आम ज़िंदगी में कभी न कभी हमें कई स्वास्थ्य समायाओं का सामना करना पड़ता है चाहे वो सर्दी जुखाम हो, बुखार या अन्य कोई बड़ी समस्या। ऐसे में हमें उसके इलाज के लिए दवाएं लेने की आवश्यकता पड़ती है। लेकिन डायबिटीज़ में ऐसी कई दवाएं हैं जो इन बीमारियों का इलाज करने के साथ शुगर लेवल भी बढ़ा सकती हैं। तो ऐसी स्थिति में एक डायबिटिक व्यक्ति अपने शुगर लेवल को कैसे मेनेज कर सकता है?
एक शुगर पेशेंट को यह पता होना चाहिए कि वह कौन सी चीजें हैं जो उसके शुगर लेवल को बढ़ा सकती है। जैसे ज़्यादा कार्ब्स वाला खाना या अपर्याप्त व्यायाम आपके शुगर लेवल को प्रभावित करते हैं ऐसे ही शरीर को स्वस्थ रखने वाली कुछ दवाएं भी ब्लड शुगर लेवल को बढ़ा सकती हैं। ऐसी स्थिति में ब्लड शुगर बढ़ाने वाली दवाओं के बारे में आपको पहले से पता होना चाहिए। इस ब्लॉग में हम ऐसी ही कुछ दवाओं के बारे में पढ़ेंगे।
जब आपको पता चलता है की आपको डायबिटीज़ है तब आपका खान-पान बदल जाता है। आपको ग्लुकोज़ बढ़ाने वाले खाने के बारे में पता होना चाहिए। खाने-पीने की चीजों के अलावा ऐसी कुछ दवाएं भी हैं जो ग्लूकोज के स्तर को बढ़ा सकती हैं, इस स्थिति को हाइपरग्लेसेमिया कहा जाता है।
यदि किसी व्यक्ति को अपनी दवाओं के बारे में जानकारी नहीं है तो उसे अपने हेल्थ प्रोवाइडर या डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए कि क्या यह रक्त शर्करा को प्रभावित करेगी। किसी व्यक्ति द्वारा दवा का सेवन करने से पहले यह बहुत महत्वपूर्ण है।

शुगर लेवल बढ़ाने वाली दवाओं की सूची (Blood Sugar Level increasing medicines List)
दवाएं चाहे डॉक्टर द्वारा लिखी गई हो या otc, डायबिटिक लोगों के लिए या जो लोग अपने शुगर लेवल को नियंत्रित रखने चाहते हैं, उनके लिए एक बड़ा मुद्दा है। जानते हैं वो कौन सी दवाएं होती है जो शुगर लेवल को बढ़ा सकती है:
स्टेरॉयड (Steroids)
रुमेटोइड गठिया और अस्थमा जैसी स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज के लिए लोग कॉर्टिकोस्टेरॉइड लेते हैं। ये दवाएं इन समस्याओं को दूर करने के लिए कारगर होती हैं लेकिन यह ग्लूकोज़ के स्तर को गड़बड़ कर सकती हैं। स्टेरॉयड की खुराक कम करने या दवा बंद करने पर, ब्लड शुगर का स्तर अपने पिछले रीडिंग पर वापस आ जाता है। ये स्टेरॉयड प्रेडनिसोन या प्रेडनिसोलोन हो सकते हैं।
इसके अतिरिक्त ये दवाएं सूजन या ईनफ्लेमेशन से संबंधित चिकित्सा समस्याओं के इलाज के लिए सहायक होती हैं। इन चिकित्सीय स्थितियों में अस्थमा, गठिया, अतिसंवेदनशीलता और जोड़ों की चोटें शामिल हैं। हालांकि स्किन क्रीम या इनहेलर्स में मौजूद कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स का शुगर लेवल पर कोई असर नहीं होता है क्योंकी वे पर्याप्त मात्रा में ब्लडस्ट्रीम या रक्तप्रवाह में प्रवेश नहीं कर पाती हैं। हालांकि, इंजेक्शन या मौखिक रूप से कॉर्टिकोस्टेरॉइड रक्त शर्करा के स्तर को काफी बढ़ा सकते हैं।
सारांश
