अर्जुनरिष्ट के फायदे, खुराक और नुक्सान | Arjunarishta Syrup Uses in Hindi

Last updated on दिसम्बर 12th, 2022

एक स्वस्थ शरीर के लिए एक अच्छी दिनचर्या व सही खान-पान एक महत्वपूर्ण कारक है। अगर एक व्यक्ति अपनी लाइफस्टाइल पर ध्यान दे तो वो कई स्वास्थ्य समस्याओं से बच सकता है। ऐसी ही एक स्वास्थ्य समस्या जो गलत डाइट व निष्क्रिय जीवनशैली के वजह से होती है वो है टाइप 2 डाईबिटीज़। टाइप 2 डाईबिटीज़ में बढ़ती शुगर लेवल को नियंत्रित करने के लिए, बहुत से बदलावों के साथ आयुर्वेदिक दवाईयां भी एक अच्छा विकल्प है। इसी शृंखला में एक आयुर्वेदिक मैजिक है- अर्जुनरिष्ट। आइए इस ब्लॉग में पढ़ते हैं अर्जुनरिष्ट के फ़ायदे व नुकसान और कैसे यह आपकी ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है।

Table of Contents

अर्जुनरिष्ट क्या है?

अर्जुनरिष्ट को पार्थ्यारिष्ट के नाम से भी जाना जाता है। यह कॉमब्रेटेसी परिवार से संबंधित टर्मिनलिया अर्जुन जड़ी बूटी का एक हाइड्रोअल्कोहलिक सूत्रीकरण है। यह हार्ट प्रॉब्लम्स के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। यह हृदय की मांसपेशियों को मजबूत करता है और रक्तचाप (बीपी) और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करके हृदय की मांसपेशियों को मज़बूत करता है।

इसे हर्बल काढ़े के रूप में बेचा जाता है। अर्जुनरिष्ट अर्जुन (टर्मिनलिया अर्जुन), मधुका (मधुका इंडिका), द्राक्षा (विटिस विनीफेरा), धताकी (वुडफोर्डिया फ्रुटिकोसा) और गुड़ (सैकरम ऑफिसिनारम) की ताज़ा तने की छाल से बना है। अर्जुनरिष्ट में अर्जुन का उच्चतम प्रतिशत है। इसे फ़र्मेंट कर के तैयार किया जाता है। इसे ऐल्कहॉल बनाने में भी उपयोग किया जाता है। यह अल्कोहल प्रीज़रवेटिव के साथ-साथ सोलवेन्ट  के रूप में भी काम करता है।

अर्जुनरिष्ट की न्यूट्रीशनल वेल्यू 

अर्जुनरिष्ट में कई मिनरल जैसे कैल्शियम, एल्यूमीनियम, मैग्नीशियम, सिलिका, जस्ता, तांबा आदि पाए जाते हैं। इसमें फ्लेवोनॉइड्स जैसे अर्जुनोलोन, अर्जुनोन, बायिकलिन, ल्यूटोलिन, गैलिक एसिड, एथिल गैलेट, क्वेरसेटिन, केम्फेरोल, पेलार्गोनिडिन, ओलिगोमेरिक प्रोएंथोसायनिडिन आदि भी मिलते हैं। इसके अतिरिक्त इसमें टेनिन्स, ग्लाइकोसाइड्स व Triterpenoids भी प्रचुर मात्रा में हिट है। यह सभी पोषक तत्व अर्जुन छाल में मिलते हैं।

अर्जूनरिष्ट व डाईबिटीज़

अर्जुनरिष्ट हृदय की मांसपेशियों को शक्ति प्रदान करता है और ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करके हृदय के फ़ंक्शन को बढ़ाता है। यह डाईबिटीज़ वाले व्यक्तियों में हार्ट प्रॉब्लम्स के रिस्क को कम करता है जो डाईबिटीज़ से जुड़ी एक आम समस्या है।

कई अध्ययनों के अनुसार अर्जुनरिष्ट ब्लड शुगर लेवल को कम करने में मदद करता है। इसके सेवन से fasting शुगर लेवल्स को कम करने में सहायता करी है।

अर्जुनरिष्ट रक्त शर्करा के स्तर को कम करने और इंसुलिन संवेदनशीलता या इंसुलिन सेन्सिटिविटी में सुधार करने में फायदेमंद है।

