम होता है। बिना दवा के शुगर को कंट्रोल करने में एक्सरसाइज एक अहम भूमिका निभाता है।

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तनाव को कैसे कंट्रोल करें?

विभोर जैसे युवाओं के लिए तनावग्रस्त या डिप्रेशन महसूस करना बहुत आम बात है। तनाव अपने आप में एक गंभीर हेल्थ प्रॉब्लम है। उस सिचुएशन के बारे में सोचें जब किसी को तनाव और शुगर(डायबिटीज) दोनों से जूझना पड़ता है। विभोर और उसके जैसे लोग इस समस्या से कैसे निपटेंगे?

तनाव को कंट्रोल करने और कम करने के लिए यहां 4 सुझाव दिए गए हैं, जो काफी उपयोगी हैं-

  1. कैफीन का सेवन कम करें- कैफीन की हाई डोज (कॉफी और चाय में पाई जाती है) चिंता(एंजाइटी) और तनाव(स्ट्रेस) को बढ़ा सकती है। इसलिए कैफीन का सेवन जितना कम हो सके उतना कम करें।
  2. ज़ोर से हंसें- हंसने से आपकी मांसपेशियों को आराम मिलता है जिससे तनाव दूर करने में मदद मिलती है। इससे मानसिक स्वास्थ्य(मेंटल हेल्थ) में भी सुधार होता है।
  3. योग करें- तनाव मैनेजमेंट के लिए हठ योग एक अच्छा विकल्प है। यह तनाव को कम करता है, आपके मूड को बेहतर बनाता है और पुरानी बीमारियों के खतरे को भी कम करता है।
  4. मेडिटेशन(ध्यान) करें-  यह शरीर की पूरी तरह से रिलैक्स करता है और तनाव दूर करने में मदद करता है। ध्यान आपके मन से नकारात्मक(नेगेटिव) विचारों को दूर करने में भी मदद करता है।

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बिना दवा के शुगर(डायबिटीज) कैसे ठीक करें?

जब शुगर(डायबिटीज) का पता चलता है तो व्यक्तियों के सामने सबसे बड़ी चिंता यह होती है कि क्या उन्हें अपनी स्थिति को सही करने के लिए दवा पर निर्भर रहने की जरूरत है। कई व्यक्ति जो अपने हेल्थ के लिए प्रो-एक्टिव तरीका अपनाते हैं। उनका दवा पर स्विच करना जरूरी नहीं होता है। 

टाइप 2 डायबिटीज और प्रीडायबिटीज के अधिकांश पीड़ितों  को लाइफ स्टाइल में जरूरी बदलाव करने से डायबिटीज को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। इसमें संतुलित आहार(बैलेंस डाइट) बनाए रखना, नियमित फिजिकल एक्टिविटी में शामिल होना और तनाव को सही ढंग से मैनेज करना शामिल है। ये सभी सामान्य बदलाव ब्लड शुगर लेवल पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं। हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाकर पीड़ित व्यक्ति अपने डायबिटीज को नैचुरल तरीके से रोक सकते हैं।

ब्रीथ वेल-बीइंग में हमारे हेल्थ कोच नेचुरल तरीके से डायबिटीज से छुटकारा पाने के लिए डिज़ाइन किए गए पर्सनल प्लान तैयार करने में स्पेशलिस्ट हैं। हमारे 90% से अधिक ग्राहकों ने केवल छह महीनों के अंदर इस उपलब्धि को सफलतापूर्वक हासिल किया है। जो हमारी तत्परता, मेहनत, और लगन को दर्शाता है। 

डायबिटीज से नैचुरल तरीके से छुटकारा पाना एक ऐसा लक्ष्य है जिसे सिर्फ कमिटमेंट और सही गाइडेंस के माध्यम से हासिल किया जा सकता है। एक सही प्लान को फॉलो करके पीड़ित व्यक्ति दवा की जरूरत को कम कर सकते हैं या दवा के बिना शुगर(डायबिटीज) को कंट्रोल करने का स्थायी समाधान पा सकते हैं। लेकिन यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि शुगर(डायबिटीज) ऐसी समस्या है जिसमें हर पीड़ित व्यक्ति की अपनी एक अलग कंडीशन है। कुछ पीड़ित व्यक्तियों के मामले में कंडीशन यहां तक बढ़ सकती है जहां इलाज सिर्फ दवा के माध्यम से ही हो सकता है। ऐसी कंडीशन में एक हेल्थ केयर एक्सपर्ट से सलाह लेना बहुत जरूरी हो जाता है।

टाइप 1 डायबिटीज के लिए विभिन्न दृष्टिकोण(अप्रोच)-

बिना दवा के टाइप 1 डायबिटीज को कैसे कंट्रोल करें?