कॉर्टिकोस्टेरॉइड मधुमेह के रोगियों में शुगर लेवल हाई करते हैं। ये दवाएं लिवर के इंसुलिन के प्रतिरोध या इंसुलिन रेजिज़टेन्स को बढ़ाती हैं। इसके परिणामस्वरूप डायबिटिक व्यक्ति में दवा लेने पर इंसुलिन रेजिज़टेन्स बन जाता है।
एंटीहाइपरटेंसिव ड्रग्स (Antihypertensive Drugs)
डाययूरेटिक्स यानी दवाएं जो व्यक्ति के ब्लड प्रेशर को मैनेज करती हैं। यह शरीर से तरल पदार्थ निकालने का काम करते हैं। यह बार-बार पेशाब का कारण बनता है और शुगर लेवल के स्तर को भी बढ़ा सकता है। इन सामान्य दवाओं में हाइड्रोक्लोरोथियाजाइड और फ़्यूरोसेमाइड शामिल हैं।
मनोविकार संबंधित दवाएं (Phycological Related Medicines)
सिज़ोफ्रेनिया जैसी मानसिक समस्याओं का सामना करने वाले मरीज़ एंटीसाइकोटिक दवाओं पर निर्भर होते हैं। यह दवाएं समस्या के संकेतों को मेनेज करने में मदद करती हैं। ये दवाएं जीवनरक्षक हो सकती हैं लेकिन यह रक्त शर्करा के स्तर को भी बढ़ा सकती हैं, जैसे
- एरीपिप्राज़ोल
- क्वेटेपाइन फ्यूमरेट
- ओलंज़ापाइन
- रिसपेएरीडन
- ज़िप्रासिडोन
- क्लोज़ापाइन
यदि कोई व्यक्ति इनमें से कोई भी दवा ले रहा है, विशेष रूप से ओलंज़ापाइन, तो उसे दवा शुरू करने से पहले नियमित रूप से अपने ग्लूकोज़ के स्तर की जांच करनी चाहिए। इन दवाओं का उपयोग महीनों या वर्षों तक किया जाता है, इसलिए इसका ज्ञान होना एक समस्या हो सकती है।
एंटीसाइकोटिक उपचार से किसी व्यक्ति की शारीरिक और मनोसामाजिक कार्यप्रणाली में सुधार हो सकता है। और वो स्वस्थ जीवन जीने लगते हैं जो डायबिटीज़ से जुड़ी जटिलताओं को कम करने में मदद करता है।
हृदय संबंधित दवाएं (Heart Related Medicines)
बीटा-ब्लॉकर्स दिल की समस्याओं का इलाज करते हैं। साथ ही, उनका रक्त शर्करा के स्तर पर भी प्रभाव पड़ता है। बीटा-ब्लॉकर्स दवाओं में शामिल हो सकते हैं:
- प्रोप्रानोलोल
- एटेनोलोल
- बिसोप्रोलोल
- Acebutolol
- मेटोप्रोलोल
हृदय संबंधी दवाओं की यह केटेगरी ब्लड प्रेशर को कम करती है। वे कई अन्य चिकित्सीय स्थितियों का भी इलाज करते हैं, जैसे असामान्य दिल की धड़कन और चिंता। साथ ही, ये दवाएं किसी व्यक्ति के ग्लूकोज़ के स्तर को बढ़ाती हैं। कुछ बीटा-ब्लॉकर्स दूसरों की तुलना में शर्करा के स्तर पर कम प्रभाव डालते हैं। हालाँकि, ये दवाएं कई बार अधिक महंगी होती हैं और बीमा के अंतर्गत नहीं हो सकती हैं। इसके अलावा, बीटा-ब्लॉकर्स लो ब्लड शुगर से संबंधित टैचीकार्डिया को मास्क कर सकते हैं।
सारांश
ब्लड प्रेशर की दवाएं शरीर से सोडियम और पोटैशियम को बाहर निकालती हैं। पोटेशियम वसा और मांसपेशियों के ऊतकों में ग्लूकोज़ को अवशोषित करने के लिए जाना जाता है। इस प्रकार, पोटेशियम के स्तर के अभाव में, रक्त शर्करा का स्तर बढ़ सकता है।
गर्भनिरोधक गोलियाँ (Anti Pregnancy Medicines)
मौखिक गर्भ निरोधक गोलियां डायबिटिक लोगों में ग्लूकोज़ के स्तर को बढ़ा सकती हैं। हालांकि यह बहुत अधिक शुगर लेवल नहीं बढ़ाते लेकिन यह दवा शुरू करने से पहले इसके इस साइड-इफ़ेक्ट्स के बारे में पता होना चाहिए। दिल का दौरा और स्ट्रोक मधुमेह रोगियों के लिए घातक होते हैं और स्टैटिन के लिए प्रभावी दवाएं नहीं हैं।