अर्जुनारिष्ट हाइपरग्लाइसेमिया के लिए फायदेमंद हो सकता है। जिससे मधुमेह वाले व्यक्तियों में अर्जुनरिष्ट उपयोगी हो सकता है।

अर्जुनारिष्ट में मुख्य घटक के रूप में अर्जुन होता है, जिसके लाभकारी गुण डाईबिटीज़ मेनेजमेंट में मददगार माने जाते हैं। हालांकि, मधुमेह के लिए इसे लेने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना उचित होगा।

अर्जुनरिष्ट के मुख्य स्वास्थ्य लाभ (Arjunarishta Benefits in Hindi)

हृदय स्वास्थ्य के लिए लाभकारी

अर्जुनरिष्ट हृदय की मांसपेशियों को पोषण और मजबूती प्रदान करता है।

यह रक्त कोलेस्ट्रॉल और रक्तचाप को नियंत्रित करके हृदय की कार्यप्रणाली को बढ़ावा देता है।

अर्जुनरिष्ट का मुख्य घटक, अर्जुन एनजाइना के दर्द से राहत दिलाने में फायदेमंद है, और कोरोनरी हृदय रोग और दिल की विफलता के उपचार में उपयोगी हो सकता है।

कोलेस्ट्रॉल लेवल सुधारता है

हमारे शरीर में हाई कोलेस्ट्रॉल कई गंभीर बीमारियों के रिस्क के लिए जिम्मेदार होता है। बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल लेवल ब्लड वेसल में वसा जमा कर देता है जिससे ब्लड फ़्लो में परेशानी होने लगती है जो हार्ट प्रॉब्लम्स जैसे हार्ट अटेक, स्ट्रोक आदि की वजह बनता है । आयुर्वेद के अनुसार, उच्च कोलेस्ट्रॉल पाचक अग्नि (पाचन अग्नि) के असंतुलन के कारण होता है। इससे खराब कोलेस्ट्रॉल ब्लड वेसेल में जमा होने लगता है। अर्जुनरिष्ट अग्नि (पाचन अग्नि) में सुधार करने और अमा को कम करने में मदद करता है जो जमा हुए खराब कोलेस्ट्रॉल को दूर करते हैं और सामान्य रक्त कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बनाए रखते हैं।

कई अध्ययनों के अनुसार एक महीने तक अर्जुनरिष्ट के सेवन से कुल कोलेस्ट्रॉल, एलडीएल (खराब कोलेस्ट्रॉल), ब्लड प्रेशर और ट्राईग्लीसराइड्स में कमी देखने को मिली। यह सभी समस्याएं टाइप 2 डाईबिटीज़ से जुड़ी हैं।

एंटीऑक्सीडेन्ट से भरपूर 

एंटीऑक्सिडेंट पदार्थ होते हैं जो अत्यधिक विषाक्त अणुओं को बेअसर करते हैं जिन्हें मुक्त कण या फ्री रेडिकल्स कहा जाता है। मुक्त कणों से होने वाली क्षति हृदय रोग, टाइप 2 मधुमेह और कैंसर जैसी पुरानी स्थितियों से जुड़ी हुई है।

अर्जुनरिष्ट में फ्लेवोनोइड्स, ट्राइटरपेनोइड्स, ग्लाइकोसाइड्स और फेनोलिक एसिड के अलावा कई ऐसे कम्पाउन्ड है जो एंटीऑक्सीडेंट्स के तरह काम करते हैं जैसे टी. अर्जुन, वी. विनीफेरा, और डब्ल्यू. फ्रुटिकोसा। यह एंटीऑक्सीडेंट्स फ्री रेडिकल्स पर हमला करके उन्हें नष्ट करने में मदद करते हैं। फ्री रेडिकल्स वह विषाक्त अणु है जो शरीर की कोशिकाओं पर हमला करके कई गंभीर बीमारियों का कारण बनते हैं जैसे टाइप 2 डाईबिटीज़, हार्ट समस्याएं व कैंसर। इस प्रकार अर्जुनरिष्ट इन सभी रिस्क को कम करके आपको एक स्वस्थ जीवन प्रदान करती है।