दवा या इंसुलिन के बिना टाइप 1 डायबिटीज को कंट्रोल करना संभव नहीं है। यह टाइप 2 डायबिटीज से मौलिक रूप से अलग है। लाइफ स्टाइल में बदलाव करने से टाइप 1 डायबिटीज को मैनेज करने में मदद मिल सकती है लेकिन ये बदलाव करने के बाद भी  इंसुलिन और दवा को बंद नहीं किया जा सकता है। क्योंकि टाइप 1 डायबिटीज  में पीड़ित व्यक्ति का शरीर पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन(प्रोडक्शन)  नहीं करता है।

टाइप 1 डायबिटीज वाले लोगों को जीवित रहने के लिए इंसुलिन थेरेपी की जरूरत होती है,लेकिन लाइफ स्टाइल में बदलाव करना इस कंडीशन को मैनेज करने में सहायक भूमिका निभा सकता है।

डायबिटीज कंट्रोल के लिए दवा पर स्विच करने के निर्णय को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। लाइफ स्टाइल में सही बदलाव और गाइडेंस के साथ डायबिटीज को नैचुरल तरीके से कंट्रोल किया जा सकता है। लेकिन टाइप 1 डायबिटीज में  दवा बहुत ही जरूरी हो जाती है। अपने डायबिटीज मैनेजमेंट के बारे में कोई डिसीजन लेने से पहले हमेशा अपने हेल्थ सर्विस प्रोवाइडर से बातचीत करें।

टाइप 1 डायबिटीज को कैसे कंट्रोल करें?

टाइप 1 डायबिटीज को डाइट और एक्सरसाइज से केवल एक निश्चित सीमा तक ही कंट्रोल किया जा सकता है।  टाइप 1 डायबिटीज को कंट्रोल करना टाइप 2 डायबिटीज जितना आसान नहीं है क्योंकि इसके लिए ज्यादा व्यापक दृष्टिकोण(कॉम्प्रिहेंसिव अप्रोच) की आवश्यकता होती है।

इंसुलिन मैनेजमेंट टाइप 1 डायबिटीज को कंट्रोल करने का आधार है। इसमें ब्लड शुगर लेवल का सटीक नियंत्रण करने के लिए कई महत्वपूर्ण पहलू शामिल होते हैं।

यहां हम इंसुलिन मैनेजमेंट के प्रमुख तरीकों पर प्रकाश डालते हैं-

बेसल और बोलस इंसुलिन-  

इंसुलिन से ब्लड शुगर का मैनेजमेंट  दो प्रकार से होता है। पहला है बेसल इंसुलिन एक लंबे समय तक काम करने वाली किस्म है। जो पूरे दिन जरूरी इंसुलिन रिलीज करती है। और दूसरा है बोलस इंसुलिन जो खाने के बाद बढ़ने वाली ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए भोजन से पहले लिया जाता है।

इंसुलिन देने के तरीके- इंसुलिन देने के कई तरीके हैं। इसमें शामिल है-

  • इंसुलिन इंजेक्शन- पारंपरिक विधि में सिरिंज या इंसुलिन पेन का उपयोग करके चमड़े(स्किन) के नीचे के ऊतकों(टिश्यू) में इंसुलिन इंजेक्ट करना शामिल है। यह सटीक खुराक देता है और कई लोगों के लिए काफी फैमिलियर विकल्प है।
  • इंसुलिन पंप-  इंसुलिन पंप पूरे दिन बेसल इंसुलिन का फ्लो बनाए रखता है जिससे ज्यादा इंजेक्शन की जरूरत नहीं होती है। इस्तेमाल करने वाले लोग जरूरत के हिसाब से  बोलस खुराक(डोज) भी ले सकते हैं। ये डिवाइस लचीलापन(फ्लेक्सिबिलिटी) और सुविधा देते हैं।

इंसुलिन खुराक(डोज)- 

टाइप 1 डायबिटीज को कंट्रोल करने का तरीका जानने के लिए सही इंसुलिन खुराक सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। कार्बोहाइड्रेट का सेवन, वर्तमान ब्लड शुगर लेवल, एक्टिविटी और तनाव जैसे फैक्टर्स इंसुलिन की जरूरत को प्रभावित कर सकते हैं। कार्ब काउंट करने से  भोजन के समय इंसुलिन खुराक(डोज)  निर्धारित करने में मदद मिलती है। सुधार कारकों का उपयोग हाई या लो-ब्लड शुगर को एडजस्ट करने के लिए किया जाता है।