एलडीएल या खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के लिए स्टैटिन (LDL & Bad Cholesterol Level Reducing Statins)
स्टैटिन ऐसी दवाएं हैं जो एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करती हैं। वे स्ट्रोक जैसी हृदय संबंधी समस्याओं के प्रबंधन के लिए एक महत्वपूर्ण उपचार हैं। साथ ही, ये दवाएं शुगर लेवल्स को बढ़ा सकती हैं। इसके अलावा यह प्री-डायबिटिक लोगों को पूरी तरह से डायबिटीज़ की और ले जाता है। स्टैटिन का उपयोग करने पर डायबिटीज़ होने का रिस्क 30% तक बढ़ जाता है।
सारांश
स्टैटिन टाइप 2 डायबिटीज़ पेशेंट में इंसुलिन स्राव को कम करते हैं। और, टाइप 1 मधुमेह रोगियों में भी पूरी तरह से इंसुलिन प्रतिरोध या इंसुलिन रेजिज़टेन्स का कारण बनता है। ये दोनों शुगर लेवल को बढ़ाते हैं।
यूटीआई और निमोनिया जैसे संक्रमणों को मारने के लिए एंटीबायोटिक्स (Antibiotics to kill Infections like UTI & Pneumonia)
एंटीबायोटिक्स (फ्लोरोक्विनोलोन) निमोनिया और मूत्र पथ के संक्रमण (यूटीआई) के उपचार में सहायक होते हैं। वे बहुत कम और उच्च रक्त शर्करा का कारण बन सकते हैं। इसके अलावा, एक प्रकार के निमोनिया के उपचार में उपयोग की जाने वाली रोगाणुरोधी दवा पेंटामिडाइन भी ब्लड शुगर लेवल को बढ़ा सकती है।
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सामान्य सर्दी या फ्लू के लिए डीकंजेसटेंट (Digestant for Normal cold or Flu)
स्यूडोएफ़ेड्रिन और फेनाइलफ्राइन जैसी डीकंजेसटेंट दवाएं ग्लूकोज़ के स्तर को बढ़ा सकती हैं। दोनों बाजार में ओटीसी दवाओं के रूप में आते हैं, हालांकि स्यूडोएफ़ेड्रिन वाली दवा केवल एक फार्मासिस्ट के पास उपलब्ध है। विभिन्न decongestants इन घटकों का उपयोग करते हैं, इसलिए इन दवाओं को लेने से पहले लेबल को ध्यान से जांचें। इनका उपयोग शायद ठीक है, लेकिन पहले डॉक्टर से ज़रूर चर्चा करें।
अन्य प्रेसक्रिप्शन दवाएं जो शुगर लेवल को बढ़ा सकती हैं उनमें शामिल हैं:
- थियाजाइड मूत्रवर्धक
- गंभीर अतिसंवेदनशील प्रतिक्रियाओं के लिए एड्रेनालाईन
- मुँहासे के लिए आइसोट्रेटिनॉइन
- नियासिन, एक बी विटामिन
- अस्थमा की दवाओं की उच्च खुराक, या अस्थमा के इलाज के लिए इंजेक्शन
- एचआईवी और हेपेटाइटिस सी के इलाज के लिए दवाएं
- टैक्रोलिमस, अंग प्रत्यारोपण के लिए

ध्यान देने योग्य लक्षण (Symptoms you should concerned about)
आपकी नई दवा रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ाती है या नहीं, यह जानना बहुत ज़रूरी है। जब भी कोई व्यक्ति नई दवा शुरू करता है, तो हाइपरग्लाइसीमिया के लक्षणों पर नजर रखना बेहतर होता है। इनमें शामिल हो सकते हैं:
- तीव्र प्यास
- धुंधली दृष्टि
- थकान
- अधिक बार पेशाब करना
कोई व्यक्ति कैसे तय कर सकता है कि कौन सी दवा सुरक्षित है? (How a person can decide that which medicine is safe?)