कैंसर के रिस्क को कम करता है

कई अध्ययनों के अनुसान न सिर्फ एंटीऑक्सीडेन्ट लेकिन अर्जुनरिष्ट में एंटी-कैंसर गुण भी पाए जाते हैं जो इस गंभीर बीमारी के रिस्क को कम करते है।

अस्थमा में उपयोगी 

अस्थमा एक एंटीइनफ्लेमेट्री स्थिति है जिसमें फेफड़ों के वायुमार्ग सिकुड़ और सूज जाते हैं। इससे सांस लेना मुश्किल हो सकता है और खांसी शुरू हो सकती है। अर्जुनरिष्ट या अर्जुन छाल अस्थमा के लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद करता है और सांस फूलने की स्थिति में राहत देता है। आयुर्वेद के अनुसार, अस्थमा में शामिल मुख्य दोष वात और कफ हैं। यह दोनों दोष श्वसन मार्ग में रुकावट पैदा करते है। अर्जुनरिष्ट लेने से कफ को संतुलित करने और फेफड़ों से अतिरिक्त बलगम को हटाने में मदद मिलती है, जिससे अस्थमा के लक्षणों से राहत मिलती है।

ब्लड प्रेशर में उपयोगी

अर्जुनरिष्ट का सबसे ज्यादा उपयोग हाई ब्लड प्रेशर के मरीज़ों द्वारा किया जाता है। यह शरीर में ब्लड प्रेशर को कम कर के संतुलित करने का काम करता है। दूध या पानी में अर्जुनरिष्ट छाल के पाउडर को पीने से आप हाई ब्लड प्रेशर की समस्या में सुधार कर सकते हैं।

लो-ब्लड प्रेशर वाले लोग इसे अश्वगंधा पाउडर के साथ ले सकते हैं जिससे उनका ब्लड प्रेशर सामान्य हो जाता है।

व्यायाम शक्ति बढ़ाता है

ऐसा माना जाता है की जो व्यक्ति अर्जुनरिष्ट का सेवन करता है उसमें एरोबिक व्यायाम सहनशक्ति में सुधार होता है।

मूत्र संबंधी विकारों को सही करता है

असंयमित मूत्र, पेशाब करते समय जलन व दर्द जैसे कई मूत्र विकारों के लिए अर्जुनरिष्ट एक बेहतर उपाय है। जब इसे गाय के दूध में मिलाकर लिया जाता है, तो यह न केवल दर्द और पेशाब की जलन को कम करता है बल्कि पेशाब को भी उत्तेजित करता है। हल्का मूत्रवर्धक होने के कारण, यह पेशाब में जलन का भी इलाज करता है।

एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-बैक्टीरियल गुणों की वजह से यह कई यूरिनरी इन्फेक्शन को रोकता है।

किडनी के लिए बेहतर 

अर्जुनरिष्ट किडनी में मौजूद यूरिक एसिड के उत्सर्जन में सहायता करता है व यूरिक ऐसिड के स्तर को बनाए रखते हुए किडनी के फ़ंक्शन को अच्छा बनाता है। इस प्रकार यह गाउट को रोकने में व उसके इलाज में मदद करता है। यह किडनी स्टोन को भी बनने से रोकने के साथ उसको तोड़ने में भी सहायता करता है। यह डाईबिटीज़ मेनेजमेंट कर के बार-बार पैशाब जाने की समस्या से निजात दिलाता है।

पुरुषों में फर्टिलिटी को बढ़ाता है 

इसमें पुरुषों में फर्टिलिटी, शुक्राणु के उत्पादन, क्षमता, संख्या व गतिशीलता बढ़ाने के गुण पाए जाते है। यह टॉनिक, एक प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट होने के कारण टेस्टोस्टेरोन और ल्यूटिनाइजिंग जैसे पुरुष हार्मोन के उत्पादन में सुधार करता है और शीघ्रपतन जैसी स्थितियों का इलाज करता है। यह पुरुषों में लिबीडो को भी बढ़ाता है।

अर्जुनरिष्ट को सेवन करने का तरीका

अर्जुनरिष्ट की पत्तियां

अर्जुनरिष्ट को दो तरह से सेवन किया जा सकता है:

अर्जुनरिष्ट सिरप: इस सिरप को आप 15-20 मिली दिन में दो बार या चिकित्सक के निर्देशानुसार ले सकते हैं।