इंसुलिन समायोजन(एडजस्टमेंट)-

टाइप 1 डायबिटीज वाले लोगों को डॉक्टर के अनुसार अपनी इंसुलिन खुराक(डोज)  को लगातार एडजस्ट करना पड़ता है। इंसुलिन की खुराक को एडजस्ट करने और डायबिटीज को कंट्रोल करने के तरीके को समझने के लिए ब्लड शुगर लेवल की नियमित निगरानी जरूरी है। हाई-ब्लड शुगर लेवल के लिए एक्स्ट्रा बोलस इंसुलिन की जरूरत हो सकती है। बार-बार लो-ब्लड शुगर लेवल होने पर बेसल या बोलस खुराक में कमी करने की जरूरत हो सकती है। सतत ग्लूकोज मॉनिटरिंग (सीजीएम) सिस्टम इन निर्णयों में हेल्प के लिए रियल-टाइम डेटा प्रदान करते हैं।

  • समय- जब इंसुलिन की बात आती है तो समय काफी महत्वपूर्ण है। बोलस इंसुलिन को भोजन से पहले लिया जाना चाहिए। जब आप खाना शुरू करें तब तक इसे सक्रिय(एक्टिव)  होने का समय मिल सके। वहीं बेसल इंसुलिन पूरे दिन और रात  स्थिर इंसुलिन लेवल बनाए रखता है।
  • निरंतरता(कंसिस्टेंसी)-  भोजन के समय और कार्बोहाइड्रेट सेवन में निरंतरता इंसुलिन मैनेजमेंट को काफी आसान बना सकती है। पहले से बनाई गई एक सही  दिनचर्या से इंसुलिन की खुराक को सटीक रूप से एडजस्ट करना आसान हो जाता है।
  • शिक्षा(एजुकेशन) और सपोर्ट- डायबिटीज एजुकेटर और हेल्थ सर्विस प्रोवाइडर  टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित व्यक्तियों को इंसुलिन मैनेजमेंट के बारे में सिखाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे खुराक, इंजेक्शन तकनीक और ब्लड शुगर में उतार-चढ़ाव के मैनेजमेंट पर गाइडेंस देते हैं।
  • आपातकालीन(इमरजेंसी) तैयारी- डायबिटीज को कंट्रोल करने की सूची में एक और महत्वपूर्ण चीज है आपातकालीन तैयारी। किसी भी कंडीशन  के लिए तैयार रहना जरूरी है। लो-ब्लड शुगर के इलाज के लिए हमेशा ग्लूकोज की टैबलेट या जेल जैसे तेजी से काम करने वाले कार्बोहाइड्रेट का सोर्स अपने साथ रखें।

टाइप 1 डायबिटीज में सही इंसुलिन का चयन, सटीक खुराक, समय और निरंतर निगरानी शामिल है। यह एक डायनेमिक प्रक्रिया है जिसके लिए शिक्षा, रेगुलर हेल्थ केयर सुझाव और ब्लड शुगर लेवल को स्टेबल बनाए रखने की जरूरत होती है।

और पढ़े : भारत में 2023 के 10 बेस्ट ग्लूकोमीटर।

जेस्टेशनल डायबिटीज को कैसे कंट्रोल करें?

प्रेगनेंसी के दौरान माँ और बच्चे दोनों के अच्छे स्वास्थ को सुनिश्चित करने के लिए जेस्टेशनल(गर्भकालीन) डायबिटीज को कंट्रोल करना जरूरी है। यहां गर्भकालीन डायबिटीज को कंट्रोल करने के बारे में एक छोटी सी गाइडेंस दी गई है-

जेस्टेशनल डायबिटीज को कैसे कंट्रोल करें?