हालांकि कुछ दवाएं ग्लूकोज़ के स्तर को बढ़ा सकती हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ज़रूरत पड़ने पर भी उन्हें इनका सेवन नहीं करना चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि ऐसी दवा लेने से पहले डॉक्टर से ज़रूर परामर्श करें कि उन्हें किस तरह लिया जा सकता है। यदि किसी व्यक्ति को डायबिटीज़ है और वो अपने शुगर लेवल पर नज़र रख रहा है तो किसी भी नई दवा को शुरू करने से पहले या किसी दावा में बदलाव करने से पहले अपने हेल्थ प्रोवाइडर से ज़रूर बात करें। चाहे वो दवाएं सिर्फ खांसी जुखाम की ही क्यों न हो। अस्वस्थ होने पर आपके सुगर लेवल बढ़ सकते हैं।
यह भी सुनिश्चित करें कि हेल्थ प्रोवाइडर या डॉक्टर आपकी स्वास्थ्य स्थितियों व सभी दवाओं के बारे में जानता हो। यदि उनमें से कोई वजह या दावा आपके शुगर लेवल को प्रभावित करता है तो आपका डॉक्टर आपकी खुराक व उसकी अवधि बदल सकता है। दवाओं के साथ-साथ एक व्यक्ति को अपने शुगर लेवल की नियमित जाँच करते रहना चाहिए। इसके अलावा उन बातों को भी ध्यान में रखें जो आपके शुगर लेवल को नियंत्रण मे रखती हो। यह चीजें हैं हेल्दी डाइट, नियमित व्यायाम और ज़रूरत के अनुसार डायबिटीज़ की दावा का सेवन करना।
सारांश
एक डायबिटिक व्यक्ति को हमेशा अपनी प्रेसक्रिप्शन वाली दवाओं का समय पर और अनिवार्य रूप से सेवन करना चाहिए। साथ ही, शुगर लेवल को नियंत्रित करने के साथ यह ज़रूरी नहीं है की अन्य दवाओं से पूरी तरह परहेज़ किया जाए। बस उन्हें मेनेज करना आना चाहिए जिसके लिए पूरी जानकारी होना बहुत ज़रूरी है।
शुगर लेवल पर असर करने वाली दवाओं को मैनेज कैसे करें? (How to manage sugar level controlling Medicines?)
