रमजान के दौरान रोजा रखने के स्वास्थ संबंधी जोखिम

ब्लड शुगर में उतार-चढ़ाव   रमजान के दौरान फास्टिंग करने से ब्लड शुगर में उतार-चढ़ाव हो सकता है, जो डायबिटीज के मरीजों के लिए परेशानी बन सकता है।

डिहाइड्रेशन: गर्मी के मौसम में रोजा रखने से डिहाइड्रेशन का जोखिम बढ़ जाता है। इसलिए भरपूर पानी पीने की सलाह दी जाती है।

पोषण संबंधी कमियां:  लंबे समय तक फास्टिंग के चलते शरीर में विटामिन और अन्य पोषक तत्वों की कमी होने का जोखिम बना रहता है। इसलिए डाइट प्लान बनाने की सलाह दी जाती है।

ज्यादा खाने का रिस्क:  इफ्तार के समय तेज भूख होने के चलते ज्यादा खाने का रिस्क बना रहता है। जिससे शुगर में अचानक बदलाव होने लगता है इसलिए संयम से रोजा खोलने की सलाह दी जाती है।

दवा पर प्रभाव:  शुगर के मरीजों को निश्चित समय पर दवा लेना होता है, पर रोजा रखने के दौरान इस पर असर पड़ता है। इसलिए डॉक्टर से सलाह लेकर शेड्यूल बनाना चाहिए।

शारीरिक मेहनत:   रोजा के दौरान अधिक शारीरिक परिश्रम करने से एनर्जी में कमी हो सकती है। इसलिए भोजन को ध्यानपूर्वक चुनने और आराम करने की सलाह दी जाती है।

शुगर के मरीजों के लिए रिस्क: शुगर के मरीजों को निश्चित अंतराल पर भोजन की जरूरत होती है। इसलिए रोजा के दौरान शुगर में उतार-चढ़ाव का रिस्क बना रहता है।

रमजान के दौरान ब्लड शुगर को कंट्रोल में रखने के लिए डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह दी जाती है, ताकि किसी भी प्रकार के जोखिम से बचा जा सके।