  • ब्लड शुगर की नियमित निगरानी- आपके हेल्थ सर्विस प्रोवाइडर नियमित रूप से आपके ब्लड शुगर लेवल की निगरानी की सलाह देंगें । इसमें ब्लड ग्लूकोज मीटर का उपयोग करके उपवास(फास्टिंग) और भोजन के बाद ग्लूकोज लेवल की जांच करना शामिल है। इनको को तय सीमा के भीतर रखना जरूरी है।
  • हेल्दी भोजन- अपनी जरूरत के हिसाब से संतुलित आहार(बैलेंस डाइट) प्लान को फॉलो करें। जिसमें कार्बोहाइड्रेट के सेवन को कंट्रोल में करना शामिल हो सकता है। बदलते हार्मोन के कारण जेस्टेशनल(गर्भकालीन) डायबिटीज में अलग डाइट प्लान की जरूरत होती है। साबुत अनाज, लीन प्रोटीन, फल, सब्जियाँ और कम(लो) ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थों पर ध्यान दें। भोजन के बाद ब्लड शुगर लेवल को मैनेज करने के लिए भाग(पोर्शन) नियंत्रण महत्वपूर्ण है।
  • नियमित शारीरिक गतिविधि(रेगुलर फिजिकल एक्टिविटी)- जेस्टेशनल(गर्भकालीन) डायबिटीज को कंट्रोल करने की लिस्ट में फिजिकल एक्टिविटी सबसे जरूरी फैक्टर्स में से एक है। अपने हेल्थ सर्विस प्रोवाइडर की सलाह के अनुसार हल्के एक्सरसाइज करें। पैदल चलना, तैरना(स्विमिंग) या प्रसव से पहले किए जाने वाले योग जैसी एक्टिविटी इंसुलिन सेंसटिविटी में सुधार करने और हेल्दी ब्लड शुगर लेवल बनाए रखने में मदद कर सकती हैं।
  • इंसुलिन या दवाएं- अगर लाइफस्टाइल में बदलाव से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में नहीं रहता है, तो आपके हेल्थ सर्विस प्रोवाइडर इंसुलिन इंजेक्शन या ओरल दवाओं की सिफारिश कर सकते हैं। जेस्टेशनल डायबिटीज को कंट्रोल करने और आपको और आपके बच्चे दोनों को सुरक्षित रखने के ये सुरक्षित और प्रभावी तरीके हैं।
  • बार-बार प्रसवपूर्व(प्रीनैटल) जांच-  अपने बच्चे के विकास और अपने ओवरऑल हेल्थ की निगरानी के लिए नियमित प्रीनैटल (प्रसवपूर्व) टेस्ट करवाते रहें। ये आपके ट्रीटमेंट प्लान को जरूरत के हिसाब से एडजस्ट करने के लिए आवश्यक है।
  • सेल्फ केयर- स्ट्रेस(तनाव) मैनेजमेंट और पर्याप्त नींद सहित सेल्फ केयर पर ध्यान दें। हाई स्ट्रेस लेवल ब्लड शुगर को प्रभावित कर सकता है। इसलिए मेडिटेशन करना बहुत फायदेमंद हो सकता है।
  • डिलीवरी प्लान- अपने हेल्थ सर्विस प्रोवाइडर के साथ डिलीवरी विकल्पों पर बात करें। यदि आपकी डिलीवरी डेट नजदीक आने पर ब्लड शुगर कंट्रोल में परेशानी आती है तो आपको प्रेरित प्रसव(इंड्यूस्ड लेबर पेन) या सिजेरियन सेक्शन का प्लान बनाने की जरूरत हो सकती है।
  • प्रसव के दौरान निगरानी(पोस्टपार्टम मॉनिटरिंग)- गर्भावस्था(प्रेगनेंसी) में डायबिटीज को कैसे कंट्रोल किया जाए यह जानने के अलावा प्रेगनेंसी के दौरान अपने हेल्थ की रेगुलर जांच करना भी जरूरी है। बच्चे के जन्म के बाद भी अपने ब्लड शुगर लेवल की मॉनिटरिंग करना जारी रखें। जेस्टेशनल डायबिटीज तो प्रसव के बाद लगभग ठीक हो जाता है लेकिन आपको भविष्य में टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए रेगुलर अपने डॉक्टर के संपर्क में रहें।

सही देखभाल(केयर) और ध्यान(अटेंशन) से जेस्टेशनल डायबिटीज को मैनेज किया जा सकता है। अपने हेल्थ सर्विस प्रोवाइडर की सलाह का पालन करके और लाइफस्टाइल में जरूरी एडजस्टमेंट करके आप एक हेल्दी प्रेगनेंसी से अपने और अपने बच्चे दोनों को परेशानियों से बचा सकती हैं। 