हालांकि इन दवाओं के यह रिस्क होने के बावजूद भी एक डायबिटिक व्यक्ति को अपनी डायबिटीज़ मेनेज करते हुए इन दवाओं को लेने की ज़रूरत पड़ती है। इस स्थिति से निपटने के लिए व्यक्ति अपने शुगर लेवल नियंत्रित करने के लिए कुछ कदम उठा सकता है। ये कदम हो सकते हैं:
अपने संदेह मधुमेह विशेषज्ञ से दूर करें: यदि कोई पेशेवर, जैसे कि आर्थोपेडिस्ट या मनोचिकित्सक, एक नई दवा का सुझाव देता है, तो दवा शुरू करने से पहले किसी डायबिटिक एक्सपर्ट से ज़रूर परामर्श करें। यह जानें की यह दवा आपके लिए सुरक्षित है या नहीं। साथ ही, यह डायबिटीज़ के दवाओं में किसी भी आवश्यक बदलाव के समन्वय में मदद करता है।
अपना ख्याल रखें: यदि कोई व्यक्ति ऐसी दवा का सेवन कर रहा है जो शुगर लेवल कंट्रोल को प्रभावित कर सकती है, तो अपने खाने और एक्सर्साइज़ पर ध्यान दें। शुगर स्पाइक से बचने के लिए व्यायाम और हेल्दी डाइट सहायता करती है। इस प्रकार, लोगों को अपनी दवा में कोई विशेष परिवर्तन की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
किसी नई दवा का तुरंत सेवन करने से पहले रुकें: किसी भी नई ओटीसी दवा को शुरू करने से पहले मरीजों को हमेशा अपने डॉक्टर से चर्चा करनी चाहिए।
सारांश
डायबिटीज़ में जीवन और दिनचर्या में मामूली बदलाव करने से ऐसी दवाओं के शुगर लेवल पर पड़ने वाले असर को कम करने में मदद मिलती है। मधुमेह के लोगों को अनिवार्य रूप से समय-समय पर अन्य प्रकार की दवाएं लेने की आवश्यकता पड़ती है। इसलिए इसके प्रभाव से बचने के लिए एक हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं।
सामान्यतया पूछे जाने वाले प्रश्न:
क्या एंटीबायोटिक्स ब्लड शुगर लेवल को बढ़ाते हैं?
गैटिफ्लोक्सासिन, सिप्रोफ्लोक्सासिन और लेवोफ़्लॉक्सासिन कुछ एंटीबायोटिक्स हैं जो शुगर लेवल को बढ़ाते हैं। यह समस्या बड़े वयस्कों या पहले से ही डाइबीटिक लोगों में देखी जा सकती है। इन दवाओं के साथ हाई शुगर लेवल का रिस्क मीडीयम से लो होता है।
क्या amlodipine ब्लड शुगर को बढ़ा सकता है?
कैल्शियम चैनल अग्न्याशय की बीटा कोशिकाओं से इंसुलिन जारी करते हैं। इसलिए, मधुमेह रोगियों में उपयोग किए जाने पर कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स (एम्लोडिपिन) शुगर लेवल को बढ़ा सकते हैं।
क्या संक्रमण रक्त शर्करा में स्पाइक का कारण बन सकता है?
संक्रमण के परिणामस्वरूप शरीर में तनाव प्रतिक्रिया या stress response होता है। इसकी वजह से कोर्टिसोल और एड्रेनालाईन जैसे हार्मोन की संख्या में वृद्धि हो सकती है। ये हार्मोन इंसुलिन गतिविधि के खिलाफ काम करते हैं। और, इस प्रकार शरीर में शुगर बनना बढ़ जाता है, जिससे हाइपरग्लेसेमिया हो जाता है।
क्या एंटीकोगुलेन्ट का रक्त शर्करा पर प्रभाव पड़ता है?
ऐसी एंटी-डायबिटिक दवाओं का सेवन करने पर वारफेरिन उनके प्रभाव को बढ़ा सकता है। इसके अलावा, यह ब्लड शुगर लेवल को क्रैश कर सकता है। लो ब्लड शुगर (हाइपोग्लाइसिमिया) होने पर व्यक्ति नशे में लग सकते हैं और उनमें कुछ लक्षण दिख सकते हैं जैसे चक्कर आना, बेहोश हो कर गिर जाना आदि।
संदर्भ:
1) https://www.healthgrades.com/right-care/diabetes/drugs-that-raise-your-blood-sugar
2) https://www.everydayhealth.com/type-2-diabetes/treatment/medications-may-affect-blood-sugar-control-diabetes/Last Updated on by Dr. Damanjit Duggal
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