अर्जुनछाल: जो एक सामान्य घरेलू नुस्खा है उसे बहुतायत से हाई ब्लड प्रेशर के इलाज के रूप में भी उपयोग किया जाता है। इसे दूध क साथ मिलकर, उबालकर एक चाय की तरह भी ले सकते हैं।

अर्जुनरिष्ट के साइड-इफ़ेक्ट्स या दुष्प्रभाव 

वैसे तो इसके हेल्थ बेनेफिट्स काफी हैं लेकिन फ़िर भी इसके कुछ साइड-इफ़ेक्ट्स देखे जा सकते हैं। इसमें शामिल है:

कुछ लोग इसके सेवन के बाद कुछ लक्षणों जैसे शरीर में दर्द, सिरदर्द, गैसट्राइटीस और मतली का अनुभव कर सकते हैं।

इसके अर्क का सेवन कुछ लोगों में हेपेटोटॉक्सिसिटी और हाइपोथायरायडिज्म का कारण बन सकता है।

अर्जुनरिष्ट स्व-निर्मित अल्कोहल-आधारित पॉलीहर्बल आयुर्वेदिक दवा है। यह कभी-कभी पित्त दोष को बढ़ा सकती है और एसीडिटी का कारण बन सकती है। एसिडिटी की संभावना को कम करने के लिए आप इसे पानी के साथ ले सकते हैं।

डाईबिटीज़ की दवा लेने वाले लोगों को इस सिरप को लेने से पहले अपने डॉक्टर से पूछना चाहिए क्योंकि इसमें गुड़ होता है और इसका अधिक सेवन रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ा सकता है।

बिना डॉक्टर की सलाह के ज्यादा मात्रा में लेने से पेट में दर्द, अपच, उल्टी, हाई ब्लड प्रेशर, लो ब्लड शुगर, एसिडिटी, जलन, सिरदर्द, चक्कर आना और उनींदापन भी हो सकता है।

निष्कर्ष

अर्जुनरिष्ट एक प्रभावी आयुर्वेदिक दवा है जो सदियों से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं जैसे डाईबिटीज़, हार्ट संबंधित बीमारियों, ब्लड प्रेशर, कॉलेस्ट्रॉल, किडनी, युरीनरी समस्याओं व कैंसर के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। यह सभी बीमारियाँ टाइप 2 डाईबिटीज़ से जुड़े रिस्क में शामिल है अतः यह इस प्रकार शुगर लेवल को कम करने के साथ इन बीमारियों से सुरक्षा करती है।

FAQs:

क्या अर्जुनरिष्ट से कॉलेस्ट्रॉल को कम किया जा सकता है?

अर्जुनरिष्ट में कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने वाले एंटी-हाइपरलिपिडेमिक गुण होते हैं। यह गुण शरीर में से खराब व कुल कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करते हैं।

क्या अर्जुनरिष्ट बच्चों के लिए सुरक्षित है?

अर्जुनरिष्ट में सेल्फ फर्मेन्टड अल्कोहॉल होता है इसलिए बच्चों को इसे देने से पहले आयुर्वेदिक एक्सपर्ट से ज़रूर परामर्श करें।

क्या अर्जुनरिष्ट डाईबिटीज़ के लिए अच्छा है?

अर्जुनरिष्ट में पाए जाने वाले कई यौगिक शरीर में ब्लड शुगर लेवल को कम करने का काम करते हैं। इसके अतिरिक्त कई अध्ययनों के अनुसार यह इंसुलिन सेन्सिटिविटी को भी बढ़ाता है जो टाइप 2 डाईबिटीज़ के लिए अच्छा है। अर्जुनरिष्ट में मुख्य घटक के रूप में अर्जुन होता है जो डैबिटीज़ मेनेजमेंट में मदद करते हैं। हालांकि, डाईबिटीज़ में इसे लेने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर परामर्श करें।

क्या अर्जुनरिष्ट से एसिडिटी होती है?

यह एक एल्कोहॉल-बेस्ड आयुर्वेदिक दवा है जिसमें अपने आप किण्वन हो कर एल्कोहॉल बनता है इसलिए यह एसीडीटी का कारण बन सकता है। इसलिए इसके एसीडिक गुण को कम करने के लिए इसे पानी में मिला कर लेना चाहिए। इससे इसकी अम्लता कम हो जाती है।

Last Updated on by Dr. Damanjit Duggal 

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