और पढ़े : गर्भावस्था में शुगर (गर्भावधि डायबिटीज) के लक्षण, कारण और इलाज

अनिवार्य रूप से ब्लड शुगर लेवल की निगरानी करें

अक्सर लोग यह जानना चाहते हैं कि डायबिटीज को प्राकृतिक रूप(नैचुरल तरीके) से कैसे कंट्रोल किया जाए। इसके लिए सबसे जरूरी बात यह है कि अपने ब्लड शुगर लेवल की लगातार जाँच करते रहें। जिससे यह पता चल सके कि आपका ब्लड शुगर लेवल हेल्दी रेंज में है। आपको केवल ऑनलाइन साइटों पर निर्भर रहने के बजाय पहले अपने डॉक्टर से इस बारे में सलाह लेनी चाहिए।

ब्लड ग्लूकोज़ की निगरानी का सही तरीका

ब्लड ग्लूकोज की निगरानी का सही तरीका जानना जरूरी और बेहद आसान है लेकिन यह गलत भी हो सकता है। (डायबिटीज को स्वाभाविक रूप से कैसे कंट्रोल किया जाए यह समझने के लिए एक अंडररेटेड स्टेप)।

ब्लड शुगर को ब्लड ग्लूकोज मीटर (ग्लूकोमीटर) या सतत ग्लूकोज मॉनिटर (सीजीएम) का उपयोग करके मापा जा सकता है। ब्लड ग्लूकोज मीटर का इस्तेमाल करके अपने ब्लड शुगर का खुद से परीक्षण(सेल्फ-टेस्ट) करने के लिए इन स्टेप्स को फॉलो करें-

  • सबसे पहले अपने हाथ धोएं और फिर अपने ब्लड ग्लूकोज मीटर में एक टेस्ट स्ट्रिप डालें।
  • ब्लड के लिए लैंसेट डिवाइस को अपनी उंगली के किनारे पर दबाएं।
  • परीक्षण पट्टी(टेस्ट स्ट्रिप) के सिरे पर ब्लड की बूंद रखें।
  • परिणाम स्क्रीन पर आने तक प्रतीक्षा करें।

और पढ़े :नॉर्मल शुगर लेवल कितना होना चाहिए ?

ब्लड शुगर लेवल की निगरानी कब करें?

ब्लड शुगर टेस्ट की आवृत्ति(फ्रीक्वेंसी) इस बात पर निर्भर करती है कि आप किस प्रकार के डायबिटीज से पीड़ित हैं। डॉक्टर की सलाह का पालन करें।

टाइप 1 डायबिटीज

यदि आपको टाइप 1 डायबिटीज है तो आपके डॉक्टर आपको दिन में 4 से 10 बार ब्लड शुगर की निगरानी करने की सलाह दे सकते हैं । परीक्षण भोजन से पहले, सोते समय और फिजिकल एक्टिविटी से पहले भी किया जा सकता है।

टाइप 2 डायबिटीज

यदि आप इंसुलिन थेरेपी का उपयोग करते हैं तो डॉक्टर आपको दिन में कई बार ब्लड शुगर का परीक्षण करने के लिए कह सकते हैं। लेकिन यह आपके द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली इंसुलिन की मात्रा पर निर्भर करता है।

परीक्षण भोजन से पहले और सोते समय किया जाता है। यदि आप केवल दवाओं या हेल्दी डाइट और एक्सरसाइज के माध्यम से डायबिटीज को कंट्रोल करते हैं तो आपको रोज अपने ब्लड शुगर की निगरानी करने की जरूरत नहीं है।

और पढ़े : भोजन के बाद ब्लड ग्लूकोज (पीपीबीएस लेवल) कैसे कंट्रोल करें

यहां कुछ अकल्पनीय कारक(अनइमैजिनेबल फैक्टर्स) हैं जो डायबिटीज से जुड़े हैं- 

डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए नींद का महत्व

नींद और डायबिटीज की समस्या साथ-साथ चलती है। नींद की कमी से प्री-डायबिटीज हो सकती है। नींद की कमी हाई-ब्लड शुगर और इंसुलिन रेजिस्टेंस का कारण बन सकती है।

नींद की समस्या भी वजन बढ़ने का कारण बनती है क्योंकि बहुत कम नींद आपकी भूख बढ़ाती है। इस कारक को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। लेकिन अच्छी नींद डायबिटीज से लड़ने में प्रमुख भूमिका निभाती है। रोज सात से नौ घंटे की नींद जरूरी है। गहरी नींद इंसुलिन सेंसटिविटी को बनाए रखने में भी मदद करती है।

सेल्फ-इंटॉक्सिकेशन के प्रभाव और परहेज का महत्व

एल्कोहल- शराब पीने से डायबिटीज के लक्षण बढ़ सकते हैं और निम्नलिखित परिणाम हो सकते हैं- 

  • इंसुलिन के प्रति शरीर की सेंसटिविटी और ग्लूकोज के उत्पादन में कमी।
  • ज्यादा शराब पीने से क्रोनिक अग्नाशयशोथ(पैंक्रियाटिटीज) कीटोएसिडोसिस और हाइपरट्राइग्लिसराइडिमिया हो सकता है।
  • शराब पीने से वजन बढ़ सकता है।

इन कारकों(फैक्टर्स) से व्यक्ति में डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए किसी भी खराब परिणाम से बचने के लिए शराब से दूर रहें।

धूम्रपान(स्मोकिंग)- डायबिटीज को कैसे कंट्रोल करें? इसका सीधा सा उत्तर है – यदि आप स्मोकिंग करते हैं तो इसे छोड़ दें।

जैसा कि विभोर की कहानी में ऊपर बताया गया है। धूम्रपान एक प्रमुख कारक है जो डायबिटीज को गंभीर रूप से प्रभावित करता है।

ऐसा लग सकता है कि धूम्रपान का डायबिटीज से कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन यह इस बात पर असर डालता है कि आपका शरीर इंसुलिन का उपयोग कैसे करता है। धूम्रपान न करने वालों की तुलना में धूम्रपान करने वालों को डायबिटीज होने की अधिक संभावना है, क्योंकि धूम्रपान के कारण विभोर की हालत खराब हुई थी।

अगर डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति धूम्रपान करता है तो उसे स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा अधिक होता है जैसे- 

  • हृदय(दिल) और गुर्दे(किडनी) की बीमारी
  • रेटिनोपैथी (आँख का रोग) और प्रिफेरल न्यूरोपैथी
  • टाँगों(लेग) और टाँगों(फीट) में ख़राब ब्लड प्रवाह (इंफेक्शन/अल्सर का कारण)

डायबिटीज में घुम्रपान के कारण होने वाली समस्याएं

यदि आप डायबिटीज को कंट्रोल करना चाहते हैं तो धूम्रपान(स्मोकिंग) छोड़ना बहुत ही जरूरी है।

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निष्कर्ष(कनक्लूजन)

डायबिटीज को कंट्रोल करने के तरीके में डाइट परिवर्तन, रेगुलर एक्सरसाइज, स्ट्रेस मैनेजमेंट और रेगुलर ब्लड शुगर की निगरानी शामिल है। विभोर की सफलता की कहानी से पता चलता है कि इन सब से ब्लड शुगर लेवल और ओवरऑल हेल्थ में महत्वपूर्ण सुधार हो सकता है। डायबिटीज को कंट्रोल करने में विभोर को बहुत समय लगा।

लेकिन उसके सही और गलत दोनों चीजों से कुछ न कुछ सीखने को मिला। विभोर का फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल सामान्य सीमा से काफी ज्यादा था इसलिए बदलाव की जरूरत थी। उन्होंने धूम्रपान(स्मोकिंग) और अनहेल्दी खान-पान की आदतों पर कंट्रोल किया और अपने हेल्थ पर ध्यान देना शुरू किया। और अंत में उनकी कमिटमेंट और संकल्प की जीत हुई डायबिटीज हार गया। टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित लोगों के लिए दवा और इंसुलिन उनके ट्रीटमेंट का एक जरूरी घटक(कंपोनेंट) बनी हुई है। एक हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाना अभी भी उनके डायबिटीज मैनेजमेंट के लिए फायदेमंद हो सकता है।

डायबिटीज एक चुनौतीपूर्ण कंडीशन हो सकती है। विभोर की यात्रा दर्शाती है कि कमिटमेंट और सही गाइडेंस से डायबिटीज पर नियंत्रण पाना और एक पूर्ण जीवन जीना संभव है। याद रखें कि प्रत्येक व्यक्ति का अनुभव यूनीक होता है। इसलिए डायबिटीज मैनेजमेंट के बारे में कोई निर्णय लेने के लिए ब्रीथ वेल-बीइंग में हेल्थ केयर एक्सपर्ट से सुझाव  लेना जरूरी है। क्या आप डायबिटीज के ऐसे सुखद अंत की कामना नहीं करते? यदि हां, तो कमर कस लें और इसे आज़माएं। अगर विभोर ऐसा कर सकता है तो आप भी कर सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Last Updated on by Dr. Damanjit Duggal 

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